Jaag Tujhko Door Jaana Hai Question Answer

Jaag Tujhko Door Jaana Hai Class 11 Hindi Antra Question Answer

जाग तुझको दूर जाना है प्रश्न उत्तर- महादेवी वर्मा (अंतरा भाग 1 पाठ 15)

जाग तुझको दूर जाना है प्रश्न 1- ‘जाग तुझको दूर जाना ‘ कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ्ने के लिए उत्साहित कर रही है?
उत्तरजाग तुझको दूर जानाकविता में कवयित्री हर परिस्थिति में अपने प्रिय पथ पर अग्रसित रहने के लिए प्रेरित करती हैं| वे कहती हैं कि भले ही अचल हिमालय का हृदय काँप उठे या फिर आकाश विचलित होकर रो पड़े तुम अपने पथ पर अग्रसित रहो। भले ही आकाश मे अंधेरा छा जाए , सूर्य और चंद्रमा अंधेरे में गुम हो जाए या फिर बिजली की आंधियों से रास्ते जलमग्न हो जाए और धरती पर प्रलय जाए तुम अपने प्रिय पथ पर अडिग रहो और उन रास्तो पर अपने निशान छोड़ आओ  

जाग तुझको दूर जाना है प्रश्न 2- कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?
उत्तर– प्रस्तुत कविता में कवयित्री कहती हैं कि संसार के इन मोम के समान पिघलने वाले बंधनों से मुक्त होकर अपने पथ पर बढ़े चलो तितलियों के रंगीन पंखों के समान संसार की आकर्षित करने वाली मनमोहक बाधाओं एवं आनंद की मधुर गुनगुन में स्वयं को पथभ्रष्ट करने के स्थान पर विश्व में व्याप्त रुदन को स्मरण करने के लिए प्रेरित करती हैं। वे कहती हैं कि हमें फूलों के ओस में डूबने के बजाय अपने प्रिय पथ को याद रखना चाहिए ।वे मानव को अपनी इक्षाओं की कैद से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करती हैं। 

जाग तुझको दूर जाना है प्रश्न 3- ‘जाग तुझको दूर जाना ‘ स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है | इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए |
उत्तर– जाग तुझको दूर जानाकविता में कवयित्री ने सांसरिक बाधाओं एवं कठिनाइयों से लड़ते हुए विकास पथ पर अग्रसित रहने के लिए संदेश दिएँ हैं। इस कविता में विरह कि साधना को भी दर्शाया गया है। इसमे कवयित्री सभी कष्टों और आपदाओं के बीच भी अपनी साधना में लीन रहने के लिए प्रेरित करती हैं। वह आत्मा को सभी प्रकार के आलस्य एवं आनंद से दूर रहने के लिए उत्साहित करती हैं। कवयित्री कहती हैं कि सभी प्रकार के सांसारिक आकर्षणों एवं बंधनों पर विजय पाकर हमें निरंतर अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ते रहना चाहिए। 


जाग तुझको दूर जाना है प्रश्न 4- निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य – सौन्दर्य स्पष्ट कीजिये –

विश्व का क्रंदन ………. अपने लिए कारा बनाना !
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने बड़े ही सुंदर ढंग से मानव संवेदनाओं को जागृत करने का प्रयास किया है। वे कहती हैं कि सांसारिक सुख सुविधाओं मे इतना मत खो जाओ कि सम्पूर्ण विश्व का रुदन ही भूला बैठो। फूलों के ओस में इतनी शक्ति नहीं कि तुम्हारी भावनाओं को डुबा दे। अपनी इच्छाओं को अपना कारावास मत बनने दो और अपनी मंजिल कि ओर अग्रसर रहो। 

इन पक्तियों में  महादेवी वर्मा संसारिक बन्धनों के बारे में भी बात करती है। वो कहती है कि क्या संसारिक मोहमाया के बंधन तो बहुत आसानी से मोम के सामान पिघल सकते हैं तेरा रास्ता रोक सकते हैं। क्या तितलियों के रंगों के जैसे दिखने वाले संसारिक सुख तुम्हारी राह में रूकावट बन सकते हैं। इस संसार में इसके अलावा भी बहुत कुछ है। ये संसार दुखों से पीडित है। क्या इन दुखों के बारे में सोचकर और इन्हे जानकर भी तुम संसारिक सुखों के बारे में सोच सकती हो। क्या तुम्हारा ह्दय समाज की इस व्यथा को दूर करने के लिए तड़प नही उठता है। संसार के सभी सुख और आर्कषण तुम्हारी खुद की परछाई के सामान है। यदि तुम अपनी परछाई का पीछा करने लग गई तो कभी आगे नहीं आगे बढ़ पाओगी और तुम्हारा विकास रूक जायेगा। इसलिए बिना डरे, बिना निराश हुए अपनी परछाई को अपने रास्ते की रूकावट मत बनने दो और हमेशा आगे बढ़ती रहो।

कह ना ठंडी सांस ………. सजेगा आज पानी |
उत्तर– दी गयी पंक्तियों में कवयित्री ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बड़ी ही सुंदरता से शब्दों को पिरोया है। वे कहती हैं कि अब ठंडी सांस मत भरो और उस कहानी को भूल जाओ जो विरह कि याद दिलाती है क्योंकि जब तक हृदय में विरह की अग्नि है तब तक आँखों में आँसू का पानी है। 

है तुझे अंगारशय्या ……….कलियाँ बिछाना !
उत्तर– प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री की निपुणता बड़े ही सुंदर ढंग से दिखती है। इन पंक्तियों में वे कहना चाहती हैं कि तुझे अंगारों की शय्या पर अपनी सफलता रूपी कलियाँ बिछानी हैं क्योंकि विजय के मार्ग में अगर मृत्यु को भी गले लगाना पड़े तो वो भी विजय के समान है क्योंकि अपने लक्ष्य कि प्राप्ति में अगर मृत्यु हो जाए तो उससे भी अमरता ही प्राप्त  होती है। 

जाग तुझको दूर जाना है प्रश्न 5- कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है ? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिये |
उत्तरजाग तुझको दूर जानाकविता में मानव को स्वाधीनता के मार्ग पर अग्रसर रखने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं। इस कविता में कवयित्री ने हर  विषम परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखने का प्रयास किया है। चाहे प्रलय जाए या हिमालय काँप जाए फिर भी अपने पथ पर अग्रसित रहने का प्रोत्साहन दिया है। सांसारिक मोहपाश एवं अकर्षणों से मुक्त रहने के लिए उत्साहित किया है। विश्व के रुदन एवं क्रंदन को भूलकर सुख सुविधाओं में लिप्त रहने को मृत्यु से भी बदतर बताया है। अपनी इच्छाओं के कारावास से निकलने के लिए प्रेरित किया है। कवयित्री ने इस कविता के माध्यम से संघर्षरत जीवन को अमृत बताया है। वे कहती हैं कि हमें अपने हृदय में लक्ष्य कि अग्नि को जलाए रखना चाहिए। वे हमें स्वाधीनता के मार्ग पर अग्रसर रहने के लिए एवं अमरता को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं एवं शहादत को भी विजय बताती हैं।  

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