Rubaiya Gazal Class 12 hindi chapter 9 question answer
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ कविता के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
Rubaiya class 12 question 1:
शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है?
Rubaiya class 12 answer:
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ की इन पंक्तियों में शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह व्यक्त करना चाहते हैं कि रक्षाबंधन सावन के महीने में आता है। सावन के इस मौसम में आकाश में घटाएँ छाई होती हैं और उनमें बिजली भी चमकती है। राखी के लच्छे बिजली की तरह चमकते दिखाई देते हैं। जहां एक ओर बिजली की चमक सत्य पर प्रकाश डालती है, वहीं दूसरी ओर राखी के लच्छे रिश्तों की पवित्रता को व्यक्त करते हैं। घटा का जो संबंध बिजली से है, वही संबंध भाई का बहन से है।
Rubaiya class 12 question 2:
खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?
Rubaiya class 12 answer:
परदा खोलने का अर्थ है – खुद के बारे में बताना। अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की निंदा करता है या बुराई करता है, तो वह स्वयं की बुराई कर रहा है। इसीलिए प्रस्तुत पंक्तियों में शायर ने कहा कि मेरा परदा खोलने वाले दरअसल अपना परदा खोल रहे हैं।
Rubaiya class 12 question 3:
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं – इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।
Rubaiya class 12 answer:
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ की इन पंक्तियों में कवि अपने भाग्य से कभी संतुष्ट नहीं रहे। किस्मत ने कभी उनका साथ नहीं दिया। इसी बात से उन्हें निराशा होती है। रह-रह कर वे अपनी बदकिस्मती का पछतावा करते हैं।
इस तरह कवि कर्महीन लोगों पर व्यंग्य कसते हुए कहना चाहते हैं कि कर्महीन लोग असफलता मिलने पर भाग्य को दोष देते हैं और किस्मत उनकी कर्महीनता को दोष देती है।
Rubaiya class 12 question 4:
टिप्पणी करें
(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।
Rubaiya class 12 answer:
गोदी के चाँद से आशय है – बच्चा और
गगन के चाँद से आशय है – आसमान में निकलने वाला चाँद।
इन दोनों में गहरा और नजदीकी रिश्ता है। दोनों में कई समनाताएँ हैं। आश्चर्य यह है कि गोदी का चाँद अर्थात नन्हा सा बच्चा गगन के चाँद को पकड़ने के लिए उतावला रहता है। तभी तो सूरदास जी ने कहा है “मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।”
(ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।
Rubaiya class 12 answer:
रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार सावन के महीने में आता है। सावन की घटाएँ जब घिर आती हैं, तो चारों ओर खुशी की बयार बहने लगती है। राखी का यह त्यौहार इस मौसम में होने के कारण और अधिक सार्थक हो जाता है। सावन की काली-काली घटाएँ एक भाई को यह संदेश देती हैं कि तेरी बहन तुझे याद कर रही है। यदि तू इस पवित्र त्यौहार पर अपनी बहन के पास नहीं गया तो उसकी आँखों से मेरी ही तरह बूंदें टपक पड़ेगी।
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ कविता के आसपास – Rubaiya Gazal Class 12 Question answer
Rubaiya class 12 question 1:
इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोग को छाँटिए।
Rubaiya class 12 answer:
हिंदी के प्रयोग-
- आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों में झुलाती है उसे गोद-भरी - गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी
- किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
- दीवाली की शाम घर पुते और सजे
- रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली
- छायी है घटा गगन की हलकी-हलकी
- बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
- भाई के है बाँधती चमकती राखी
उर्दू के प्रयोग-
- उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
- देख आईने में चाँद उतर आया है
लोकभाषा के प्रयोग-
- रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
- जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े
- आँगन में दुनक रहा है जिदयाया है
- बालक तो हई चाँद पै ललचाया है
Rubaiya class 12 question 2:
फिराक ने ‘सुनो हो, ‘रक्खो हो’ आदि शब्द मीर की शायरी के तर्ज पर इस्तेमाल किए हैं। ऐसी ही मीर की कुछ गज़लें ढूँढ़ कर लिखिए।
Rubaiya class 12 answer:
(1) उलटी हो गई सब तदबीरें
कुछ न दवा ने काम किया
अहदे जवानी रो-रो काटा
पीरी मैली आँखें मूंद
यानि रात बहुत जागे थे।
सुबह हुई आराम किया
‘मीर’ के दीन ओ इमां को
(2) मर्ग एक मादंगी का वक्फा है।
यानि आगे चलेंगे दम लेकर ।
हस्ती अपनी हबाब की-सी है।
(3) हस्ती अपनी हुबाब की-सी है।
ये नुमाइश सराब की-सी है।
नाजुक उसके लब की क्या कहिए
पंखुड़ी इक गुलाब की-सी है।
सहमे दिल खोल इस भी आलम पर
याँ की औकता ख्वाब की-सी है।
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ आपसदारी – Rubaiya Gazal Class 12 Question answer
Rubaiya class 12 question 1:
कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल-रूबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूंढ़िए
(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों। —सूरदास
Rubaiya class 12 answer:
आँगन में तुनक रहा है जिदयाया है।
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है।
(ख) वियोगी होगा पहला कवि —सुमित्रानंदन पंत
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप
बही होगी कविता अनजान
Rubaiya class 12 answer:
आबो ताबे अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।
ऐसे में तू याद आए हैं अंजमने मय में रिंदो को,
रात गए गर्दै पे फरिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।
(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार —कबीर
Rubaiya class 12 answer:
“ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी होलें हैं।”
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ कविता के अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
Rubaiya class 12 question 1:
बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा कब गूँजी है?
Rubaiya class 12 answer:
जब माँ अपने बच्चे को उछाल-उछाल कर प्यार करती है, तो उस समय बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा गूँजती है। बच्चा खुद को खुले वातावरण में पाकर बहुत खुशी महसूस करता है। जब वह ऊपर की ओर बार-बार उछलता है, तो वह बेहद रोमांचित हो उठता है।
Rubaiya class 12 question 2:
माँ बच्चे को किस प्रकार तैयार करती है?
Rubaiya class 12 answer:
माँ अपने नन्हें से बच्चे को छलकते हुए निर्मल और स्वच्छ पानी से नहलाती है। उसके बालों में प्यार से कंघी करती है। उसे कपड़े पहनाती है। इन सब को देखकर बच्चा बहुत खुश हो जाता है। वह ठंडे पानी से नहाकर तरोताज़ा महसूस करता है और अपनी माँ को प्यार से देखता है।
Rubaiya class 12 question 3:
बच्चा किस वस्तु के कारण लालची बन जाता है?
Rubaiya class 12 answer:
चाँद को देखकर बच्चे का मन लालच से भर जाता है। वह चाँद को पकड़ने की जिद्द करता है। वह माँ से कहता है कि मुझे यही वस्तु चाहिए।
Rubaiya class 12 question 4:
क्या शायर भाग्यवादी है?
Rubaiya class 12 answer:
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ कविता में शायर खुद को बिलकुल भी भाग्यवादी नहीं मानते हैं, क्योंकि उन्हें अपने भाग्य पर बिलकुल भरोसा नहीं है। वे कहते हैं कि मैं और मेरी किस्मत दोनों मिलकर रोते हैं। वह मुझ पर रोती है और मैं उस पर रो लेता हूँ। इसलिए कह सकते हैं कि शायर भाग्यवादी नहीं कर्मवादी है। भाग्य की अपेक्षा उन्हें अपने कर्म पर विश्वास है।
Rubaiya class 12 question 5:
इश्क की फितरत को शायर ने क्या बताया है?
