Table of Contents:
1. अवतार सिंह पाश का जीवन परिचय
2. सबसे खतरनाक कविता का सारांश
3. सबसे खतरनाक कविता
4. सबसे खतरनाक कविता की व्याख्या
5. सबसे खतरनाक कविता प्रश्न अभ्यास
6. Class 11 Hindi Aroh Chapters Summary
अवतार सिंह पाश का जीवन परिचय – Avtar Singh Pash Ka Jeevan Parichay
कवि परिचय- कवि अवतार सिंह पाश का मूल नाम अवतार सिंह संधू है। पंजाब के जालंधर जिले में इनका जन्म सन 1950 ईस्वी में हुआ था। इनके गांव का नाम तलवंडी सलेम है।
यह एक बहुत ही मध्यवर्गीय परिवार से थे। जिस कारण यह बहुत दूर तक पढ़ाई भी नहीं कर पाए। इन्होंने जनता को जागरूक करने के लिए अनेक प्रकार की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए और लोगों को जागरूक किया। इन्होनें विदेश भ्रमण भी किया इनकी मृत्यु सन 1988 में हुई।
रचनाएं- इनकी प्रमुख रचनाएं हैं– लौह कथा, उड़दें बाजां मगर, साडै। समिया बिच, लड़ेंगे साथी (पंजाबी); बीच का रास्ता नहीं होता, लहू है कि तब भी गाता है आदि।
साहित्य में योगदान- चूंकि यह पंजाब से थे, इसलिए इनका मूल संबंध पंजाबी साहित्य से था। वे एक विद्रोही कवि के रूप में पंजाबी साहित्य में जाने जाते हैं। इन्होंने राजनीति से संबंधित अनेक कविताएं लिखी। इनकी कविताओं में अन्याय के खिलाफ उठाए आवाज़ों का साफ-साफ चित्रण मिलता है।
सबसे खतरनाक कविता का सारांश – Sabse Khatarnak Poem Short Summary
‘सबसे खतरनाक’ कविता में कवि पाश ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि हर एक व्यक्ति के जीवन में कुछ ना कुछ हलचल होती ही रहती है।
कुछ हरकतें जो होती हैं, वे खतरनाक होते हुए भी खतरनाक नहीं होती हैं। वहीँ कुछ हरकतें जो होती हैं, वे दूर से भले खतरनाक ना दिखती हों, पर वे खतरनाक अवश्य होती हैं।
इस कविता के माध्यम से कवि ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि मनुष्य को हर एक परिस्थिति में समझदारी से काम करना चाहिए।
सबसे खतरनाक कविता- Sabse Khatarnak Poem
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़ जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियां भींच कर बस वक़्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकल कर काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है
सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी ज़मी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्या काण्ड के बाद
विरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है,
सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानो तक पहुंचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडों की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अंधेरे बंद दरवाजों-चौगाठौ पर चिपक जाते हैं
सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोइ टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार भी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गहरी लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।
सबसे खतरनाक कविता की व्याख्या- Sabse Khatarnak Poem Line by Line Explanation
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकड़ जाना-बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है
मुट्ठियां भींच कर बस वक़्त निकाल लेना-बुरा तो है
सबसे खतरनाक नहीं होता
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ पाठ-19 कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गयी हैं। इस कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि ने हमें यह बताया है कि कौन-सी चीज़ कितनी ख़तरनाक है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का भावार्थ– कवि पाश पंजाबी साहित्य के कवि हैं। इन काव्य पंक्तियों में कवि कहते हैं कि क्या खतरनाक होता है और क्या खतरनाक नहीं होता।
किसी की मेहनत की लूट खतरनाक नहीं होती, क्योंकि यह लूट फिर से पाई जा सकती है। पुलिस की मार खतरनाक नहीं होती। मगर किसी के साथ गद्दारी करना या किसी से रिश्वत लेना खतरनाक है।
कवि कहते हैं कि किसी को बेवजह पुलिस द्वारा गिरफ्तार करवाना बुरी बात है। किसी भी प्रकार के अन्याय को चुपचाप सहना खतरनाक है। कवि कहते हैं कि कोई जुगनू की रोशनी में पढ़ता है, अर्थात साधन के अभाव में अपनी पूरी जिंदगी गुजार देता है।
अन्याय को सहन करना गलत बात है, परंतु यह सब कुछ खतरनाक होते हुए भी उतना खतरनाक नहीं है। कुछ बातें, कुछ चीजें बहुत खतरनाक होती है और यही खतरनाक चीजें आगे जाकर बुरा परिणाम देती है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का विशेष:-
1. सहमी-सी चुप में उपमा अलंकार है।
2. बैठे-बिठाये में अनुप्रास अलंकार है।
3. सरल खड़ी बोली भाषा का प्रयोग हुआ है।
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकल कर काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ पाठ-19 कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गयी हैं। इस कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि ने व्यक्ति की जीवन में आई खतरनाक स्थिति के बारे में बताया है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का भावार्थ– कवि पाश पंजाबी साहित्य के कवि हैं। कवि कहते हैं, खुश रहते रहते अचानक से उदास हो जाना, चुपचाप सब कुछ सहन कर जाना, यह सब कुछ खतरनाक की निशानी है।
कवि कहते हैं खतरनाक वह स्थिति है, जब व्यक्ति मनुष्य ना होकर मशीन बन जाता है। वह घर से काम पर जाता है और काम से घर में आता है। इस बीच उसके जीवन में कुछ भी अच्छा करने की हिम्मत नहीं होती है।
