Kabir Ke Pad class 11 Hindi Antra Question Answer

Kabir Ke Pad Antra class 11 Solutions – कबीर के पद क्लास 11 प्रश्न उत्तर

👉 Kabir Ke Pad class 11 Summary

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 1- ‘ अरे इन दोहुन राह पाईसे कबीर का क्या आशय है और वह किस राह की बात कर रहे है?

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर कबीर का तात्पर्य हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मों से है। उनका मानना है कि दोनों धर्म ही अपनी धर्म को सर्वोपरि मानते है परन्तु हिन्दू धर्म में जो व्यक्ति किसी का झूठा नहीं पीता है। वो वैश्य के पास जाने से भी नहीं कतराता है।


वहीं दूसरी ओर  मुस्लिम समाज को देखे तो उसमे वह अपने खाला यानी मौसी के बच्चों से ही शादी कर लेते है ऐसा करके उनको कोई शर्म भी नहीं आती है। इसलिए कबीर दास जी को लगता है कि दोनों को राह की जरूरत है। अर्थात दोनों को सही मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 2- इस देश में अनेक धर्म, जाति, मजहब और संप्रदाय के लोग रहते थे किन्तु कबीर हिंदू और मुसलमान की ही बात क्यों करता है?

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर इस देश में अनेक धर्म, जाति, मजहब और संप्रदाय के लोग होने के बावजूद भी  कबीर हिंदू और मुसलमान की ही बात इसलिए करते है क्योंकि इस देश में हिंदू और मुसलमान के संबंध कुछ ठीक नहीं रहता है।

यह दोनों ही हमेशा से कौन सर्वश्रेष्ठ  है इस होड़ में लगे रहते है। इन सब के कारण यह विवादों में भी ज्यादा घिरे रहते हैं। इसलिए कबीर जानना चाहता है कि कौन सा धर्म अच्छा है पर कबीर को इन दोनों ही धर्मों में ख़ामियाँ नजर आई और उनके अनुसार कोई धर्म सर्वोपरि नहीं है

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 3- ‘ हिंदुन की हिंदू वाई तुरकन की तुरकाईके माध्यम से कबीर क्या कहना चाहता है? वे उनकी किस विशेषताओं की बात करते है?

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर हिंदुन की हिंदू वाई तुरकन की तुरकाई” इस पंक्ति से कवि हिंदू मुसलमान पर कटाक्ष करते हुए कहते है कि ये कौन हिंदु है जो अपने बर्तनों पर किसी को हाथ नहीं लगाने देते और खुद वैश्यों के पास जाकर उनके दास बन जाते है और मुसलमान जो धर्म की बाते करते है वह जीव को मारकर खा जाते है।

यहां कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि हिंदू हो या मुस्लिम जब दोनों ही  बड़े-बड़े दिखावे करते हैं। लेकिन वास्तव में इनका यह दिखावा सिर्फ दिखावा ही होता है। यह उससे भी ज्यादा तो दिखाते हैं कि हम अपने घर का बर्तन किसी को पकड़ने नहीं देते उल्टे यह भोग विलास में अपनी जिंदगी बिता देते हैं।

तो वहीं मुसलमान लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन यह लोग भी मासूम जीव की हत्या कर। फिर उसे खाते भी है कवि कहते है कि ये कौन सा धर्म है जो अपनी बात को कायम नहीं रखता।

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 4- ‘कौन राह हैं जाईका प्रश्न कबीर के सामने भी था क्या इस तरह का प्रश्न आज समाज में मौजूद है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर आज के समाज में यह कहना गलत नहीं होगा कि हिन्दू मुस्लिम का विवाद बढ़ता जा रहा है चाहे वो राम का मंदिर का मुद्दा हो या कोई और लोग बस अपने धर्म को बढ़ाने और दूसरे धर्म को नीचा दिखाने में ही लगे रहते है।

सवाल ये नहीं है कि किसका मंदिर बनेगा या मस्जिद। बहस तो अपने धर्म की ताकत दिखाने की है। इसलिए कबीर कहते है कि ख़ामियाँ तो दोनों धर्मों में है तो किसी एक को सही और एक को ग़लत मानना काफी मुश्किल है

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 5- ‘बालम आवो हमारे गेह रेमें कवि किसका आवाह्न कर रहा है और क्यों?