Rubaiya class 12 answer:
इश्क की फितरत अर्थात् यह एक ऐसी आदत है कि इससे व्यक्ति को कुछ प्राप्त नहीं होता। व्यक्ति जितना पाता है उससे कई ज़्यादा गवाँ भी देता है। इसलिए कवि का मानना है कि इश्क में कुछ पा लेना संभव ही नहीं है। किसी ने आज तक इश्क में कुछ भी नहीं पाया, सिर्फ़ खोया ही है। लोग इसी आदत के कारण अपना सुख-चैन गवाँ बैठते हैं।
Rubaiya class 12 question 6:
फिराक गोरखपुरी की भाषा-शैली पर विचार करें।
Rubaiya class 12 answer:
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ कविता में कवि ने प्रमुख रूप से उर्दू भाषा का प्रयोग किया है। खास बात यह है कि इनकी भाषा सरल है। हाँ, कुछ शब्द उलझाव अवश्य पैदा करते हैं, लेकिन वे पाठक को कठिन नहीं लगते।
Rubaiya class 12 question 7:
गोरखपुरी की अलंकार योजना पर प्रकाश डालें।
Rubaiya class 12 answer:
शायर ने मुख्य रूप से रूपक, उपमा, अनुप्रास, संदेह और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का प्रयोग किया है। फिराक गोरखपुरी जी ने इन अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग किया है। इसलिए उनकी रुबाइयों और गजलों में अलंकारों का प्रयोग थोपा हुआ नहीं लगता। ये भावों और प्रसंगों के अनुकूल इनमें आए हैं।
Rubaiya class 12 question 8:
गोरखपुरी की रुबाइयों के कला पक्ष के बारे में बताएँ।
Rubaiya class 12 answer:
गोरखपुरी की रूबाइयाँ कलापक्ष की दृष्टि से बेहतरीन बन पड़ी हैं। भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली हैं। भावानुकूल शैली का प्रयोग हुआ है। उर्दू शब्दावली के साथ-साथ शायर ने देशज संस्कृत के शब्दों का प्रयोग भी स्वाभाविक ढंग से किया है। लोका, पिन्हाती, पुते, लावे आदि शब्दों के प्रयोग से उनकी रुबाइयाँ अधिक प्रभावी बन पड़ी हैं।
Rubaiya class 12 question 9:
रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली छायी है घटा गगन की हल्की-हल्की बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे भाई के हैं बाँधती चमकती राखी”-इस रुबाई का कला सौंदर्य स्पष्ट करें।
Rubaiya class 12 answer:
भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली है। फिराक गोरखपुरी जी ने उर्दू शब्दों के साथ-साथ देशज शब्दों का भावानुकूल प्रयोग किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और रूपक अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।
Rubaiya class 12 question 10:
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें-
आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ीं
हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
Rubaiya class 12 answer:
फिराक गोरखपुरी की रुबाइयाँ कविता की इन पंक्तियों में कवि बताते हैं कि माँ अपने चाँद जैसे बच्चे को आँगन में लिए खड़ी है। वह अपने प्यारे बच्चे को हाथों के झूले में झुला रही है और उसे हवा में धीरे-धीरे उछाल भी रही है। इससे बच्चे की हँसी गूंज उठती है।
‘चाँद के टुकड़े’ में उपमा अलंकार है। ‘रहरह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। बालसुलभ चेष्टाओं का वर्णन है। उर्दू मिश्रित शब्दावली है। गेयता है। दृश्य बिंब है। उर्दू भाषा सहज व सरल है।
Rubaiya class 12 question 11:
फिराक की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘फिराक गोरखपुरी की रुबाइयों में ग्रामीण अंचल के घरेलू रूप की स्वाभाविकता और सात्विकता के अनूठे चित्र चित्रित हुए हैं’ – पाठ्यपुस्तक में संग्रहीत रुबाइयों के आधार पर उत्तर दीजिए।
Rubaiya class 12 answer:
फिराक की रुबाइयों में ग्रामीण क्षेत्र के घरेलूपन का स्वाभाविक चित्रण मिलता है। माँ अपने शिशु को आँगन में लिए खड़ी है। वह उसे झुलाती है। बच्चे को नहलाने का दृश्य दिल को छूने वाला है। दीवाली व रक्षाबंधन पर ऐसे माहौल को चित्रित किया गया है, जो मानो आम जीवन से जुड़ा हुआ हो। बच्चे का किसी वस्तु के लिए जिद्द करना तथा उसे किसी तरह बहलाने के दृश्य सभी परिवारों में आम बात है।
Rubaiya class 12 question 12:
रुबाइयाँ के आधार पर घर आँगन में दीवाली और राखी के दृश्य बिंब को अपने शब्दों में समझाइए।
Rubaiya class 12 answer:
दीवाली के त्यौहार पर पूरा घर रंगों से पुता हुआ है। माँ अपने नन्हें बेटे को प्रसन्न करने के लिए चीनी मिट्टी के जगमगाते खिलौने लेकर आती है। वह बच्चों के घर में दीया जलाती है। इसी तरह राखी के समय आकाश में काले-काले बादलों की हल्की घटा छाई हुई है। छोटी बहन ने पाँवों में पाजेब पहनी हुई है, जो बिजली की तरह चमक रही है।
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