यह होती है, खतरनाक की स्थिति जब मनुष्य अपनी सारी इच्छा को समाप्त कर लेता है। और सिर्फ मशीन की तरह काम करता है।
कवि कहते हैं कि सबसे खतरनाक वह स्थिति है जब मनुष्य अपने हाथों की घड़ी को चलता हुआ देखता तो है, लेकिन फिर भी वह समझता है कि उसके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता।
अगर दुख की घड़ी है, तो वह दुख की घड़ी हमेशा रहेगी। दूसरे शब्दों में यदि कहा जाए, तो मनुष्य परिवर्तन के साथ खुद को नहीं बदलता है और ना ही वह बदलने की इच्छा को प्रकट करता है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का विशेष:-
1. घड़ी में श्लेष अलंकार है।
2. सब सहन में अनुप्रास अलंकार है।
3. सरल खड़ी बोली भाषा का प्रयोग हुआ है।
सबसे खतरनाक वह आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी ज़मी बर्फ होती है
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है
जो रोज़मर्रा के क्रम को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ पाठ-19 कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गयी हैं। इस कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि कहते हैं कि बिना किसी लक्ष्य के ज़िन्दगी जीना भी खतरनाक है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का भावार्थ– कवि पाश इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं, कि सबसे खतरनाक वह आँख है, जो चुपचाप अन्याय को सहती है। मगर कुछ भी ना देखने का अभिनय करती है।
कवि के अनुसार वे आँखें जमी हुई बर्फ के समान होती हैं, जो अपने सामने अच्छाई को भूलकर हर चीज को गलत नज़रिए से देखती है और यह स्थिति खतरनाक है।
ऐसी आँखें लालची आँखें होती हैं, जो स्वार्थ में पड़कर लोभी बन जाती है, ऐसी स्थिति खतरनाक होती है। कवि यह भी कहते हैं कि वह जिंदगी बेकार है, जिस जिंदगी में कोई लक्ष्य ना हो। बिना लक्ष्य के जिंदगी जीना भी खतरनाक ही होता है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का विशेष:-
1. सरल खड़ी बोली भाषा का प्रयोग हुआ है।
2.अंधेपन की भाप में रूपक अलंकार है।
सबसे खतरनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्या काण्ड के बाद
विरान हुए आँगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ पाठ-19 कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गयी हैं। इस कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के हक की बात करते हैं।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का भावार्थ– चांद को सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। कवि कहते हैं कि ऐसी चांदनी की चमक भी खतरनाक होती है, जो अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठाती। बल्कि गलत करने वालों के घर में अपनी रोशनी बिखेरने लगती है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का विशेष:-
1.’चाँद’ शांति का प्रतीक के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
2. सरल खड़ी बोली भाषा का प्रयोग हुआ है।
3. हर हत्या, आपकी आँखों में अनुप्रास अलंकार है।
4. मिर्चों की तरह में उपमा अलंकार है।
सबसे खतरनाक वह गीत होता है
आपके कानो तक पहुंचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडों की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह रात होती है
जो जिंदा रूह के आसमानों पर ढलती है
जिसमें सिर्फ उल्लू बोलते और हुआँ हुआँ करते गीदड़
हमेशा के अंधेरे बंद दरवाजों-चौगाठौ पर चिपक जाते हैं
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ पाठ-19 कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गयी हैं। इस कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि ने दुख से भरे गीतों को खतरनाक बताया है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का भावार्थ– कवि कहते हैं कि सबसे खतरनाक वो गीत है, जो मनुष्य के मन में दुख की तरह प्रभावित होता है। जो गीत मृत्यु के उपरांत सुनाया जाता है, वह गीत जीवित इंसान को सुनाकर उन्हें डराना खतरनाक की निशानी है। कवि के अनुसार ऐसे गीतों का कोई मतलब नहीं है।
कवि के अनुसार रात बहुत खतरनाक होती है, जो जीवित इंसान के ऊपर आसमान में आशा के नहीं निराशा के बादल लाती है। यह निराशा के बादल उस जीवित व्यक्ति के घर के आंगन में विद्रोह की तरह शोक बनकर रह जाते हैं। जिनसे व्यक्ति कभी भी बाहर नहीं निकल पाता है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का विशेष:-
1.सरल खड़ी बोली भाषा का प्रयोग हुआ है।
2. हुआँ हुआँ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
3. गुंडों की तरह में उपमा अलंकार है।
सबसे खतरनाक वह दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप का कोइ टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार भी सबसे ख़तरनाक नहीं होती
गहरी लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ पाठ-19 कविता ‘सबसे खतरनाक’ से ली गयी हैं। इस कविता के रचियता अवतार सिंह पाश हैं। कवि ने अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति वह है जब हम किसी भी समस्या से लड़ने की क्षमता नहीं रखते और हमारा स्वाभिमान भी मर जाता है।
‘सबसे खतरनाक’ कविता का भावार्थ– कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सबसे खतरनाक वह दिशा है, जिस दिशा में मनुष्य की आत्मा डूब जाती है। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति अपने अंतर्मन की आवाज़ को नहीं सुन पाता है और एक मुर्दा व्यक्ति के समान बन जाता है।
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सबसे खतरनाक कविता की व्याख्या
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