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर बालम आवो हमारे गेह रेसे कवि अपने ईष्ट अपने आराध्य कि याद कर रहे है। कवि उनकी एक मात्र झलक के प्यासे है वह चाहते है कि उनको उनके ईष्ट का एक बार दर्शन वह पा जाए इसलिए कवि उनका आवाह्न कर रहे है। ताकि उनका उनके ईष्ट देव से भेंट हो जाएं।

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 6- ‘ अन्न ना भावे नींद ना आवेका क्या कारण है ? ऐसी स्तिथि क्यों हो गई है ?

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर अन्न ना भावे नींद ना आवे से कवि पति-पत्नी  के रिश्ते को संबोधित करते है जिस तरह पत्नी अपने पति से दूर होकर रह नहीं पाती है उसी तरह कवि अपने भगवान से दूर होकर नहीं रह पा रहे है जिस वजह से ना तो उन्हें भूख लग रही है और न ही उन्हें नींद रही है। वह बस अपने प्रभु से मिलने की आस में तड़प रहे हैं।

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 7- ‘ कामिन को है बालम प्यारा, जो प्यासे को नीर रेेसे कवि का क्या आशय है ?स्पष्ट कीजिए

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर कबीर कहते है जिस तरह कामिन औरत को अपना बालम यानी पति प्यारा होता है और जिस प्रकार प्यासे को बस नीर की तलाश होती है उसी प्रकार मुझे भी अपने ईष्ट की तलाश है।

अर्थात कवि को अपने प्रभु की चाह है वह उनसे कामिन की तरह एक पत्नी की तरह मोहब्बत करते है जैसे एक प्यासे को नीर की तलाश होती है उसी प्रकार कवि को अपने प्रभु की तलाश है।

Kabir Ke Pad class 11: प्रश्न 8- कवि निर्गुण संत परंपरा के कवि है और यह पद (‘बालम आवो हमारे गेह रे ‘)साकार प्रेमी की ओर संकेत करता है। इस सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर कबीर ने कभी भगवान के मूर्ति रूप को सार्थक नहीं माना वह निर्गुण परंपरा के कवि है। कबीर एक ईश्वर प्रथा में विश्वास रखते हैं। लेकिन उन्होंने कभी प्रेम की शक्ति को नहीं नकारा है वह सांसारिक प्रेम को मानते है वह मानते है कि किस तरह एक पत्नी अपने पति के बिना जल बिन प्यासे इंसान की तरह होती है, जो अपने पति के बिना उसके प्यार के लिए तरस्ती है।

उन्होंने इस कविता में अपने आप को सकारात्मक शक्ति का प्यासा बताया है कबीर ने अपने आप को अपने ईष्ट की पत्नी के रूप में संबोधित किया है। अतः यह एक साकार प्रेम तो है मगर यह निर्गुण हैं।

Kabir Ke Pad class 11 उत्तर

कबीर के पद 1 – काव्य सौंदर्य
पहले पद में कवि ने हिंदू मुसलमान के विवाद को बताया है उस पर टिप्पणी किया है । वह बताते है कि दोनों ही धर्मों में  कुछ ख़ामियाँ है जिसकी वजह से किसी एक को अच्छा मानना मुश्किल है

   शिल्प सौंदर्य 

  • सरल लेकिन कटाक्ष भरी  भाषा का प्रयोग है।
  • उदहारण शैली का प्रयोग है।
  • अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग है।

कबीर के पद 2- काव्य सौंदर्य
इस पद में  कवि को अपने भगवान की चाह है वह उनसे कामिन की तरह एक पत्नी की तरह मोहब्बत करते है। जैसे एक प्यासे को नीर की तलाश होती है उसी प्रकार कवि को अपने प्रभु की तलाश है। यहां  पति पत्नी के रिश्ते को दर्शाया गया है।

 शिल्प सौंदर्य – 

  • सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग है।
  • प्रतिकात्मकता का प्रयोग है।
  • अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग है।

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