Table of content:
1. सुदामा पांडे (धूमिल) का जीवन परिचय
2. घर में वापसी कविता का सारांश
3. घर में वापसी कविता
4. घर में वापसी कविता की व्याख्या
5. घर में वापसी कविता प्रश्न अभ्यास
6. क्लास 11 अंतरा भाग 1 सभी कविताएं
Class 11 Hindi Antra Chapter 19 Ghar Me Wapsi Poem Summary
घर में वापसी कविता क्लास 11 अंतरा पाठ 19 – सुदामा पांडे (धूमिल)
कवि सुदामा पांडे (धूमिल) का जीवन परिचय – Sudama Pandey Dhoomil
धूमिल का पूरा नाम सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ है। इनका जन्म 9 नवम्बर 1936 को वाराणसी जिले के खेवली गांव में हुआ। बालक सुदामा ने सन् 1953 में हाई स्कूल परीक्षा पास की। सन् 1958 में आई.टी.आई. वाराणसी से विद्युत-डिप्लोमा किया और वहीं अनुदेशक के पद पर नियुक्त हो गए। असमय ही ब्रेन-ट्यूमर हो जाने के कारण 10 फ़रवरी 1975 को इनका स्वर्गवास हो गया।
इनकी प्रमुख रचनाएं हैं– बांसुरी जल गई, संसद से सड़क तक, कल सुनना मुझे और सुदामा पांडेय का प्रजातंत्र। धूमिल को मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनकी काव्यगत विशे सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ ‘नई कविता’ के सशक्त हस्ताक्षर थे।
उनके काव्य में एक विशेष प्रकार का गवैयेपन दिखाई देता है धूमिल की कविता में परंपरा, सभ्यता, शालीनता और भद्रता का विरोध है। इन्होंने व्यंग्यों के माध्यम से उपहास, झुंझलाहट और पीड़ा को व्यक्त किया है।
इनके काव्य में मुहावरें, लोकोक्तियों और सूक्तियों का सुंदर प्रयोग मिलता है। संवाद-शैली के प्रयोग से भाषा सशक्त हो गई है। लाक्षणिकता और प्रतीकात्मकता इनकी भाषा की विशेषता है भाषा सरल और सहज हैं। इन्होंने मुक्त छंदों का प्रयोग किया है।
घर में वापसी कविता का सारांश – Ghar Me Wapsi Poem Summary
‘घर की वापसी’ धूमिल जी की गरीबी से संघर्ष कर रहे परिवार की दुख भरी कविता है। कोई भी व्यक्ति अपने रोज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में प्रेम, ममत्व, स्नेह, सुरक्षा, ऊर्जावान रिश्ते चाहता है। वह एक ऐसा घर चाहता है जहां उस घर में रहने वाले लोगों के बीच आपसी संबंध मधुर, परिपक्व, ऊर्जावान हो।
परन्तु इस कविता में जिस घर का उल्लेख किया गया है उसकी अपनी त्रासदी है। त्रासदी यह है कि उस घर के लोगों के बीच आपस में संवेदनहीनता कि दीवार खिंच गई है। इस संवेदनहीनता का कारण गरीबी है।
ऐसा नहीं है कि ये परिवार पैसे की ओर आकर्षित या धन का लालच रखता है। बल्कि सच तो ये है कि परिवार के सभी सदस्यों को एक-दूसरे की मजबूरी और लाचारी को जानते हैं, समझते है। इसलिए वे एक दूसरे से बोलते नहीं है।
यह परिवार गरीबी से लड़ते-लड़ते इतना ऊर्जाहीन, दीन-हीन जर्जर हो गया है कि आपसी रिश्तों को जीवित रखने के लिए जिस संवाद और ऊर्जा की जरूरत होती है, वह समाप्त हो चुकी है। परिवार में पांच सदस्य है।
सभी के बीच खून का रिश्ता है, परंतु गरीबी के कारण ये सभी अपने मन के भावों को अभिव्यक्त भी नहीं कर पाते है। ये संवाद हीनता इनके बीच आपस में भाषा रूपी जर्जर ताले को खोल भी नहीं पाती है।
यहां तक कि ये आपस में एक दूसरे के प्रति अपने दायित्वों, कर्त्तव्यों को भी गरीबी के कारण पूरा कर पाने में असमर्थ है। गरीबी इनके रिश्तों को आपस में जिंदा रखने में सबसे बड़ी बाधक है।
घर में वापसी कविता – Ghar Me Wapsi Poem
मेरे घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं
माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही
तीर्थ-यात्रा की बस के
दो पंचर पहिए हैं।
पिता की आँखें –
लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं
बेटी की आँखें मंदिर में दीवट पर
जलते घी के
दो दिए हैं।
पत्नी की आँखें आँखें नहीं
हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं
वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं
बीच की दीवार के दोनों ओर
क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं।
रिश्ते हैं; लेकिन खुलते नहीं हैं
और हम अपने खून में इतना भी लोहा
नहीं पाते,
कि हम उससे एक ताली बनवाते
और भाषा के भुन्ना-सी ताले को खोलते,
रिश्तों को सोचते हुए
आपस में प्यार से बोलते,
कहते कि ये पिता हैं,
यह प्यारी माँ है, यह मेरी बेटी है
पत्नी को थोड़ा अलग
करते – तू मेरी
हमसफ़र है,
हम थोड़ा जोखिम उठाते
दीवार पर हाथ रखते और कहते
यह मेरा घर है।
घर में वापसी कविता की व्याख्या – Ghar Me Wapsi Poem Line by Line Explanation
मेरे घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं
माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही
तीर्थ-यात्रा की बस के
दो पंचर पहिए हैं।
भावार्थ– प्रस्तुत कविता में कवि ने अपने घर के सदस्यों के बारे में बताया है।वह अपनी मां के विषय में कहते हैं कि उनकी मां बस के दो पंचर टायर के समान है। यानी कि उनकी मां आंखों से देख नहीं सकती है।
इसलिए उन्होंने अपनी मां को बस के टायर के माध्यम से यहां उनकी मां का परिचय करवाया है।
पिता की आँखें –
लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं
बेटी की आँखें मंदिर में दीवट पर
जलते घी के दो दिए हैं।
भावार्थ– कवि ने फिर दूसरे छंद में कहा है कि उनकी बेटी एवं उनके पिता की आंखें बिल्कुल उस दिए के समान है जो दिया हमेशा प्रज्वलित रहता है और अपनी प्रकाश के ऊर्जा से सभी को एक नई किरण प्रदान करता है।
पत्नी की आँखें आँखें नहीं
हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं
भावार्थ– कविता के इस अंश में कवि ने अपनी पत्नी के संपर्क में कहा है कि उनकी पत्नी की जो आंखें हैं वह आंखें नहीं है वह उस हाथ के समान है जो उन्हें हमेशा बांधकर रखती है। हमेशा उनका ख्याल रखती है।
उनकी पत्नी अपनी आंखों से पल भर के लिए भी कवि को ओझल नहीं होने देती है। यानी कि उनकी पत्नी के बारे में उन्होंने यह कहना चाहा है कि उनकी पत्नी दुनिया की सबसे अच्छी पत्नी है जो हर पल अपने पति का ध्यान रखती है।
वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं
बीच की दीवार के दोनों ओर
क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं।
रिश्ते हैं; लेकिन खुलते नहीं हैं
और हम अपने खून में इतना भी लोहा
नहीं पाते,
कि हम उससे एक ताली बनवाते
और भाषा के भुन्ना–सी ताले को खोलते,
भावार्थ– फिर कवि ने इस अंश में गरीबी और अमीरी के विषय में बताया है कि वह कहते हैं कि जो लोग अमीर होते हैं वह पैसों के पीछे भागते हैं और अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। वज्ञ अपने परिवार की मांग को पूरी करते-करते अपने-आप में एक दिन खत्म हो जाते हैं और उन्हें पता नहीं चलता है कि परिवार क्या होता है।
लेकिन जो गरीब होते भले ही पैसे उनके पास ना हो वह भले ही अपने परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं मगर उनमें एक चीज है वह है साथ मिलकर रहना। साथ मिलकर चलना वह साथ रहते हैं साथ खाते हैं साथ सोते हैं एवं साथ जीते हैं।
परिवार के हर एक सदस्यों को एक दूसरे की जरूरत के बारे में पता होती है। भले वह जरूरत पूरी हो चाहे ना हो मगर वह हमेशा एक साथ रहते हैं।
वहीं अगर हम अमीर लोग की बात करें तो वे लोग भले ही पैसे से अमीर हो मगर उनके परिवार में वह साथ नहीं देखने को मिलता है जो गरीब परिवार के लोगों के बीच देखने को मिलता है। कवि का परिवार पांच व्यक्तियों का परिवार है और यह पांच व्यक्ति कभी के लिए बहुत मायने रखते हैं।
रिश्तों को सोचते हुए
आपस में प्यार से बोलते,
कहते कि ये पिता हैं,
यह प्यारी माँ है, यह मेरी बेटी है
पत्नी को थोड़ा अलग
करते – तू मेरी
हमसफ़र है,
हम थोड़ा जोखिम उठाते
दीवार पर हाथ रखते और कहते
यह मेरा घर है।
भावार्थ– अंतिम दो छंद में कवि अपने परिवार के बारे में कहते हैं कि यह मेरे पिता है यह मेरी बेटी है यह मेरी पत्नी और अपनी पत्नी के संपर्क में कहते हैं कि यह मेरे जीवन की वह अमूल सदस्य है जिसके बिना मैं अधूरा।
यानी कि वह अपने पत्नी को संसार में सबसे ज्यादा प्यार करते हैं क्योंकि उनकी पत्नी भी उनसे उतना ही प्यार करती हैं जितना कि वह अपनी पत्नी से प्यार करते हैं और कभी के अनुसार प्यार से ही जिंदगी चलती है।
भले ही आपके पास पैसा हो चाहे ना हो अगर आप किसी को प्यार दे सकते हैं सम्मान दे सकते हैं तो आप जिंदगी में एक सफल व्यक्ति है जिसके पास भले ही पैसा ना मगर यह दो चीज है ना तो आपके पास सब कुछ है जो बहुत से लोगों के पास पैसा होते बेबी नहीं होता है वह आपके पास हो सकता है।
क्लास 11 अंतरा भाग 1- Class 11 Hindi Antra Part 1 All Chapter
10. कबीर के पद- कबीर
11. सूरदास के पद- सूरदास
12. हँसी की चोट – देव
13. औरै भाँति- पद्माकर
14. संध्या के बाद- सुमरित्रानन्दन पंत
15. जाग तुझको दूर- महादेवी वर्मा
15. सब आँखों के आँसू उजले
16. नींद उचट जाती है- नरेंद्र शर्मा
17. बादल को घिरते देखा है- नागार्जुन
18. हस्तक्षेप- श्रीकांत वर्मा
19. घर में वापसी- धूमिल
Tags: घर में वापसी कविता घर में वापसी कविता की व्याख्या घर में वापसी कविता का सारांश ghar me wapsi summary ghar me wapsi Summary in Hindi ghar me wapsi question answer