मीरा के पद अर्थ सहित – Mera Bai Ke Pad Class 10 Summary

  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 Summary

मीरा के पद अर्थ सहित – Mera Bai Ke Pad Class 10 Summary

यहाँ हम पढ़ने वाले हैं:

मीराबाई का जीवन परिचय- Meerabai Ka Jeevan Parichay: मीराबाई कृष्ण-भक्ति शाखा की प्रमुख कवयित्री हैं। इनकी जन्म-तिथि 1503 मानी जाती है। मीराबाई के जन्म स्थान के बारे में कई मतभेद हैं। कई लोग जोधपुर में स्थित चोकड़ी (कुड़की) गांव को मीराबाई का जन्म-स्थान मानते हैं। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। इनका विवाह उदयपुर के महाराणा कुंवर भोजराज के साथ हुआविवाह के कुछ समय बाद ही इनके पति का देहांत हो गया। इन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, लेकिन मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं।

वे संसार की ओर से विरक्त हो गयीं और साधु-संतों की संगति में हरिकीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगीं। संत रैदास की शिष्या मीरा के पद पूरे उत्तर भारत सहित गुजरात, बिहार और बंगाल तक प्रचलित हैं। मीराबाई की कविताएं हिंदी तथा गुजराती दोनों ही भाषाओं में मिलती हैं।


मीरा के पद का भावार्थ- Meera Ke Pad in Hindi: कहते हैं कि मीराबाई का कृष्णभक्ति में नाचना और गाना, राज परिवार को अच्छा नहीं लगता था। उन्होंने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने की कोशिश की। घर वालों के इस प्रकार के व्यवहार से परेशान होकर वह वृंदावन चली गईं। मीरा बाई की रचनाओं में एक ओर जहाँ श्री कृष्ण के निर्गुण रूप का वर्णन मिलता है, वहीं दूसरी ओर इन्होनें कृष्ण के सगुण रूप का भी गुणगान किया है

यहाँ प्रस्तुत दोनों पदों के माध्यम से मीरा अपने आराध्य को उनका कर्तव्य याद दिलाने की कोशिश करती हैं। मीरा उन्हें अपने दुःख हरने के लिए कहती है। इसी दौरान मीरा श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन भी करती हैं।

मीरा के पद- Meera Ke Pad

हरि आप हरो जन री भीर।

द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुञ्जर पीर।

दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिंदरावन री कुंज गली में, गोविंद लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजंती माला।
बिंदरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।

ऊँचा, ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साई।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रा तीरां।
मीरां रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।

Mera Bai Ke Pad Ncert Solutions for Class 10 Hindi Sparsh

मीरा के पद अर्थ सहित – Mera Bai Ke Pad Class 10 Summary

हरि आप हरो जन री भीर।

मीरा के पद प्रसंग: प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-2 ‘मीरा के पद’ से ली गई है। इस पद की रचयिता मीराबाई है। मीराबाई भगवान विष्णु जी से विनती करती है कि हे प्रभु आप मेरे सारे दुख दूर कर दें।

मीरा के पद भावार्थ : प्रस्तुत पंक्ति में कवयित्री मीराबाई ने श्री हरि यानि विष्णु भगवान से अपनी पीड़ा हरने की विनती की है। इसी वजह से वे हरि के उन रूपों का स्मरण कर रही हैं, जिन्हें धारण कर के उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा की थी। यहाँ मीरा कह रही हैं कि प्रभु अपने भक्तों की पीड़ा हरने यानि दूर करने ज़रूर आते हैं।

मीरा के पद विशेष:-

1.राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।

द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुञ्जर पीर।

मीरा के पद प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-2 ‘मीरा के पद’ से ली गई हैं। इस पद की रचयिता मीराबाई है। मीराबाई ने इस पद में हरि के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया है।

