Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 4 Mera Chota Sa Niji Pustakalaya Summary

इस पाठ में हम कक्षा 9 संचयन पाठ 4 मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय का सारांश (class 9 hindi sanchayan chapter 4 Mera chota sa niji pustakalaya summary) पढ़ेंगे और समझेंगे।

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय लेखक धर्मवीर भारती का जीवन परिचय

धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद के अतर सुइया मुहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिताजी  का नाम श्री चिरंजीव लाल वर्मा और माँ का श्रीमती चंदादेवी था। स्कूली शिक्षा डी.ए. वी हाई स्कूल में और उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई थी। प्रथम श्रेणी में एम ए करने के बाद डॉ धीरेंद्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध-प्रबंध लिखकर उन्होंने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।


धर्मवीर भारती बहुचर्चित लेखक एवं संपादक थे। कई पत्रिकाओं से जुड़े अंत में ‘धर्मयुग’ के संपादक के रूप में गंभीर पत्रकारिता का एक मानक निर्धारित किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी धर्मवीर भारती की लेखनी कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, आलोचना, अनुवाद, रिपोर्ताज आदि अनेक विधाओं द्वारा हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं–

कहानी संग्रह : मुर्दों का गाँव, स्वर्ग और पृथ्वी, चाँद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, साँस की कलम से, समस्त कहानियाँ एक साथ।

काव्य रचनाएं : ठंडा लोहा, सात गीत वर्ष, कनुप्रिया, सपना अभी भी, आद्यन्त, देशांतर।

उपन्यास: गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों का देश, प्रारंभ व समापन।

निबंध संग्रह : ठेले पर हिमालय, पश्यन्ती, कहनी-अनकहनी, कुछ चेहरे कुछ चिन्तन, शब्दिता, मानव मूल्य और साहित्य।

एकांकी व नाटक : नदी प्यासी थी, नीली झील, आवाज़ का नीलाम आदि।

पद्य नाटक : अंधा युग।

आलोचना : प्रगतिवाद : एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य।

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 4 Mera Chota Sa Niji Pustakalaya Summary

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ की भूमिका

लेखक द्वारा इस आत्मकथात्मक अंश में अपना पुस्तकों के प्रति प्रेम और लगाव अभिव्यक्त किया गया है। लेखक के बचपन में उनके यहाँ इतनी पुस्तकें एवं पत्र-पत्रिकाएँ आती थीं कि उन्हें बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का शौक लग गया था। लेखक को अपनी लाइब्रेरी बनाने की प्रेरणा कैसे मिली और कब उन्होंने अपनी पहली निजी पुस्तक खरीदी, इसका वर्णन पाठकों को पुस्तक पढ़ने और उन्हें सहेजकर रखने के लिए प्रेरित करता है।

प्रस्तुत आत्मकथात्मक रचना ‘मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय’ प्रसिद्ध रचनाकार एवं पत्रकार धर्मवीर भारती के निधन से सात आठ साल पूर्व की है। सन् 1989 ई. में लेखक एक बार गंभीर रूप से बीमार हुए थे। वे एक के बाद एक जबरदस्त हार्ट अटैक की चपेट में आ गए थे। अस्पताल में इलाज के बाद लेखक अर्द्ध-मृत्यु की अवस्था में घर वापस आए।

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ का सारांश

‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के लेखक का बीमार होना 

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: लेखक को लगातार एक के बाद एक हार्ट अटैक आए। इसके इलाज के लिए लेखक को अस्पताल में भर्ती हुए और घर आने के बाद उन्होंने ज़िद ठान ली कि उन्हें उनकी किताबों वाले कमरे में रखा जाए। उन्हें उसी लाइब्रेरीनुमा कमरे में लिटा दिया गया।

लेखक को डॉक्टर की हिदायत थी कि वे पूरी तरह से आराम करें। उन्हें चलना, बोलना, पढ़ना सब मना कर दिया गया। लेखक उस छोटे से निजी पुस्कालय में लेटे हुए थे। लेखक ने परी कथाओं में पढ़ा था कि एक राजा के प्राण उसके शरीर में नहीं बल्कि तोते में रहते थे। वैसे ही उन्हें भी लगता था कि उनके प्राण भी उनके शरीर में नहीं है। उनके प्राण शरीर से निकल चुके हैं और वे इन हजारों किताबों में बस गए हैं, जो पिछले चालीस-पचास वर्षों में धीरे-धीरे उनके पास जमा होती गईं।

