उषा कविता के प्रश्न उत्तर – Usha Kavita Class 12 Question Answer

उषा कविता का प्रश्न अभ्यास- USHA KAVITA CLASS 12 QUESTIONS AND ANSWERS

उषा कविता प्रश्न 1: कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि ‘उषा’ कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है।

उत्तर – कवि को संपूर्ण आकाश ‘नीले शंख’ जैसा लगता है, रात का अंधेरा ‘काली सिल’ जैसी लगती है, सूर्य की लालिमा ‘लाल केसर’ जैसा लगता है, इन सभी उपमानों के माध्यम से कवि ने गांव की सुबह का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। साथ-ही कवि ने सूर्योदय का सुंदर चित्रण भी किया है और ये सभी उपमान कवि की कविता को एक गति प्रदान करते हैं।

उषा कविता प्रश्न 1:
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)


नयी कविता में कोष्ठक, विराम-चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्टकों से कविता में विशेष अर्थ पैदा हुआ है ? समझाइए।

उत्तरकवि शमशेर बहादुर सिंह जी को नई कविता के कवि के रूप में जाना जाता है। नई कविता के कवियों ने हर वक्त यही प्रयास किया है कि वह अपनी कविताओं को अलग ढंग से प्रस्तुत करें।

कवि शमशेर बहादुर सिंह जी ने भी अपनी कविता उषा को एक अलग तरीके से रखा है। उषा कविता में कवि ने कोष्ठकों का प्रयोग किया है, बिंबो का प्रयोग किया है। ‌इस तरह से कवि ने इस संपूर्ण उषा कविता में प्रकृति का बहुत ही सुंदर चित्रण कर हमारे समक्ष एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया है।

उषा कविता अतिरिक्त प्रश्न – Usha Kavita extra questions

उषा शीर्षक कविता का भाव सौंदर्य लिखिए – usha kavita ka bhav saundarya

उषा कविता भाव-सौंदर्य – प्रस्तुत पद्यांश नयी कविता के सुप्रसिद्ध हस्ताक्षर शमशेर बहादुर सिंह रचित “उषा” कविता से लिया गया है। इस कविता में सूर्योदय से पूर्व का सुन्दर प्राकृतिक दृश्यांकन किया गया है। जिसे कवि अपने पाठकों को सजीव अनुभव कराने में पूरी तरह से सफल हुए हैं।

उषा शीर्षक कविता का शिल्प सौंदर्य लिखिए – usha kavita ka shilp saundarya

उषा कविता का शिल्प सौंदर्य

भाषा- उषा कविता में मानक हिंदी (खड़ी बोली) का प्रयोग किया है। इसी वजह से उषा कविता की शब्दावली अत्यंत सरल और सहज है। इस कविता के ज़्यादातर शब्द ग्रामीण परिवेश का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रतीत होते हैं।

शैली- प्रस्तुत कविता में सूर्योदय से पूर्व भोर के समय पल-पल बदलते सौंदर्य का चित्रण कहीं चित्रित, कहीं वर्णित, तो कहीं बिंब माध्यम से भली-भांति प्रस्तुत किया गया है। इसे वर्णनात्मक और बिंब शैली के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

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