मीरा के पद भावार्थ : इन पंक्तियों में मीराबाई ने हरि के विभिन्न रूपों का वर्णन किया है। प्रथम पंक्ति में मीरा ने हरि के कृष्ण रूप का वर्णन किया है, जब उन्होंने द्रौपदी को वस्त्र देकर भरी सभा में ठीक उसी प्रकार उनकी लाज बचाई, जिस प्रकार एक भाई अपनी बहन की रक्षा करता है। दूसरी पंक्ति में मीरा ने हरि के उस रूप का वर्णन किया है, जब प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए हरि ने नरसिहं का अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया। तीसरी पंक्ति में मीरा ने हरि के उस रूप का वर्णन किया है, जब हरि ने डूबते हुए बूढ़े गजराज की रक्षा हेतु मगरमच्छ का वध किया।

मीरा के पद विशेष:-

1.काटी कुञ्जर में अनुप्रास अलंकार है।

2. राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।

दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

मीरा के पद प्रसंग: प्रस्तुत पंक्ति हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-2 ‘मीरा के पद’ से ली गई है। इस पद की रचयिता मीराबाई है। मीराबाई श्री कृष्ण से विनती करती है कि प्रभु उनके सब दुख पीड़ा को दूर कर दें।

मीरा के पद भावार्थ : मीराबाई का मानना है कि जो भक्त सच्चे हृदय से हरि की भक्ति करता है, प्रभु उसके दुःख दूर करने ज़रूर आते हैं। इसीलिए मीरा प्रभु से खुद की पीड़ा दूर करने की विनती कर रही हैं।

मीरा के पद विशेष:-

1.राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।

स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिंदरावन री कुंज गली में, गोविंद लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

मीरा के पद प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-2 ‘मीरा के पद’ से ली गई हैं। इस पद की रचयिता मीराबाई है। मीराबाई श्री कृष्ण के दर्शन पाने के लिए  नौकर बनने के लिए भी तैयार है।

मीरा के पद भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई की कृष्ण-भक्ति का उदाहरण मिलता है। वे कृष्ण की भक्ति में इस प्रकार लीन हैं कि उनके दर्शन पाने के लिए वे नौकर बनने के लिए भी तैयार हैं। इसी वजह से वे इन पंक्तियों में श्री कृष्ण से खुद को अपना नौकर रखने की विनती कर रही हैं।

जब वे नौकर बनकर सुबह-सुबह बागबानी करेंगी, तो इसी बहाने उन्हें कृष्ण के दर्शन हो जाएँगे। वृंदावन की तंग गलियों में वे गोविंद की लीला गाते हुए फिरेंगी। इस नौकरी में उन्हें वो सबकुछ मिलेगा, जिसकी उन्हें जन्मों से चाहत थी। उन्हें खर्च करने के लिए श्री कृष्ण के दर्शन एवं स्मरण मिलेंगे तथा उन्हें भाव एवं भक्ति की ऐसी जागीर मिलेगी, जो सदा उनके पास ही रह जाएगी।

मीरा के पद विशेष:-

1. भाव भगती में अनुप्रास अलंकार है।

2. राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।

3. इस पद में मीराबाई की श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भावना का वर्णन हुआ है।

मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजंती माला।
बिंदरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।

मीरा के पद प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-2 ‘मीरा के पद’ से ली गई हैं। इस पद की रचयिता मीराबाई है। इस पद में मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रुप-सौंदर्य का अद्धभुत वर्णन किया है।

मीरा के पद भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई ने श्री कृष्ण के रूप-सौंदर्य का बड़ा ही मोहक वर्णन किया है। मीरा कहती हैं कि श्री कृष्ण जब हरे वस्त्र पहनकर, मोर-मुकुट धारण किये हुए, गले में वैजन्ती माला पहने और हाथों में बाँसुरी लेकर वृन्दावन में गाय चराते हैं, तो उनका रूप सभी का मन मोह लेता है।

मीरा के पद विशेष:-

1. मोर मुगट, मोहन मुरली में अनुप्रास अलंकार है।

2. राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।

ऊँचा, ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साई।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रा तीरां।
मीरां रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।