बचपन में लेखक को पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने का शौक 

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: लेखक की माँ ने स्त्री-शिक्षा के लिए आदर्श कन्या पाठशाला की स्थापना की थी। इन बातों से बचपन से ही लेखक प्रभावित होते रहे। लेखक को बचपन में ही नियमित रूप से आर्यमित्र साप्ताहिक, वेदोदम, सरस्वती, गृहिणी और बाल पत्रिकाएँ बाल सखा एवं चमचम पढ़ने का अवसर मिला। लेखक को सत्यार्थप्रकाश जैसी पुस्तकों को पढ़ने का भी अवसर प्राप्त हुआ।

‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के लेखक द्वारा निजी पुस्तकालय का वर्णन

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary:  लेखक के बचपन का पूरा माहौल ही पुस्तकों से संपर्क का था। लेखक पर इन चीजों का प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपने बाल्यकाल में स्कूली किताबों से अधिक इन किताबों और पत्रिकाओं को ही पढ़ा। अपने छोटे से निजी पुस्तकालय के विषय में लेखक ने बताया है। कि कैसे उस पुस्तकालय का विकास हुआ और कब शुरुआत हुई, कब इस लघु-पुस्तकालय के लिए पहली किताब खरीदी गई। 

जब लेखक के पांचवी कक्षा में अंग्रेज़ी विषय में सबसे ज्यादा नंबर आए तो उन्हें स्कूल की तरफ से इनाम में दो अंग्रेज़ी किताबें मिली थी। एक किताब के माध्यम से लेखक को पक्षियों से भरे आकाश का ज्ञान हुआ और दूसरी किताब में रहस्यों से भरे समुद्र का ज्ञान हुआ।

लेखक के पिता जी ने अपनी अलमारी के एक खाने से अपनी चीजें हटा दीं और लेखक के लिए उसे सुरक्षित कर दिया।

लेखक के पिताजी द्वारा उन्हें किताबें सहेजने की प्रेरणा देना 

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: जब आर्य समाज का सुधारवादी आंदोलन शीर्ष पर था, तब लेखक के पिता आर्यसमाज रानीमंडी के प्रधान थे।

लेखक के पिताजी उनकी किताबों को पढ़ने की रुचि से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने अपनी अलमारी के एक खाने से अपनी चीजें हटा दीं और लेखक के लिए उसे सुरक्षित कर दिया। बस, यहीं से लेखक की निजी लाइब्रेरी आरंभ हुई। और यही से लेखक को अपने पिताजी से किताबों को सहेजने की प्रेरणा भी मिली।

‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के लेखक द्वारा पहली पुस्तक खरीदना 

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: लेखक जीवन में पहली बार साहित्यिक पुस्तक की खरीद के विषय में बताते हैं कि माँ के कहने पर लेखक ने देवदास फ़िल्म देखने का निश्चय किया। वह पुस्तकों को बेचने और पुरानी पुस्तकों को खरीदने से बचे दो रुपयों को लेकर सिनेमा देखने गए लेकिन फिल्म शुरू होने में थोड़ी देर होने की वजह से वहीं सामने की किसी किताब की दुकान पर लेखक की नज़र पड़ी और लेखक ने शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पुस्तक देवदास रखी देखी।

लेखक का ध्यान उस ओर खिंच आया। लेखक ने कीमत पूछी तो पता चला एक रुपए मात्र दुकानदार ने एक रुपए से कम में ही वह पुस्तक उन्हें दे दी। वह पुस्तक केवल दस आने में लेखक को मिल गई। लेखक ने बचे एक रुपए छह आने माँ को लौटा दिए। यह पहली किताब स्वयं लेखक द्वारा खरीदी गई। यह जीवन भर याद रखने वाली घटना थी। 

‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के लेखक के निजी पुस्तकालय का विस्तार

