Class 10 george pancham ki naak extra question answer

इस चैप्टर में हम कक्षा 10 की पुस्तक कृतिका में दिए गए दूसरे अध्याय ‘जॉर्ज पंचम की नाक के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर’ ( Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 george pancham ki naak Extra Question Answer) पढ़ेंगे और समझेंगे।

georg pancham ki naak extra questions

george pancham ki naak question 1. मूर्तिकार ने नाक लगाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए? क्या आपकी दृष्टि से उसके द्वारा किए गए प्रयास उचित थे? यदि आप होते, तो क्या करते?

georg pancham ki naak answer 1. मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की लाट(मूर्ति) की नाक लगाने के लिए बहुत प्रयास किए। सबसे पहले मूर्तिकार ने उस पत्थर तलाश करनी शरू की जिससे जॉर्ज पंचम की मूर्ति बनाई गई थी। लेकिन मूर्तिकार को पत्थर नहीं मिला क्योंकि वह पत्थर विदेशी था। इसके बाद मूर्तिकार ने देश के शहीदों की मूर्तियों की नाक लगाने का प्रयास किया परंतु जॉर्ज पंचम की नाक से सबकी नाक बड़ी थी। फिर  मूर्तिकार ने बिहार के सचिवालय के सामने शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाक को जॉर्ज पंचम की नाक के स्थान पर लगाने का प्रयास किया। अंत में जब मूर्तिकार असफल हुआ, तो उसने जिंदा नाक लगाने का प्रयास किया।


हमारी दृष्टि से मूर्तिकार के प्रयास उचित नहीं थे। एक मूर्ति की कटी नाक को इतना महत्व नहीं देना चाहिए कि उसके लिए किसी जिंदा व्यक्ति की नाक काटकर लगाना बिल्कुल भी उचित नहीं है। अगर मूर्तिकार की जगह मैं होती तो ऐसा बिल्कुल नहीं करती। यदि नाक लगानी ही थी तो इसके लिए मैं कोई सरल उपाय खोजती। 

george pancham ki naak question 2. समाचार-पत्रों की जन-जागरण में क्या भूमिका होती है? ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

georg pancham ki naak answer 2. समाचार-पत्र केवल सूचनाएँ या देश-विदेश के समाचार ही नहीं देते जन-जागरण उत्पन्न करने में लोगों को चेतना सम्पन्न बनाने में, प्रत्येक क्षेत्र में हलचल मचाने में समाचार-पत्र विशिष्ट भूमिका रखते हैं। ‘जॉर्ज पंचक की नाक’ पाठ में रानी एलिजावेथ की भारत आगमन की सूचना ही न केवल अखबारों द्वारा मिलती है, अपितु उनकी शाही तैयारियों की विस्तृत चर्चा भी मिलती है। रानी एलिज़ाबेथ के नौकरों, दावर्चियों, खान- सामों, अंगरक्षकों की पूरी की पूरी जीवनियाँ अखबारों में देखने को मिलती हैं। अखबार वाले सरकारी तंत्र के अनुकूल भी लिखते हैं और ऐसे कार्यों को छापने से भी बचते हैं, जिन कार्यों से सरकार की पोल खुलती हो। जिंदा नाक लगाने के शर्मनाक दिन कोई अखबार इस घटना को यथार्थ में छापकर अपनी साहसिक और ईमानदार छवि को प्रस्तुत न कर सका। अखबारों में केवल इतना छपा कि नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट के नाक लग गई। है। उस दिन सभी अखबार खाली थे क्योंकि या तो उनके अंदर सरकार के कुकृत्यों को उजागर करने का साहस नहीं था या फिर जिंदा नाक लगाने का अखबार वालों ने मीन विरोध किया था। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि जन-जागारण में समाचार-पत्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

george pancham ki naak question 3. दिल्ली की कायापलट क्यों होने लगी?

georg pancham ki naak answer 3. दिल्ली की कायापलट इसलिए होने लगी थी क्योंकि इग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ हिन्दुस्तान पधारने वाली थीं। रोज की अखबारों में महारानी के आने की चर्चा हो रही थी। रोज़ लंदन के अखबारों में खबरें आ रही थीं कि महारानी के शाही दौरे के लिए कैसी-कैसी तैयारियाँ हो रही हैं। दूसरी तरफ हिंदुस्तान में अधिकारियों द्वारा दिल्ली में जोर-शोर से तैयारियां चल रही थीं। सड़कों को साफ़ किया जा रहा था और इमारतों को बेहद सुंदर ढंग से सजाया गया था। 

george pancham ki naak question 4.‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में ‘नाक’ शब्द के माध्यम से किस बात पर व्यंग्य किया है? इसके आधार पर हमारे जीवन- मूल्यों पर प्रकाश डालिए।

georg pancham ki naak answer 4. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में ‘नाक’ शब्द सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। जॉर्ज पंचम की मूर्ति से लोगों द्वारा नाक काटना इस बात का विरोध किया है कि अंग्रेजों ने लंबे समय तक हमारे देश पर राज किया और उन्हें अपना गुलाम बनाया था। फिर भी भारतीय अधिकारी उनके सम्मान की रक्षा करना चाहते हैं। भारतीय परंपरा यह रही है कि अपने घर आए अतिथियों का सम्मान करना। यही हमारे जीवन मूल्य है कि अपने शत्रुओं का भी सम्मान करना। 

george pancham ki naak question 5. मूर्तिकार अपने सुझावों को अखबारों तक जाने से क्यों रोकना चाहता था?

