Class 11 Hindi Aroh Chapter 17 – कक्षा 11 हिंदी आरोह पाठ 17
Table of Content:
1. दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय
2. गज़ल कविता का सारांश
3. गज़ल कविता
4. गज़ल कविता का भावार्थ
5. गज़ल कविता प्रश्न अभ्यास
6. Class 11 Hindi Aroh Chapters Summary
दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय – Dushyant Kumar Ka Jeevan Parichay
उत्तर प्रदेश में स्थित राजपुर नवादा नामक गांव में दुष्यंत कुमार जी का जन्म हुआ था सन् 1933 में हुआ था। इनका पूरा नाम बचपन में दुष्यंत कुमार था। इन्होंने एम. ए. की पढ़ाई प्रयाग विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरा किया एवं एम.ए. की पढ़ाई के बाद ही इनका साहित्यिक जीवन आरंभ हुआ।
दुष्यंत कुमार जी ने राजभाषा विभाग में एवं आकाशवाणी में भी कार्य किया मध्यप्रदेश जैसे जगह में रहकर। इस महान व्यक्ति की मृत्यु सन् 1975 में बहुत ही कम उम्र में हो गई और हिंदी साहित्य जगत का बहुत बड़ा नुक़सान हो गया।
दुष्यंत कुमार जी की साहित्यिक विधाएं बहुत ही अनोखी है इन्होंने ग़ज़ल को ही ज्यादा महत्व दिया है। इन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से हमेशा आवाज़ उठाया है। समाज में जो भी गलत सही होता है उन्होंने उसको अपने ग़ज़ल के माध्यम से व्यक्त किया है। उनके हर ग़ज़ल एवं शेर का बहुत ही ज्यादा महत्व है एवं इनके ग़ज़ल एवं शेर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध भी है और समय-समय पर उनका प्रयोग भी लोगों द्वारा किया जाता है।
इनकी प्रमुख रचनाएं हैं साए में धूप, सूर्य का स्वागत आदि।
इसके साथ ही 9 उपन्यास भी लिखे हैं जो कि इस प्रकार है-छोटे-छोटे सवाल, आंगन में जिंदगी आदि।
गज़ल कविता का सारांश – Dushyant Kumar Ghazal Class 11 Summary
गजल के विषय में हम सभी जानते हैं कि ग़ज़ल का कोई शीर्षक नहीं होता है। यहां पर भी कोई शीर्षक नहीं मौजूद है। सूर्य के साए नामक ग़ज़ल का यह एक अंश है जिसके विषय में कवि ने यहां पर पूरा वर्णन किया हुआ है तो चलिए जानते हैं कि आखिरकार यहां पर कवि क्या कहना चाहते हैं।
ग़ज़ल में बताए गए हर एक बात का बहुत ज्यादा महत्व होता है वह हर एक शब्द का अपना एक अर्थ होता है। यहां पर कभी ने राजनीति करने वाले लोगों पर व्यंग किया है कि किस तरीके से झूठे वादों के माध्यम से लोगों को बेवकूफ बनाते हैं एवं वोट मांगने चले आते हैं एवं वोट ले लेने के बाद वह अपना संपर्क लोगों से भूल जाते हैं और उनको एक तुच्छ व्यक्ति समझ जाते जबकि लोगों के कारण ही वह जीते हैं एवं उनका मान सम्मान होता है इस गंदी राजनीति पर कवि ने तिरछा व्यंग किया है।
कवि के अनुसार पेड़ के साए में ही लोगों को धूप मिलता है। कवि के अनुसार हमें कभी भी किसी का आश्रय नहीं लेना चाहिए क्योंकि जो लोग हमें आश्रय देते हैं वह लोग हमें सुनाते भी है।
कवि के अनुसार हमेशा स्वाधीन तरीके से रहना चाहिए स्वाधीन जीवन जीना चाहिए कभी भी किसी के भरोसे जिंदगी को नहीं जीना चाहिए इससे हम उस जिंदगी के आदी हो जाते हैं।
जब हमें सच का पता चलता है तो हम आधे जमीन पर और आधे पानी में खड़े रहते हैं अर्थात कवि कहते हैं कि जिंदगी में सब को एक अच्छा जीवन यापन करने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता है जितना हो सके दूसरों पर निर्भर कम होना चाहिए। यही संदेश कवि ने यहां देना चाहा है।
गज़ल कविता – Ghazal Poem
कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।
यहाँ दरखतों के साय में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चल और उम्र भर के लिए।
न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढक लगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।
खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नजारा तो हैं नजर के लिए।
वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बकरार हूँ आवाज में असर के लिए।
तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात जरूरी हैं इस बहर के लिए।
जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।
गज़ल कविता की व्याख्या – Gazal Class 11 Explanation
कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: इस कविता के माध्यम से कवि ने समाज एवं राजनीति में चलने वाली हलचल को खत्म कर एक नई सुबह के बारे में, एक नए तरीके के बारे में बताने की कोशिश की है। कवि देश के महान नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि चुनाव से पहले इन महान नेताओं ने वादा किया था कि वे समाज के प्रत्येक लोगों को चिराग उपलब्ध करवाएंगे।
