Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 Smriti Summary

इस चैप्टर में हम कक्षा 9 संचयन पाठ 2 स्मृति पाठ का सारांश – Sanchayan Class 9 Chapter 2 Smriti Summary पढ़ेंगे और समझेंगे।

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 Smriti Summary

स्मृति पाठ के लेखक श्रीराम शर्मा का जीवन परिचय

लेखक श्रीराम शर्मा का जन्म 23 मार्च 1896 में उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले के किरथरा (मक्खनपुर के पास) नामक गाँव में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इनके गाँव मक्खनपुर में हुई। इनके पिता का नाम प० रेवतीराम शर्मा था और इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इनके गाँव मक्खनपुर में ही हुई थी

इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। ये बचपन से ही साहसी एवं आत्मविश्वासी थे। प्रारंभ में अध्यापन कार्य करने के बाद लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से राष्ट्र और साहित्य सेवा में जुटे रहे। ये राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेते हुए कई बार जेल भी गए।


लेखक का साहित्यिक परिचय 

इन्होंने अपना साहित्यिक जीवन पत्रकारिता से प्रारंभ किया। विशाल भारत के संपादक के अतिरिक्त गणेशशंकर विद्यार्थी के दैनिक पत्र ‘प्रताप’ में भी सहसंपादक के रूप में भी कार्य किया। ये ‘शिकार साहित्य’ के भी प्रसिद्ध लेखक थे। हिन्दी साहित्य के शिकार-साहित्य का प्रारम्भ इन्हीं के द्वारा माना जाता है इनके ज्यादातर लेख राष्ट्र भावना से जुड़े हुए थे जिससे इनकी ख्याति आम जनमानस के मध्य बढ़ती चली गयी इनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं–

शिकार-साहित्य  – प्राणों का सौदा, जंगल के जीव, बोलती प्रतिमा, शिकार।

संस्मरण – साहित्य – सेवाग्राम की डायरी, सन् बयालीस के संस्मरण, 

जीवनी – गंगा मैया, नेताजी।

भाषा-शैली :-

लेखक श्रीराम शर्मा जी की भाषा सरल, सहज एवं प्रभावशाली खड़ीबोली है जिसमें संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग किया है।

स्मृति पाठ का सारांश

स्मृति पाठ की भूमिका

‘स्मृति’ कहानी लेखक श्रीराम शर्मा द्वारा रचित है इसमें लेखक ने बाल्यावस्था की एक घटना का सजीव चित्रण किया है। इस कहानी का घटनाक्रम इतनी रोमांचक शैली में लिखा गया है कि प्रत्येक क्षण, परिस्थिति की गंभीरता और सामने आए खतरे का वर्णन पाठक के कौतूहल को आदि से अंत तक बनाए रखता है। बच्चों की सहज जिज्ञासा एवं क्रीड़ा कैसे कभी-कभी उन्हें कठिन एवं जोखिमपूर्ण निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा करती है, इसका बहुत ही सजीव वर्णन प्रस्तुत किया गया है।

स्मृति पाठ के पात्रों का परिचय 

लेखक- श्रीराम शर्मा, उनके बचपन की एक रोचक घटना का वर्णन।

लेखक का बड़ा भाई- लेखक का अपने बड़े भाई के प्रति भय।

लेखक का छोटा भाई- लेखक का छोटा भाई उनके साथ खेलता और कुएँ से चिट्ठियां निकालने में मदद करता है।

लेखक की माताजी- लेखक की माँ का लेखक और उनके भाई के प्रति स्नेह।

अन्य पात्र- लेखक के गाँव के लोग और उनके सहपाठी।

स्मृति पाठ के लेखक का बचपन 

Class 9 Smriti Summary: लेखक ने एक घटना के माध्यम से अपने बचपन के बारे में बताया है। लेखक का बचपन गाँव में बीता। उनका एक छोटा और एक बड़ा भाई था। सन 1908 ई में दिसम्बर या जनवरी का महीना होगा, शाम के समय लेखक अपने साथियों और छोटे भाई के साथ झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खा रहे थे। तभी उनके गाँव के एक आदमी ने उन्हें जोर से आवाज़ लगाई कि तुम्हारे बड़े भाई बुला रहे हैं। 