georg pancham ki naak answer 5. मूर्तिकार असल में एक कलाकार था लेकिन पैसों से लाचार था। उसके मन में  देश के लिए  मान-सम्मान व प्रेम की भावना नहीं थी। वह पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार था। उसने जॉर्ज पंचम की नाक लगाने के लिए अपने देश के नेताओं की नाक को उतारने का सुझाव दिया। जब वह इस कार्य में असफल रहा, तब उसने सन् 1942 में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाक उतारने और अंत में जिंदा नाक काट कर लगाने का सुझाव दिया। मूर्तिकार अपने सुझावों को अखबार वालों तक जाने से इसलिए रोकना चाहता था क्योंकि अगर यह बात जनता तक पहुँच जाती, तो सरकारी तंत्र की नाक तो कटती ही, हो सकता है। लोग भी इसके विरोध में उठ खड़े होते। 

george pancham ki naak question 6. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता यहाँ तक कि भारतीय बच्चों की नाक फिट न बैठने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है?

georg pancham ki naak answer 6. भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और शहीद बच्चों की नाक का जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ा होना हमें यह बताता है कि हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों और शहीद बच्चों की प्रतिष्ठा जॉर्ज पंचम की प्रतिष्ठा से ज्यादा बड़ी है। जिस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए सरकारी तंत्र के हुक्काम(अधिकारी) चिंतित थे, उसकी नाक तो अपने देश के लिए शहीद हुए बच्चों से भी छोटी थी।

george pancham ki naak question 7. महारानी एलिज़ाबेथ के भारत आगमन के समय अखबारों में क्या छप रहा था ?

georg pancham ki naak answer 7. इंग्लैंड के अख़बारों में जो भी खबरे छपती थीं, वे सब अगले दिन हिंदुस्तान की अखबारों में नज़र आती थी कि रानी ने हल्के रंग का एक सुंदर सूट बनवाया है। जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मंगवाया गया है, जिसका खर्च चार सौ पौंड है। फिर तो रानी के नौकरों, बावर्चियों, खानसामों और अंगरक्षकों की जीवनियाँ भी अख़बारों में छपने लगीं, यहाँ तक कि शाही कुत्तों की भी तस्वीरें अख़बारों में छप गईं।

george pancham ki naak question 8. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में ‘कोई भी नाक फिट होने क़ाबिल नहीं निकली’ यह कह कर लेखक किस ओर संकेत करता है?

georg pancham ki naak answer 8. मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक लगाने के लिए देश के सभी नेताओं की नाके नापी। और सन् बयालीस में बिहार के सेक्रेटरिएट के सामने शहीद हुए बच्चों की स्थापित मूर्तियों की नाकों को भी नापा गया, परंतु सभी बड़ी थीं। इस कथन का अभिप्राय यह है कि जॉर्ज पंचम हमारे देश के नेताओं गांधी, पटेल, गुरुदेव रवींद्र नाथ, सुभाष चंद्र बोस, आजाद, बिस्मिल, नेहरू, लाला लाजपतराय, भगत सिंह और शहीद बच्चों की तुलना में कम था।

george pancham ki naak question 9.अंत में मूर्तिकार ने क्या योजना पेश की। योजना सुनकर परेशान हुए समिति सदस्यों को मूर्तिकार ने कैसे शांत किया?

अथवा

मूर्तिकार ने सभापति को जॉर्ज पंचम की नाक का क्या विकल्प बताया?

georg pancham ki naak answer 9. अंत में मूर्तिकार ने अपनी नायाब योजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि चूंकि मूर्ति को नाक लगना एकदम जरूरी है। इसलिए उसकी राय है कि चालीस करोड़ में से कोई एक जिंदा नाक काटकर मूर्ति को लगा दी जाए। यह योजना सुनकर समिति के सदस्य परेशान हो गए। मूर्तिकार ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि वे घबराएं नहीं तथा यह काम उस पर छोड़ दें। नाक वह स्वयं चुन लेगा।

george pancham ki naak question 10. मूर्ति को जिंदा नाक लगाने के पूर्व क्या प्रबंध किया गया?

georg pancham ki naak answer 10. जॉर्ज  पंचम की मूर्ति को जिंदा नाक लगाने से पहले मूर्ति की सुरक्षा के लिए वहाँ पहरेदारों को तैनात कर दिया गया। मूर्ति के आसपास का तालाब सुखाकर साफ किया गया। उसकी गाद(पानी के नीचे जमी हुई मिट्टी) निकाली गई और ताजा पानी डाल दिया गया ताकि जो जिंदा नाक लगाई जाने वाली थी वह नाक सूख न पाए।

george pancham ki naak question 11. नाक लगाने वाले दिन कोई भी सार्वजनिक समारोह आयोजित क्यों नहीं हुआ ?

georg pancham ki naak answer 11. नाक लगाने वाले दिन कोई भी सार्वजनिक समारोह इसलिए आयोजित नहीं हुआ क्योंकि जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर किसी ऐसे भारतीय की जिंदा नाक लगाई जानी थी, जो उस पर फिट आ जाए। इस मामले में सभी सरकारी नेता और अधिकारी डरे हुए थे। उन्हें डर था कि कहीं उनकी नाक ही जॉर्ज पंचम की नाक पर फिट न कर दी जाए। इसलिए सभी ने उस दिन कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया। एक और कारण यह भी था कि यह दिन भारत के लिए शर्म का दिन था। अब भी विदेशी मोह  में भारतीयों की बलि चढ़ाई जा रही थी। इस शर्म को छिपाने के लिए कोई सम्मान समारोह आयोजित नहीं हुआ।

कक्षा 10 की पुस्तक कृतिका में दिए गए दूसरे अध्याय ‘जॉर्ज पंचम की नाक कक्षा 10 कृतिका पाठ 2 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर’ Hindi Kritika Class 10 Chapter 2 george pancham ki naak Extra Question Answer जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिखें।

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