Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 Gillu Summary

इस पाठ में हम कक्षा 9 संचयन पाठ 1 गिल्लू का सारांश (class 9 hindi sanchayan chapter 1 gillu summary) पढ़ेंगे और समझेंगे।

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 Gillu Summary

गिल्लू पाठ की लेखिका महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907, फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ। उनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे। उनकी माता का नाम हेमरानी देवी था।


महादेवी जी की शिक्षा इन्दौर में मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई साथ ही संस्कृत, अंग्रेज़ी, संगीत तथा चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती रही। विवाह के बाद महादेवी जी ने 1919 में क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में प्रवेश लिया और कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं। 1921 में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यहीं पर उन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत की। वे सात वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखने लगी थीं और 1925 तक जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की, वे एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं। 1932 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. पास किया।

इनकी प्रमुख कृतियाँ –

काव्य संग्रह- निहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, यामा, दीपशिखा, प्रथम आयाम,अग्निरेखा, सप्तपर्णा।

रेखाचित्र- अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं।

संस्मरण- पथ के साथी, मेरा परिवार और संस्मरण।

निबंध: शृंखला की कड़ियाँ, विवेचनात्मक गद्य, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, संकल्पिता।

ललित निबंध: क्षणदा।

कहानियाँ: गिल्लू, नीलकंठ।

संस्मरण, रेखाचित्र और निबंधों का संग्रह: हिमालय।

पुरस्कार –

1956: पद्म भूषण

1982: ज्ञानपीठ पुरस्कार

1988: पद्म विभूषण

गिल्लू पाठ का सारांश

गिल्लू पाठ की भूमिका 

महादेवी वर्मा द्वारा लिखित ‘मेरा परिवार’ में से चयनित ‘गिल्लू’ एक संस्मरणात्मक गद्य रचना है। इस रचना के माध्यम से पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम, उनके संरक्षण की भावना उत्पन्न करने के साथ-साथ उनकी गतिविधियों का सूक्ष्म अवलोकन और उनसे सद्व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है। इस पाठ द्वारा पशु-पक्षियों को स्वच्छंद और मुक्त रख उनके स्वाभाविक विकास की भावना को भी प्रोत्साहित किया गया है।

गिल्लू पाठ के पात्रों का परिचय

  1. लेखिका : महादेवी वर्मा नन्हें से जीव(गिलहरी का बच्चा गिल्लू) को याद करती हैं।
  2. गिल्लू : गिलहरी का बच्चा, अंत में गिल्लू मृत्यु हो जाती है।

पाठ का सार

गिल्लू पाठ की लेखिका की छोटे जीव के प्रति संवेदना 

Gillu Summary: इस पाठ में लेखिका का एक छोटे से जीव यानि गिलहरी के बच्चे से अद्भुत प्रेम का परिचय मिलता है। गिलहरी का एक छोटा बच्चा शायद घोंसले से गिर गया है जिस पर निष्ठुर(कठोर) कौए टूट पड़े हैं। कौए उस नन्हे से शरीर में अपना आहार ढूंढ रहे थे। अचानक लेखिका की नज़र उस नवजात गिलहरी के बच्चे पर पड़ी, जिसे वह बचाने का प्रयास करने लगीं। लेखिका ने ध्यान से देखा तो गिलहरी के बच्चे के शरीर पर कौए की चोंच के दो निशान मिले।

गिल्लू पाठ की लेखिका के द्वारा घायल जीव( गिलहरी का बच्चा) का उपचार

Gillu Summary: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले गई। उन्होंने रुई से उसका खून पोंछकर उसके घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। लेखिका उसे जिंदा रखने के लिए रुई की पतली बत्ती को दूध में भिगोकर उसके मुँह में दूध डालने लगी।

पहले वह जीव मरणासन्न दिख रहा था लेकिन लेखिका की सेवा से वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया। लगभग तीन दिन बाद वह जीव अपने पंजे हिलाने की स्थिति में आ गया और लेखिका की ऊँगली अपने पंजे से पकड़ने लगा। यदि उसका उपचार सही ढंग से नहीं किया जाता तो शायद गिलहरी का यह बच्चा जीवित नहीं रहता। लेखिका ने उसे एक डलिया में रखना शुरू किया। 