लेखक का अपने बड़े भाई से भय

Class 9 Smriti Summary: लेखक अपने छोटे भाई के साथ घर की ओर चल दिए। वे अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे लेखक घर जाते समय रास्ते में एक ही बात सोच रहे थे कि आज घर जाकर बड़े भाई से खूब पिटाई होगी। लेखक जैसे ही घर पहुँचे तो उनके बड़े भाई आँगन में बैठकर पत्र लिख रहे थे। अब उनका भय दूर हुआ। उनके बड़े भाई ने कहा “इन पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ। तेज़ी से जाना, जिससे शाम की डाक में चिट्ठियां निकल जाएँ। ये बड़ी ज़रूरी हैं।”

स्मृति पाठ के लेखक की माँ का उनके प्रति स्नेह

Class 9 Smriti Summary : जाड़े के दिन थे। लेखक की माँ ने उनके और छोटे भाई के लिए भुने हुए चने एक धोती में बाँध दिए। दोनों भाई अपना-अपना डंडा लेकर घर से निकल पड़े। लेखक को अपने डंडे से बड़ा मोह था उनका मानना था कि मेरा डंडा अनेक सांपों  के लिए नारायण-वहन हो चुका था। लेखक और उनका छोटा भाई मक्खनपुर की और बढ़ते चले जा रहे थे और लेखक ने अपनी टोपी में चिट्ठियों को रख लिया था क्योंकि कुर्ते में ज़ेब नहीं थी। 

मक्खनपुर के कुएँ का वर्णन 

Class 9 Smriti Summary: दोनों भाई उछलते- कूदते एक कुएँ के पास आ गए जिसमें एक भयंकर काले रंग का सांप रहता था। 

कुआँ कच्चा और चौबीस हाथ गहरा था, उसमें पानी भी नहीं था। लेखक को दो महीने पहले ही कुएँ में सांप के होने का पता चला था। एक दिन लेखक और उनके सहपाठी स्कूल से लौट रहे थे। तभी उन्हें कुएँ में झाँकने की सूझी और लेखक ने उस कुँए में एक ढेला(पत्थर) फेंका। और फिर सांप के फुसफुसाने की आवाज़ आई। 

लेखक द्वारा चिट्ठियों का कुएँ में गिरना 

Class 9 Smriti Summary: दोनों भाई कुएँ में साँप का दृश्य देखने के लिए झाँकने लगते हैं। इसी क्रम में सिर पर रखी टोपी को बार-बार उतारना पड़ता है जिसमें चिट्ठियाँ सुरक्षित रखी गई थी। दुर्भाग्य से टोपी रखने-उतारने के क्रम में तीनों चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाती हैं।

चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने के बाद लेखक की स्थिति काफी दयनीय हो जाती है। लेखक उन चिट्ठियों को गिरते हुए देख उसे पकड़ने के लिए कुएँ में ऐसे ही लपकते हैं जैसे घायल शेर शिकारी को पेड़ पर चढ़ते देख उस पर हमला करता है। लेखक की पहुँच से बाहर हो जाने के कारण वे चिट्ठियाँ अंत में कुएँ में गिर जाती हैं।

चिट्ठियाँ कुएँ में गिर जाने के बाद लेखक की स्थिति

Class 9 Smriti summary: लेखक के सामने अब दो ही विकल्प शेष रह जाते हैं। या तो उन चिट्ठियों को वह किसी तरकीब से कुएँ से निकाल लें या घर जाकर झूठ बोलें और कहें कि तीनों चिट्ठियाँ डाक में डाल दी गईं। लेखक काफी सोच-विचार करने और रोने-धोने के उपरांत इसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उन चिट्ठियों को कुएँ से निकालना ही है। कुएँ से चिट्ठी निकालने का काम काफी कठिन था। 

लेखक और उनके छोटे भाई द्वारा चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का प्रयास 

