lakshman murcha class 12 Question Answer

लक्ष्मण मूर्छा कक्षा 12 चैप्टर 8 प्रश्न अभ्यास – lakshman murcha class 12 Chapter 8 Question Answer

लक्ष्मण मूर्छा प्रश्न 6: भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर-लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

उत्तर: अपने प्रिय अनुज लक्ष्मण को मूर्च्छित देख कर श्री राम बिल्कुल किसी साधारण मनुष्य की भांति भावुक हो गए और विलाप करने लगे। जिस प्रकार कोई साधारण मानव अपने प्रिय व्यक्ति को खोने के डर से या खोने के बाद व्याकुल हो उठता है, ठीक वैसे ही श्री राम ने भी किया। उनकी सभी संवेदनाएँ मानवीय थीं। जैसे कि अब वो उनसे कभी नहीं मिल सकेंगे। इसे देख कर हम यह कह सकते हैं कि अपने भाई के शोक में हुई राम की दशा को कवि श्री तुलसीदास जी ने सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में ही रचा है।

लक्ष्मण मूर्छा प्रश्न 7: शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविभव क्यों कहा गया हैं?


उत्तर: लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने के पश्चात वैद्य के कहे अनुसार हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने को गए हुए थे। वहाँ वो कई तरह की मुसीबतों में पड़ गए और इस कारण उन्हें लौटने में बहुत देर हो गयी। आधी रात बीतने के बाद भी वो वापस नहीं आए थे। इधर श्री राम मूर्च्छित लक्ष्मण को अपनी गोद में लिटाये हुए विलाप कर रहे थे।

उन्हें विलाप करते देख एवं उनकी भावुक बातों को सुन कर वहाँ उपस्थित वानर सेना भी अत्यंत दुःखी हो रही थी। तभी अचानक वहाँ संजीवनी बूटी का पर्वत लेकर  हनुमान आ जाते हैं। वैद्य सुषेण उनसे संजीवनी बूटी लेकर औषधि तैयार करते हैं और लक्ष्मण को पिला देते हैं। उसे पीते ही वीर लक्ष्मण उठ कर बैठ जाते हैं।

उनके ठीक हो जाने से समस्त सेना का पराक्रम लौट आता है। अर्थात हनुमान के अवतरण से ही समस्त सेना का उत्साह लौट आया। इस विश्लेषण से ज्ञात होता है कि शोकाकुल स्थिति में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव कहा गया है। 

लक्ष्मण मूर्छा प्रश्न 8:
जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाइ गवाई।।
बरु अपजस सहतेऊँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं।।

भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप-वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित हैं?

उत्तर: लक्ष्मण मूर्छा की प्रस्तुत पंक्तियों में श्री राम कहते हैं कि अब मैं कौन सा मुँह लेकर अयोध्या वापस जाऊंगा। लोग क्या कहेंगे कि पत्नी के लिए इतने प्यारे भाई को गंवा आया। उन्हें बहुत दुःख हो रहा है कि वे पत्नी के लिए भाई से बिछड़ गए। इससे अच्छा तो यह होता कि पत्नी भले ही न मिले, भाई साथ होता। वे पत्नी को खो देने का अपयश सह लेते परंतु भाई से बिछड़ना नहीं सह पाएंगे।

नारी की क्षति कोई विशेष बात नहीं है पर भाई साथ होना जरूरी है । इन वचनों से स्त्री के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण दिखाई पड़ता है क्योंकि यहाँ उन्होंने पत्नी से ज्यादा महत्व भाई को दिया है। परंतु इसका दूसरा पहलू यह भी है कि जब मानव दुःखी होता है, तब वह दुःख में इसी तरह की बातें कर बैठता है। इसीलिए यहाँ पर श्री राम की मानसिक परिस्थिति को समझना चाहिए और उनके कहे गए शब्दों को नकारात्मक रूप में नहीं लेना चाहिए।

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