Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 Summary
Ramdhari Singh Dinkar Ki Kavita Geet Ageet- (गीत अगीत – रामधारी सिंह दिनकर)
रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय- Ramdhari Singh Dinkar Ka Jeevan Parchay : हिन्दी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 में सिमरिया, मुंगेर में एक सामान्य किसान-पुत्र के रूप में हुआ था। दिनकर जब दो वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। उनका एवं उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन गांव में बिताया और इसी कारणवश उनकी कविताओं में गांव के सौंदर्य का बड़ा ही सजग वर्णन मिलता है। उन्होंने इतिहास, दर्शन-शास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया।
कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने सामाजिक-आर्थिक असमानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। उनकी महान रचनाओं में रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा शामिल हैं। दिनकर के प्रथम तीन काव्य-संग्रह प्रमुख हैं– ‘रेणुका’ (1935 ई.), ‘हुंकार’ (1938 ई.) और ‘रसवन्ती’ (1939 ई.), ये उनके आरम्भिक आत्म-मंथन के युग की रचनाएँ हैं।
दिनकर जी को उनकी रचना कुरुक्षेत्र के लिये काशी नागरी प्रचारिणी सभा, उत्तरप्रदेश सरकार और भारत सरकार से सम्मान मिला। संस्कृति के चार अध्याय के लिये उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 1959 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। वर्ष 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिये उन्हें ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया। 1952 में वे राज्यसभा के लिए चुने गये और लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत कविता का सार – Geet Ageet Poem Meaning in Hindi : कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने इस कविता में गीत-अगीत के माध्यम से प्रकृति का बड़ा ही मनोहर वर्णन किया है। इस कविता में मुखर भावना (दृश्य) और छुपी भावना (अदृश्य) की तुलना की गई है। यहाँ कवि प्रकृति को एक संगीतकार के रूप में देख रहा है और उसकी भावनाओं को बयां कर रहा है। कवि के अनुसार नदी, तोता और प्रेमी गीत गा रहे हैं।
जहां एक ओर, नदी अपने आस-पास के पेड़ों से अपनी विरह का वर्णन कर रही है, तोता अपनी ख़ुशी का इज़हार कर रहा है। प्रेमी गीत गाकर अपनी प्रेमिका को याद कर रहा है। वहीं दूसरी ओर, नदी के किनारे गुलाब के पेड़, मैना (मादा तोता) और प्रेमिका चुप हैं, परन्तु कवि के अनुसार, उनके अगीत में भी गीत का समावेश हुआ है। इसी कारण वे भी गीत का हिस्सा हैं। इस कविता के माध्यम से कवि हमें यह बताना चाह रहे हैं कि प्रकृति में उपस्थित सब जीव-जंतु तथा पेड़-पौधों में भावनाएं होती हैं। उन्होंने इस कविता में इसका मानवीकरण किया है।
गीत अगीत – Geet Ageet Poem
गीत, अगीत, कौन सुन्दर है ?
(1)
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।“
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
(2)
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते को छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते सनेह में सनकर।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
(3)
दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्हा गाता है,
पहला स्वर उसकी राधा को
घर से यहीं खींच लाता है।
चोरी-चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना’, यों मन में गुनती है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत कौन सुंदर है?
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत का भावार्थ- Geet Ageet Poem Summary in Hindi
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-11 कविता ‘गीत अगीत’ से ली गई हैं। इस कविता के रचियता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने प्रकृति का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत भावार्थ : रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता गीत अगीत की इन पंक्तियों में कवि ने जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बहती हुई एक नदी का बड़ा ही आकर्षक वर्णन किया है। उन्होंने कहा है कि विरह अर्थात बिछड़ने का गीत गाती हुई नदी, अपने मार्ग में बड़ी तेजी से बहती जाती है।
अपने दिल से विरह का बोझ हल्का करने के लिए नदी, अपने किनारों पर उगी घास व उपलों से बात करते हुए आगे बढ़ती चली जा रही है। वहीँ दूसरी ओर, नदी के किनारे तट पर उगा हुआ एक गुलाब का फूल यह सोच रहा है कि अगर भगवान उसे भी बोलने की शक्ति देता, तो वह भी गा-गाकर सारे जगत को अपने पतझड़ के सपनों का गीत सुनाता।
तो इस प्रकार, जहाँ एक ओर नदी अपनी विरह के गीत गाते हुए, कल-कल की आवाज़ करते हुए बह रही है, वहीँ दूसरी ओर, गुलाब का पौधा चुपचाप अपने गीत को अपने मन में दबाये किनारे पर खड़ा हुआ नदी को बहते देख रहा है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत विशेष:-
1. इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है।
2. गा- गाकर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
3. प्रश्न अलंकार है।
4. भाषा सहज और सरल है।
5. कविता में गीतात्मकता है।
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते को छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते सनेह में सनकर।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-11 कविता ‘गीत अगीत’ से ली गई हैं। इस कविता के रचियता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने मैना, तोता आदि पक्षियों का सुंदर वर्णन किया है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत भावार्थ : खेतों में एक घने वृक्ष पर तोता बैठा हुआ है और उसी वृक्ष की छांव में उसका घोंसला है। जिसमें मैना बड़े प्यार से अपने पंखों को फैलाये अंडे से रही है। ऊपर पेड़ की डाल पर तोता बैठा हुआ है, जिसके ऊपर पेड़ के पत्तों से छनकर सूर्य की किरणें पड़ रही हैं।
वह गाते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है, मानो सूर्य की किरणों को शब्द प्रदान कर रहा हो। पूरा का पूरा खेत तोते के स्वर से गूंज उठता है। जिसे सुनकर मैना भी गाने को उमड़ पड़ती है, परन्तु उसके स्वर बाहर नहीं निकल पाते और वह चुप रहकर ही पंख फैलाते हुए अपनी ख़ुशी का इज़हार करती है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत विशेष:-
1. भाषा सरल और सहज है।
2. प्रश्न अलंकार है।
3. कविता में गीतात्मकता है।
दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्हा गाता है,
पहला स्वर उसकी राधा को
घर से यहीं खींच लाता है।
चोरी-चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना’, यों मन में गुनती है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत कौन सुंदर है?
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘स्पर्श’ पाठ-11 कविता ‘गीत अगीत’ से ली गई हैं। इस कविता के रचियता रामधारी सिंह दिनकर जी हैं। कवि ने दो प्रेमियों का वर्णन किया है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत भावार्थ : रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत-अगीत की इन पंक्तियों में कवि ने दो प्रेमियों का वर्णन किया है। एक प्रेमी जब शाम के समय अपनी प्रेमिका को बुलाने के लिए गीत गाता है, तो वो उसके स्वर को सुनकर खिंची चली आती है और पेड़ों के पीछे छुपकर चुपचाप अपने प्रेमी को गाते हुए सुनती है। वह सोचती है कि मैं इस गाने का हिस्सा क्यों नहीं हूँ। नीम के पेड़ों के नीचे अपने प्रेमी के गीत को सुनकर उसका हृदय फूला नहीं समाता। वह चुपचाप अपने प्रेमी के गीत का आनंद लेती रहती है।
इस प्रकार जहाँ एक ओर प्रेमी गीत गाकर अपनी सुंदरता का बखान कर रहा है, वहीँ दूसरी ओर, चुप रहकर भी प्रेमिका उतने ही प्रभावशाली रूप से अपने प्यार को व्यक्त कर रही है। इसलिए उसका अगीत भी किसी मधुर गीत से कम नहीं है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता गीत अगीत विशेष:-
1. चोरी-चोरी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
2. इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है।
3. कविता में गीतात्मकता है।
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