Class 9 Smriti Summary: दोनों ने अपनी धोतियाँ उतारकर गाँठ बांधकर रस्सी तैयार की और रस्सी के एक छोर पर डंडा बांधकर कुएँ में गिरा दिया और उसके दूसरे छोर में लकड़ी बांधकर लेखक ने अपने छोटे भाई को पकड़ा दी। लेखक धीरे-धीरे कुएँ में उतरने लगे। तो उन्होंने देखा कि कुएँ में सांप फन फैलाकर बैठा हुआ था।  लेखक ने देखा दो चिट्ठियां सांप के पास पड़ी हुई थी और एक चिठ्ठी लेखक के पैर के पास पड़ी हुई  थी। 

लेखक ने डंडे से चिट्ठियां सरकाने का प्रयास किया और सांप की फुसकार से लेखक के हाथ से डंडा छूट गया। लेखक ने फिर प्रयास किया और तभी सांप डंडे से लिपट गया। लेखक ने जैसे ही डंडा अपनी और खींचा तो सांप की मुद्रा ही बदल गई थी। तभी लेखक ने चिट्ठियां उठा ली। लेखक ने चिट्ठियों को धोती से बाँध दिया, फिर उनके छोटे भाई ने ऊपर खींच लिया। लेखक भी डंडे के सहारे कुएँ से बाहर निकल गए। ऊपर आकर वे थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे तथा किशनपुर के एक लड़के ने उन्हें ऊपर चढ़ते हुए देख लिया था तभी लेखक ने उसे कहा कि इस घटना के बारे में किसी को न बताए।  

स्मृति पाठ के लेखक कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने में सफल

Class 9 Smriti summary: कुएँ में साँप की उपस्थिति से चिट्ठियों को निकालना मौत के साथ भिड़ने का काम था। इस कहानी में लेखक ने चिट्ठी निकालने की घटना का रोमांचक वर्णन किया है। काफी कोशिश के बाद लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकाल ही लीं। 

सन् 1915 में दसवीं कक्षा में पास होने के बाद लेखक ने यह घटना अपनी माँ को बताई और माँ ने लेखक को अपने आँचल में छुपा लिया।

स्मृति पाठ का उद्देश्य  

लेखक ने स्मृति कहानी के माध्यम से हमें यह बताने का प्रयास किया है कि हमें मुसीबत के समय अपनी सूझ-बूझ और धैर्य से काम लेना चाहिए। लेखक ने अपने बचपन की इस घटना को हमारे साथ सांझा करके बच्चों के बाल्यकाल के बारे में भी बताया है।

स्मृति पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ

चिल्ला- कड़ी सर्दी 

आशंका- डर 

भुँजाने- भुनवाना

मज्जा- हड्डी के भीतर भरा मुलायम पदार्थ 

झुरे- तोड़ना 

प्रसन्नवदन- प्रसन्न चेहरा 

उझकने- उचकना, पंजे के बल उचककर झाँकना 

प्रतिध्वनि- किसी शब्द के उपरांत सुनाई पड़ने वाला उसी से उत्पन्न शब्द, गूंज 

किलोलें- क्रीड़ा 

प्रवृत्ति- मन का किसी विषय की ओर झुकाव 

मृगशावक- हिरण का बच्चा 

ढाढें- ज़ोर-ज़ोर से रोना

उद्वेग- बेचैनी, घबराहट

दुधारी- दोनों तरफ से धार वाली, दो धारों वाली 

आश्वासन- भरोसा, दिलासा 

घातक- जो नुकसान पहुंचाए, घात करने वाला 

प्रतिद्वंद्वी- शत्रु, विपक्षी 

एकाग्रचित्तता- स्थिरचित्त, ध्यान 

सूझ- तरीका, उपाय 

चक्षुःश्रवा- आँखों से सुनने वाला 

गुंजल्क- गुत्थी, गाँठ 

वार- प्रहार, चोट 

ताकीद- बार-बार चेताने की क्रिया 

डैने- पंख 

अवलंबन-सहारा 

कायल- मानने वाला

कक्षा 9 संचयन पाठ 2 स्मृति पाठ का सारांश – Sanchayan Class 9 Chapter 2 Smriti Summary से जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिखें।

Tags

smriti class 9 summary

Leave a Comment