मीरा के पद प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-2 ‘मीरा के पद’ से ली गई हैं। इस पद की रचयिता मीराबाई है। इस पद में मीराबाई का श्री कृष्ण के दर्शन के लिए व्याकुलता का वर्णन है।

मीरा के पद भावार्थ : इन पंक्तियों में मीराबाई ने श्री हरि के दर्शन करने की अपनी तीव्र इच्छा का वर्णन किया है। वे ऊँचे-ऊँचे महलों के बीच बाग़ लगाएंगी। जिनके बीच वे साज-श्रृंगार करके कुसुम्बी रंग की साड़ी पहनकर श्री कृष्ण के दर्शन करेंगी। वे तो श्री कृष्ण के दर्शन के लिए इतनी व्याकुल हो गई हैं कि उन्हें लग रहा है, आधी रात में ही श्री कृष्ण उन्हें यमुना के तट पर दर्शन देकर उनका दुःख हर लें।

मीरा के पद विशेष:-

1. ऊँचा-ऊँचा, बिच बिच में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. पास्यूँ पहर में अनुप्रास अलंकार है।

3. राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया गया है।

Hindi Sparsh Class 10 Chapters Summary
Chapter 1 : कबीर की साखी- कबीर
Chapter 2 : मीरा के पद- मीरा
Chapter 3 : बिहारी के दोहे- बिहारी
Chapter 4 : मनुष्यता– मैथिलीशरण गुप्त
Chapter 5 : पर्वत प्रदेश में पावस– सुमित्रानंदन पंत
Chapter 6 : मधुर मधुर मेरे दीपक जल– महादेवी वर्मा 
Chapter 7 : तोप– वीरेन डंगवाल
Chapter 8 : कर चले हम फिदा– कैफी आजमी
Chapter 9 : आत्मत्राण– रवींद्रनाथ टैगोर

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Question Answer
Chapter 1: Kabir Ki Sakhi Ncert Solutions
Chapter 2: Mera Bai Ke Pad Ncert Solutions
Chapter 3: Bihari Ke Dohe Ncert Solutions 
Chapter 4: Manushyata Ncert Solutions 
Chapter 5: Parvat Pradesh Mein Pavas NCERT Solutions
Chapter 6: Madhur Madhur Mere Dipak Jal NCERT Solutions 
Chapter 7: Top NCERT Solutions 
Chapter 8: Kar Chale ham Fida NCERT Solutions 
Chapter 9: Atmatran NCERT Solutions 

शब्दार्थ :

  • मने – मुझको।
  • लगासूं – लगाऊंगी।
  • गासूं – गुण गाऊंगी।
  • खरची – रोज के लि खर्चा।
  • सरसी – अच्छी से अच्छी।
  • पास्यूँ — पाना
  • लीला — विविध रूप
  • सुमरण — याद करना / स्मरण
  • धेनु – गाय
  • जागीरी — जागीर / साम्राज्य
  • जमानाजी – यमुना
  • पीतांबर — पीला वस्त्र
  • वैजंती — एक फूल
  • तीरां — किनारा
  • अधीराँ (अधीर) — व्याकुल होना
  • बढ़ायो — बढ़ाना
  • गजराज — ऐरावत
  • चीर – कपड़ा
  • भगत – भक्त
  • पीर – कष्ट
  • गिरधर – कृष्ण
  • कुंजर — हाथी

Tags:

  • मीराबाई का बचपन का नाम
  • मीराबाई का जीवन परिचय
  • meerabai ka jeevan parichay
  • मीरा बाई की रचनाएँ
  • meerabai ki rachnaye
  • मीरा बाई की कविताएँ
  • meerabai ke pad
  • mirabai poems in hindi
  • meerabai ke pad in hindi
  • meerabai ka jeevan parichay in hindi
  • meera ke pad in hindi
  • meera ke pad

1 thought on “मीरा के पद अर्थ सहित – Mera Bai Ke Pad Class 10 Summary”

Leave a Comment