झांसी की रानी कविता- Jhansi Ki Rani Poem
झांसी की रानी कविता- Jhansi Ki Rani Poem झांसी की रानी कविता प्रथम पद :- सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, …