गिल्लू पाठ की लेखिका ने गिलहरी के बच्चे का नाम ‘गिल्लू’ रखा 

Gillu Summary: लेखिका ने उस जीव की देख-भाल इतने अच्छे से की थी कि वह जीव अब दो वर्ष का हो गया। लेखिका ने उसका नाम ‘गिल्लू’ रखा जो उनके पैरों पर चढ़ जाता था और सर्र से उतरकर भाग भी जाता था। वह अपनी चमकीली आँखों से लेखिका के क्रिया-कलापों को भी देखा करता था। और लेखिका के घर से बाहर जाने पर गिल्लू भी दिन भर अपनी मन की ही करता था। लेखिका यह बताना चाहती है कि छोटे से छोटे जीव भी मनुष्य के व्यवहार को अच्छी तरह समझता है।

गिल्लू का लेखिका के प्रति स्नेह 

Gillu Summary: लेखिका जब घर आती, वह भी घर के अंदर चला आता और लेखिका से अपना स्नेह बतलाने लगता। लेखिका ने कितनी कठिनाई से उसे मेज़ पर रखी भोजन की थाली के पास बैठना सिखाया। और अब वह लेखिका के साथ खाना भी खाता है। गिल्लू बड़े शौक से काजू खाता था और उसका सबसे प्रिय भोजन काजू ही था। 

एक बार लेखिका मोटर-दुर्घटना में घायल होकर कुछ दिन तक अस्पताल में रही। अस्पताल से घर आने पर गिल्लू ने उनकी सेवा की। वह लेखिका के तकिए के सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से उसके सिर और बालों को इतने अच्छे से सहलाता कि उसका वहाँ से हटना लेखिका को किसी परिचारिका के हटने के समान लगता। इस प्रकार लेखिका के बीमार होने पर गिल्लू ने परिचारिका की भूमिका निभाई।

गिल्लू की मृत्यु 

Gillu Summary: लेखिका ने गिल्लू के विषय में यह भी बताया है कि गिलहरियों की आयु प्रायः दो वर्ष की होती है। शायद गिल्लू भी अपनी स्वाभाविक मौत से मरा था। किंतु उसके मरने से कुछ समय पहले लेखिका ने हीटर जलाकर उसके बदन को सेंका। उसके शरीर में गर्मी पैदा करने की कोशिश की, लेकिन लेखिका उसे बचा नहीं पाईं।

गिल्लू को सोनजुही की लता बहुत प्रिय थी इसलिए लेखिका ने सोनजुही की लता के नीचे ही गिल्लू की समाधि बनाई। लेखिका की एक छोटे-से जीव के प्रति ममता एवं स्नेह कहानी से स्पष्ट होता है।

गिल्लू पाठ का उद्देश्य

लेखिका ने अपने जीवन की स्मृति के माध्यम से हमें यह बताया है कि जीव के प्रति स्नेह, संवेदना और सहायता की भावना रखनी चाहिए। उन्होंने अपने इस अनुभव को हमारे साथ सांझा किया है। किस प्रकार एक छोटा जीव लेखिका के दिल में जगह बना लेता है। जीव की मृत्यु के बाद भी लेखिका उसकी यादों में खो जाती हैं।

गिल्लू पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ 

सोनजुही- जूही(फूल) का एक प्रकार जो पीला होता है 

अनायास- अचानक 

सघन- ठोस, घना 

हरीतिमा- हरियाली 

लघुप्राण- छोटा जीव 

छूआ-छुऔवल- चुपके से छूकर छुप जाना और फिर छूना 

समादरित- विशेष आदर 

अनादरित- आदर का अभाव, तिरस्कार 

अवतीर्ण- प्रकट

कर्कश- कटु, कानों को न भाने वाली 

काकद्वय- दो कौए 

निश्चेष्ट- बिना किसी हरकत के 

स्निग्ध- चिकना 

आश्वस्त- निश्चिंत

विस्मित- आश्चर्यचकित 

लघुगात- छोटा शरीर 

अपवाद- सामान्य नियम को बाधित या मर्यादित करने वाला 

खाद्य- भोजन 

घोंसले- नीड़, रहने की जगह 

परिचारिका- सेविका 

मरणासन्न- जिसकी मृत्यु निकट हो 

उष्णता- गरमी 

पीताभ- पीले रंग का 

कक्षा 9  की पुस्तक संचयन  के पहले अध्याय गिल्लू पाठ का सारांश ‘Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 gillu’ से जुड़े प्रश्नों के लिए हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।

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