यानी कि कुछ मूलभूत सुख सुविधा उपलब्ध करवाएंगे, मगर यह सोचने की बात है कि यह कैसे हो सकता है, जबकि इस शहर में ही यह सुख सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, तो लोगों को सुविधाएं कैसे उपलब्ध होगी।
यहाँ दरखतों के साय में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चल और उम्र भर के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: दूसरी ओर कवि ने उन संस्थाओं के बारे में बताया है, जो लोगों को सुख सुविधा उपलब्ध करवाने के नाम पर ही उनका शोषण कर जाते हैं। अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि यह संस्था एक ऐसा पेड़ है, जहां पर लोग छाया पाने के लिए जाते हैं, मगर उनको छाया के बज़ाय धूप मिलती है। अर्थात उनका शोषण होता है। कवि ऐसे लोगों से बचने के लिए कहते हैं एवं स्वच्छंद जीवन जीने का संदेश देते हैं।
न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढक लगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: यहां पर कभी ने आम जीवन जीने वाले लोगों के विषय में बताया है कि यह लोग मजबूर लोग हैं। यह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते हैं। इनकी गरीबी इनसे लाख कुछ करवाना चाहें, मगर यह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि ना ही इनके पास पैसा है और ना ही वह ताकत जिसके जरिए यह अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा कर सकें।
यह ऐसे लोग होते हैं जिनके पास अपना शरीर ढकने के लिए कपड़े नहीं होते। ये अपने पैर से ही अपने पेट को ढक लेते हैं। ऐसे ही गरीब लोगों का फायदा वह लोग उठाते हैं ,जो शोषण करते हैं क्योंकि अगर इन लोगों का शोषण नहीं होगा, तो राज में शांति कैसे बनी रहेगी। ऐसे लोगों का शोषण करके ही तो लोगों को वाहवाही मिलती है, तभी तो इन गरीबों का शोषण होता है।
खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नजारा तो हैं नजर के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: दूसरी तरफ कवि कहते हैं कि इन गरीबों के पास एक बेहतरीन शक्ति होती है, वह शक्ति है कल्पना शक्ति। ये कल्पना के माध्यम से हर चीज को भाप लेते हैं। अपने हर सपने को कल्पना के माध्यम से पूरा कर लेते और उन्हें यह कल्पना ईश्वर भगवान प्रदान करते हैं। जिनको ये बहुत ज्यादा मानते हैं।
इन लोगों ने ईश्वर को कभी देखा नहीं, परंतु ईश्वर को मन ही मन भाप लेते हैं एवं ये अपनी कल्पना शक्ति का श्रेय भी ईश्वर को ही देते हैं कि ईश्वर के कारण ही ये अपनी जिंदगी के कुछ अधूरे सपनों को सपनों के माध्यम से ही देख लेते हैं और कल्पना में अपने अधूरे सपनों को पूरा भी करते हैं।
वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बकरार हूँ आवाज में असर के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: यहां पर कवि ने आम व्यक्तियों के विचारों के विषय में बताया है कि आम व्यक्ति भ्रष्ट लोगों के विषय में यही सोचते एवं समझते हैं कि भ्रष्ट लोगों के मन में कोई सोच या उनके पास दिल नहीं होता, तभी तो वह लोगों का शोषण करते हैं एवं जिंदगी में खुश रहते हैं। फिर कवि कहते हैं कि आम व्यक्ति अगर विरोध करने पर उतर जाए, क्रांति लाए, तो शायद उनकी जिंदगी बदल सकती है।
तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात जरूरी हैं इस बहर के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: कवि फिर कहते हैं कि शायरों एवं शासक में बहुत ताकत होती है, जो अपनी लेखनी के माध्यम से ऐसे गलत लोगों का विरोध करते हैं। जब शायरी विरोध पर उतर जाती है, तब सत्ता के लोग इनकी आवाज बंद करने के लिए, इनकी लेखनी पर ही प्रतिबद्धता लगा देते हैं और अपने चेहरे को लोगों के सामने आने से रोक देते हैं।
जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।
Gazal Class 11 Explanation: अंत में कवि कहते हैं कि दुनिया के हर एक व्यक्ति को स्वाधीन होकर जीना चाहिए। हर एक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि चाहे वह अपने लिए जिए या औरों के लिए जिए, दूसरों का उद्धार करें या अपना उद्धार करें, मगर उनको मानव जीवन के मूल्यों को समझना होगा।
यदि कोई व्यक्ति मानव जीवन के मूल्यों को नहीं समझता है, तो वह मानव नहीं हो सकता है। अर्थात हर मानव को स्वाधीन तरीके से जीना चाहिए और हर एक के जीवन को सुखमय बनाने के लिए एक दूसरे की मदद करना चाहिए ना कि उनका शोषण करना चाहिेए।
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