तोप – वीरेन डंगवाल

Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 Summary

तोप – वीरेन डंगवाल

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वीरेन डंगवाल का जीवन परिचय- Viren Dangwal : वीरेन डंगवाल जी को हिन्दी कविता की नई पीढ़ी के सबसे चहेते और आदर्श कवियों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 5 अगस्त 1947 को कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ। उनकी रूचि कविताओं व कहानियों दोनों में रही है। उन्होंने मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल और अन्त में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 1968 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम॰ए॰ और तत्पश्चात डी॰फिल की डिग्रियाँ प्राप्त की।


22 साल की उम्र में उन्होनें पहली रचना, एक कविता, लिखी। वीरेन डंगवाल का पहला कविता संग्रह 43 वर्ष की उम्र में आया। अब तक इनके दो कविता-संग्रह ‘इसी दुनिया में’ एवं ‘दुष्चक्र में सृष्टा’ प्रकाशित हो चुके हैं। दूसरे कविता संकलन के लिए उन्हें 2004 का साहित्य अकादमी पुरस्कार भी दिया गया। उनकी कविताएं बाँग्ला, मराठी, पंजाबी, अंग्रेज़ी, मलयालम और उड़िया जैसी भाषाओं में अनुवादित होकर भी प्रकाशित हो चुकी हैं।

तोप कविता 

कम्पनी बाग़ के मुहाने पर
धर रखी गई है यह 1857 की तोप

इसकी होती है बड़ी सम्हाल
विरासत में मिले 
कम्पनी बाग की तरह
साल में चमकायी जाती है दो बार

सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिये थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के छज्जे
अपने ज़माने में

अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
ख़ासकर गौरैयें

वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उनका मुँह बन्द !

तोप कविता का सार- Tope Poem Summary in Hindi:

प्रस्तुत कविता में कवि ने ऐतिहासिक धरोहर का वर्णन करते हुए हमें यह बताया है कि धरोहर तो अच्छी तथा बुरी दोनों ही हो सकती है। जैसे कंपनी बाग़ एक अच्छी धरोहर या अंग्रेजों द्वारा दी गई विरासत है। वहीँ उसके मुहाने पर रखी तोप एक ऐसी विरासत है, जिसने हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों का बड़ी बेदर्दी से क़त्ल किया था।

अंत में, कवि तोप की वर्तमान स्थिति के बारे में बता कर हमें यह शिक्षा देते हैं कि चाहे विरासत कितनी ही बड़ी क्यों न हो, हर अत्याचारी का अंत ज़रूर होता है। जैसे कभी नर्क की आग उगलने वाली तोप के मुँह में आज चिड़िया घुस कर अपना खेल खेलती है, यानि अब तोप का दौर ख़त्म हो गया और वो किसी काम की नहीं रही। ठीक इसी तरह, बड़े-बड़े अभिमानियों और अत्याचारियों का गुमान भी समय के साथ ख़त्म ही हो जाता है।  

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तोप कविता का भावार्थ- Tope Poem Explanation in Hindi :

कम्पनी बाग़ के मुहाने पर
धर रखी गई है यह 1857 की तोप

इसकी होती है बड़ी सम्हाल
विरासत में मिले 
कम्पनी बाग की तरह
साल में चमकायी जाती है दो बार
तोप भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में वीरेन डंगवाल जी ने भारत के पहले स्वतंत्रता-संग्राम के समय अंग्रेजों द्वारा उपयोग की गई तोप के बारे में बताया है। जो कि कंपनी बाग़ (कानपुर में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक बगीचा) के मुहाने पर अंग्रेजों की विरासत के रूप में रखी हुई है। हर साल स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के दिन कंपनी बाग़ के साथ-साथ इसे भी चमकाया जाता है। कंपनी बाग़ तथा यह तोप दोनों ही इतिहास की निशानियाँ हैं, जो अंग्रेजों ने हमें दी थी।

सुबह-शाम कम्पनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर
उड़ा दिये थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं के छज्जे
अपने ज़माने में
तोप भावार्थ : सुबह-शाम के वक्त बहुत से लोग कंपनी बाग़ में टहलने या घूमने आते हैं। वे सभी इस तोप के विशाल आकार को देख कर यह अनुमान लगा लेते हैं कि जब इसका इस्तेमाल होता होगा, तब यह कितनी ही भयंकर एवं शक्तिशाली होती होगी। इसने कितने ही बेगुनाह स्वतंत्रता सेनानी बेवज़ह मौत के घाट उतार दिए होंगे। कवि के अनुसार तोप आने-जाने वाले सैलानियों से कहती है कि “एक वक़्त था, जब मुझे देखकर बड़े-बड़े सूरमाओं पसीना छूट जाता था।”

अब तो बहरहाल
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
ख़ासकर गौरैयें

वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
एक दिन तो होना ही है उनका मुँह बन्द !
तोप भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि वीरेन डंगवाल जी ने तोप की वर्तमान दशा का वर्णन करते हुए, हमें यह बताने का प्रयास किया है कि हर अत्याचारी का अंत ज़रूर होता है।

तोप की वर्तमान स्थिति यह है कि वह एक बगीचे के मुहाने पर महज़ एक यादगार ऐतिहासिक निशानी के रूप में रखी हुई है। जिसके ऊपर बच्चे चढ़ कर खेलते हैं। जब बच्चे नहीं होते हैं, तो उसके ऊपर चिड़िया आकर बैठ जाती है। खासकर गौरैया तो इसके मुँह के अंदर भी घुस जाती है। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि जिस तोप ने बड़े-बड़े सूरमाओं का अंत किया था, आज खुद उसकी दशा ऐसी है कि उसके मुँह में घुस कर चिड़िया खेल रही है। इसलिए विनम्र रहना और सज्जनों का आदर करना ही हमें एक मनुष्य के रूप में शोभा देता है, क्योंकि बड़बोले लोगों का मुंह वक़्त की मार से अपने-आप ही बंद हो जाता है।

Hindi Sparsh Class 10 Chapters Summary
Chapter 1 : कबीर की साखी- कबीर
Chapter 2 : मीरा के पद- मीरा
Chapter 3 : बिहारी के दोहे- बिहारी
Chapter 4 : मनुष्यता– मैथिलीशरण गुप्त
Chapter 5 : पर्वत प्रदेश में पावस– सुमित्रानंदन पंत
Chapter 6 : मधुर मधुर मेरे दीपक जल– महादेवी वर्मा 
Chapter 7 : तोप– वीरेन डंगवाल
Chapter 8 : कर चले हम फिदा– कैफी आजमी
Chapter 9 : आत्मत्राण– रवींद्रनाथ टैगोर

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Question Answer
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Chapter 2: Mera Bai Ke Pad Ncert Solutions
Chapter 3: Bihari Ke Dohe Ncert Solutions 
Chapter 4: Manushyata Ncert Solutions 
Chapter 5: Parvat Pradesh Ncert Solutions
Chapter 6: Madhur Madhur Ncert Solutions
Chapter 7: Top Ncert Solutions 
Chapter 8: Kar Chale Ham Ncert Solutions 
Chapter 9: Atmatran Ncert Solutions

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