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: लेखक स्कूल-कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद एक दिन यूनिवर्सिटी पहुँचे और अध्यापन की दुनिया में आ गए। अध्यापन छोड़कर लेखक इलाहाबाद होते हुए मुंबई आ गए जहाँ आकर संपादन की दुनिया में प्रवेश किया। इसी रफ़्तार में और इसी क्रम से लेखक की निजी लाइब्रेरी का विस्तार भी होता गया। निजी लाइब्रेरी के विस्तार की प्रेरणा लेखक को इलाहाबाद में रहते हुए मिली।

‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के लेखक द्वारा बीमार हालात में भी पुस्तकालय में पड़ी पुस्तकों को याद करना

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: लेखक ने पुस्तक जमा करने का इरादा भी बना लिया और धीर-धीरे करके उनकी निजी लाइब्रेरी में हिंदी, अंग्रेजी के उपन्यास, नाटक, कथा-संकलन, जीवनियाँ, संस्मरण, इतिहास, कला, पुरातत्व, राजनीति की हजारों पुस्तकें इकट्ठी हो गई। लेखक पीछे नजर दौड़ाते हैं तो उन्हें अपनी पहली किताब खरीदने की प्रबल इच्छा याद आ जाती है। 

लेखक भारत के ही नहीं, विश्व स्तर के एक जाने-माने विद्वान है। वे भारतीय पत्रकारिता के लिए गौरव का विषय बने हुए हैं। उनकी लाइब्रेरी में रेनर मारिया रिल्के, स्टीफेन ज्वीग, मोपाँसा, चेखव टालस्टाय, दास्तोवस्की, मायकोवस्की, सोल्जेनिस्टिन, स्टीफेन स्पेंडर, आडेन एज़रा पाउंड, यूजीन ओ नील, ज्याँ पाल सात्रे, ऑल्बेयर काम आयोनेस्को, पिकासो, रेम्ब्राँ की कृतियाँ हैं। हिंदी में कबीर, सूर, तुलसी, रसखान, जायसी, प्रेमचंद, पंत, निराला, महादेवी के साथ और कितने ही लेखकों, चिंतकों की साहित्यिक कृतियों से पुस्तकालय भरा पड़ा है।

कवि वृदा करंदीकर का लेखक से मिलने आना

Class 9 mera chota sa niji pustakalaya summary: बीमारी की हालत में लेखक से मिलने आए मराठी के वरिष्ठ कवि वृदा करंदीकर ने लेखक से कहा- “भारती, ये सैकड़ों महापुरुष जो पुस्तक रूप में तुम्हारे चारों ओर विराजमान हैं, इन्हीं के आशीर्वाद से तुम बचे हो। इन्होंने तुम्हें पुनर्जीवन दिया है।” लेखक ने मन-ही-मन करंदीकर को और उन महापुरुषों को प्रणाम किया।

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ का उद्देश्य

लेखक अपनी इस रचना के माध्यम से हमें किताबें खरीदने, पढ़ने और सहेजने के लिए प्रेरित करते हैं।

मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ:-

अवरोध- रुकावट

अर्धमृत्यु- अधमरा

ठसाठस- खचाखच

सुसज्जित- अच्छी तरह सजाया हुआ

रोचक- मनोरंजक

अदम्य- जो दबाया न जा सके, प्रबल

अदभुत- अनोखा

रूढ़ियाँ-प्रथा

कुंजों- झाड़ियाँ

रोमांचित-पुलकित

प्रख्यात-प्रसिद्ध

स्वप्न- सपना

दिवंगत-स्वर्गीय

अनिच्छा- बेमन से, इच्छा न होते हुए भी

कसक-पीड़ा

विपन्न- गरीब

धीरज-धैर्य

पुरातत्व- प्राचीन अनुसंधान एवं अध्ययन से संबंधित ज्ञान

हज़ारहा- हज़ार से अधिक

शिद्त- अधिकता, प्रबलता

वरिष्ठ- बड़ा, पूजनीय

कक्षा 9 की पुस्तक संचयन के अध्याय चौथे मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय पाठ का सारांश ‘Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 4 mera chota sa niji pustakalaya‘ से जुड़े प्रश्नों के लिए हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।

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