यह दीप अकेला प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1- ‘दीप अकेला के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा , गर्व भरा एवं मादमाता क्यों कहा है?
उत्तर- दीप मनुष्य का प्रतीक है, दीप तो स्नेह से भरा ही होता है, गर्व या मत की अनुभूति उसे नहीं हो सकती। किन्तु निष्ठा का प्रतीक है वह मनुष्य प्रेम गर्व मद सभी से युक्त होता है अतः स्नेह भरा गर्व भरा एवं मादमाता मानव है यह सब विशेषण मानव के ही है।
प्रश्न 2- यह दीप अकेला है ‘पर इसको भी पंक्ति को दे दो’
के आधार पर व्यष्टी का समष्टि में विलय क्यों और कैसे संभव है?
उत्तर- व्यष्टी का समष्टि में विलय इसलिए होना चाहिए क्यों कि व्यष्टी का समूह ही तो समष्टि है। व्यष्टी का महत्वसिर्फ समष्टि से नहीं आकी जा सकती। व्यक्ति को समाज में रहना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि उससे समाज को शक्ति मिलेगी।
व्यष्टी का समष्टि में विलय होना तभी संभव है, जब व्यष्टी की महत्वता को माना जाए। सरोवर महान है किन्तु वह बूंद बूंद से ही भरा है। अतः व्यक्ति को भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए।
प्रश्न 3- गीत और मोती की सार्थकता किससे जुड़ी है?
उत्तर- गीत की सार्थकता गायक से और मोती की गोता खोर से जुड़ी है।
प्रश्न 4- यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित ‘ पंक्ति के आधार पर व्यष्टी के समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता बताइए।
उत्तर- समष्टि का स्वरूप व्यष्टी के संख्या बल पे आधारित होता है। शक्ति व्यष्टी के पास होती है। अनेक व्यष्टी जब एक साथ हो जाती है, तब समष्टि का स्वरूप बनता है।
अकेला व्यक्ति शक्ति संपन्न होकर भी सब नहीं कर सकता है। पर जब वह समष्टि का अंग बनता है, तो उसे समष्टि का सहयोग मिलता है। उस काल में उसकी शक्ति में विकास आता है अतः व्यष्टी का विसर्जन कर सामान्य से है व्यष्ठी वह समष्टि दोनों का ही लाभ है।
प्रश्न 5- ‘ यह मधु है ………. तकता निर्भय ‘ – पंक्तियों के आधार पर बताइए कि ‘ मधु ‘ , गोरस’ और ‘ अंकुर ‘ की क्या विशेषता है ?
उत्तर- मधु कर्वाहट को दूर करके मधुरता भरता है , गोरस शक्ति प्रदान करता है और अंकुर जमीन से उगकर आकाश को झांकता है।ये प्रतिभाशाली व्यक्ति शहद के समान है जिसे स्वयं समय रूपी मधुमकखियों ने जमा किया गया है। जिस प्रकार शहद बनने में समय लगता है उसी प्रकार रचनाओं को भी बनने में समय लगता है ये दही या मक्खन के समान है जो कि असाधारण है जीवन भी कामधेनू के समान है जो हमारी सारी इच्छाओं को पूरा कर देता है अर्थात ये प्रतिभा शैली व्यक्ति दही या मक्खन के समान है ये जीवन रूपी कामधेनू के अमृत के समान पवित्र दूध के मथने से निर्मित हुआ है इसलिए महत्पूर्ण है।
प्रश्न 6- भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
(क)- यह प्रकृत, स्वयम्भू, ब्रह्म, अयुतः
इस को भी शक्ति को दे दो
उत्तर- मनुष्य की महानता का वर्णन किया है कवि इस लगू मानव को ही सब कुछ मानता है वह यह मानता है कि इसे रचने वाली कोई शक्ति नहीं अपितु यह अपने आप उत्पन्न हुआ है थी प्रकृति है यही श्रष्ठी निर्माता है ये सत्य से आंखे मिलने का साहस रखता है ये सत्ता के समान है ये किसी से जुड़ा हुआ नहीं है इसे भी शक्ति को दे देना चाहिए।
(ख)- यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र,
उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा
उत्तर- कवि कहता है कि मनुष्य कभी हार नहीं मानता यह इस धुएँ में भी तरूता से भरा रहता है हमेशा सतर्क वह सावधान रहता है इसकी आंखे हमेशा अनुराग से भरी रहती हैं यह हमेशा लोगो को अपनाने के लिए तैयार रहता है इसके भीतर जो अपनापन है वो कभी ख़तम नहीं होता ।
(ग)- जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय
इस को भक्ति को दे दो
उत्तर- मनुष्य में हमेशा कुछ जानने पहचाने की जिज्ञासा रहती है ।
इस व्यक्ति को भी भक्ति को दे दो अर्थात इसे समाज से जोड़ देना चाहिए जिससे समाज आध्यात्मिक रूप से बना रहे जुड़ा रहे और इस व्यक्ति की सारी आस्था समाज के काम आ सके ।
प्रश्न 7-‘ यह दीप अकेला ‘ एक प्रयोगवादी कविता है। इस कविता के आधार पर ‘ लघु मानव ‘ के अस्तित्व और महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- उत्तर यह दीप अकेला में कवि ने लघु मानव की महत्वता पर प्रकाश डाला है कि मनुष्य ही सब कुछ है सारी शक्तियां सारे गुण उसमे हैं उस व्यक्ति की सत्ता भी कम महत्पूर्ण नहीं है फिर भी व्यक्ति का समष्टि में विलय ही उसकी शक्ति का बोमिकरण है समाज में उसके मिलने से समाज मजबूत होगा राष्ट्र मजबूत होगा। समाज और सत्ता के साथ जुड़ने में ही सब का हित है।
Sir you are so grate your poem gyan is so helpful ly sir thank you so much