प्रश्न 1. अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन।
(क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?
(ख) उन आँखों से किसकी ओर संकेत किया गया है?
(ग) कवि को उन आँखों से डर क्यों लगता है?
(घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया है?
(ङ) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता क्या तब भी वह कविता लिखता?
उत्तर: (क) आमतौर पर हमें आकस्मिक दुर्घटनाओं, परिवारजनों की मृत्यु, धन-संपत्ति की हानि , सम्मान की हानि, निर्धनता आदि से डर लगता है।
(ख) ‘उन आँखों’ से किसान की आँखों की ओर संकेत किया गया है जिसमें अतीत के सुख भरे दिनों की यादें और वर्तमान की पीड़ा के आँसू भरे हुए हैं।
(ग) कवि को उन आँखों से डर लगता है क्योंकि उन आँखों में असहनीय पीड़ा छुपी हुई है। वे आँखें किसी अंधेरी गुफा के समान है जिसमें दूर-दूर तक केवल अंधकार है और प्रकाश का कोई स्रोत नहीं है।
(घ) भारत एक कृषि प्रधान देश है फिर भी यहाँ के किसान शोषण के शिकार हो रहे हैं। स्वतन्त्रता के बाद भी किसानों को ध्यान में रखकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिए गए हैं। किसान दुःखी हैं , अत्महत्या करने को विवश हैं।
पर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। समाज एवं सरकार को जागरूक करने का कवि ने प्रयास किया है इसलिए डरते हुए भी उसने किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन किया है।
(ङ) यदि कवि उन आँखों से नहीं डरता तो भी वह यह कविता अवश्य लिखता क्योंकि वह किसान की पीड़ा को गहराई से अनुभव कर सकता है।
प्रश्न 2. कविता में किसान की पीड़ा के लिए किन्हें जिम्मेदार बताया गया है?
उत्तर: कविता में किसान की पीड़ा के लिए महाजन , साहूकार , कोतवाल आदि को जिम्मेदार बताया गया है। क्योंकि महाजन ने ऋण चुकवाने के लिए किसान के घर, खेत, गाय , बैल सब को नीलाम करवा दिया।
साहूकार के आदमियों ने उसके बेटे की हत्या कर दी और कोतवाल ने उसकी विधवा बहू पर अत्याचार किया जिससे वह आत्महत्या करने को विवश हो गयी। इस प्रकार कविता में तत्कालीन उच्च वर्ग को किसान की पीड़ा का जिम्मेदार बताया गया है।
प्रश्न 3. “पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षण भर एक चमक है लाती” में किसान के किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति में किसान के अतीत के सुखपूर्वक दिनों की ओर संकेत किया गया है। जिसमें उसके पास लहलहाते खेत थे, भरापूरा परिवार था, प्यारा सा घर था, दुधारू गाय थी, बैल थे।
इन सब को याद करके उसकी आँखों में पल भर को चमक आ जाती है। पर अगले ही क्षण वह चमक लौट जाती है क्योंकि उसे याद आ जाता है कि परिस्थितियों ने उससे सब कुछ छीन लिया है।
अब उसके पास इनमें से कुछ भी नहीं है और वह असहनीय पीड़ा से गुजर रहा है।
4. संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें।
(क) उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
(ख) घर में विधवा रही पतोहू
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
(ग) पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण भर एक चमक है लाती
तुरत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती
उत्तर: (क) प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ कविता से ली गयी हैं। इस कविता में कवि ने किसानों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है।
किसान के पास एक गाय थी जिसे वह प्यार से उजरी कह कर पुकारता था। उजरी उसके अलावा किसी को भी अपने पास आकर दूध दुहने की अनुमति नहीं देती थी।
उस गाय को भी महाजन ने नीलाम कर दिया ताकि किसान से पैसे वसूल कर सके। किसान उजरी को याद कर के दुःखी होता है।
(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ कविता से ली गयी हैं। इस कविता में कवि ने किसानों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है। साहूकार के आदमियों ने किसान के जवान बेटे को लठियों से पीट पीट कर मार डाला था। उसकी विधवा घर में अकेली रह गयी थी।
किसान की पत्नी और बेटी तो पहले ही मर चुके थे। बेटे की हत्या के बाद केवल बहू ही घर में रह गयी थी। बहू तो घर की लक्ष्मी होती है, परंतु अब पति की मृत्यु का दोष सब उसी को देते हैं और उसे पति-घातिन अर्थात पति की हत्यारिन कहते हैं।
(ग) प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘वे आँखें’ कविता से ली गयी हैं। इस कविता में कवि ने किसानों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है। किसान अपने पुराने दिनों को याद कर रहा है ।
कवि कहता है कि किसान जब अपने पुराने दिनों को याद करता है तो उसकी आँखों में पल भर के लिए चमक आ जाती है क्योंकि उन यादों में सब कुछ बहुत ही अच्छा है। उसके पास लहलहाते खेत हैं , घर है, परिवार है, गाय-बैल हैं।
परंतु अगले ही पल यथार्थ से उसका सामना होता है और उसकी आँखों की चमक आंसुओं में बदल जाती है। उसकी नज़र शून्य में गड़ जाती है और किसी तीखी नोक सी चुभने लगती है।
प्रश्न 5. “घर में विधवा रही पतोहू …../ खैर पैर की जूती, जोरू/एक न सही दूजी आती” इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए ‘वर्तमान समाज और स्त्री’ विषय पर एक लेख लिखें|
उत्तर: वर्तमान समाज में भी स्त्रियों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। भारतीय समाज पहले भी पुरुष प्रधान था और आज भी पुरुष प्रधान ही है। स्त्रियॉं को बराबरी का दर्जा मिलना आज भी संभव नहीं हो पाया है।
पुराने जमाने में स्त्रियों को पैर की जूती समझा जाता था एक पत्नी मर जाए तो तुरंत दूसरी से विवाह कर लेते थे। पति की मृत्यु हो जाए तो उसकी विधवा को पति की हत्यारिन समझा जाता था और अत्याचार होता था।
आज के समय में भी विधवा स्त्री के ऊपर बहुत सी पाबन्दियाँ होती हैं। पर पुरुष को हर प्रकार की आज़ादी दी जाती है। आज भी देश के कई हिस्सों में विधवा को लोग अभिशाप मानते हैं। और उनको शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।
उनका पुनर्विवाह नहीं कराया जाता है वहीं दूसरी ओर पुरुष बहुत जल्दी अन्य स्त्री से विवाह कर लेता है। हालांकि आज की स्त्रियों ने कई क्षेत्रों में परूषों को भी पीछे छोड़ दिया है ।
वे सफल हैं , सक्षम हैं और अपने पैरों पर खड़ी हैं और दूनिया भी उनका लोहा मानती है। परंतु देश के ज़्यादातर हिस्सों में लोगों की मानसिकता आज भी वही है जो कई दशकों पूर्व थी।
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