इस पाठ में हम कक्षा 9 संचयन पाठ 5 हामिद खाँ का सारांश (class 9 hindi sanchayan chapter 5 hamid khan summary) पढ़ेंगे और समझेंगे।
हामिद खाँ पाठ के लेखक एस. के. पोट्टेकाट का जीवन परिचय
मलयालम के प्रसिद्ध लेखक एस. के. पोट्टेकाट का पूरा नाम शंकरन कुट्टी पोट्टेकाट था। इनका जन्म 13 मार्च 1913 में केरल के कोषिकोड (कालीकट) में हुआ था। अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करके वे साहित्य लेखन में लग गए।
लेखक एस. के. पोट्टेकाट की कहानियों में किसान और मज़दूरों की आह और वेदना का सजीव चित्रण हुआ हैं। जाति, धर्म और संप्रदाय से परे मानवीय सौहार्द को उभारने में पोट्टेकाट को पूरी सफलता मिली है। उनकी कहानियों से विश्वबंधुत्व और भाईचारे का संदेश मिलता है। 1962 में लोकसभा के सदस्य भी चुने गए थे। 1971 में केरल साहित्य अकादमी के वे सभापति मनोनीत किए गए थे।
इनकी प्रसिद्ध कृतियाँ– ओरु तेरर्शवंटे कथा, ओरु देसाथिंटे कथा, नादान प्रेमम, चंद्रकांतम, मणिमलिका।
कथाकार पोट्टेकाट को साहित्य अकादमी तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी कहानियों का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। 1928 में ‘राजनीति’ नामक इनकी पहली कहानी छपी थी। तब से उन्होंने विपुल लेखन किया है। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं प्रेम शिशु विषकन्या और मूडुपडम्।
Class 9 Hindi Hamid Khan Summary
‘हामिद खाँ’ पाठ की भूमिका
‘हामिद खाँ’ कहानी लेखक एस. के.पोट्टेकाट द्वारा रचित है। इस कहानी में लेखक ने बड़ी सहजता से हिंदू और मुसलमान दोनों के हृदय में धड़कती सहृदयता एवं एकता की भावना को अभिव्यक्त किया है। लेखक की पंथ-निरपेक्ष मानवीय भावना तक्षशिला निवासी हामिद खाँ के हृदय को स्पर्श करती है और उन दोनों में कैसे परस्पर एक सौहार्दपूर्ण आत्मीय संबंध स्थापित हो जाता है इसका मार्मिक वर्णन इस कहानी में प्रस्तुत किया गया है। सांप्रदायिक सद्भाव उत्पन्न करने वाली यह कहानी छोटी होती हुई भी अत्यंत मार्मिक है। यह कहानी सांप्रदायिक भेद-भाव के उभरे निशान को मिटा डालने वाली कहानी है, जो भारत के मौजूदा परिवेश में अत्यंत प्रासंगिक है। ‘हामिद खाँ’ कहानी का घटना स्थल ‘तक्षशिला’ है, जो अब पाकिस्तान का एक हिस्सा बन गया है। लेखक अपने मन में हामिद खाँ के प्रति सहानुभूति रखते हैं।
हामिद खाँ पाठ के पात्रों का परिचय
लेखक- हिंदू धर्म से संबंध, सभी धर्मों का सम्मान करने वाले।
हामिद खाँ- मुस्लिम धर्म से संबंध, तक्षशिला में एक दुकान चलाते हैं।
‘हामिद खाँ’ पाठ के लेखक का तक्षशिला जाना
hamid khan class 9 summary: इस कहानी में लेखक ने अपनी तक्षिला की यात्रा का वर्णन किया है। दो साल पहले लेखक तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने गए थे। वहां लेखक कड़कड़ाती धूप में घूम रहे थे और दूसरी ओर भूख- प्यास से बेहाल हो गए थे। लेखक रेलवे स्टेशन से करीब पौन मील की दूरी पर बसे एक गाँव की ओर निकल पड़े। हस्तरेखाओं जैसी फैली गलियों से भरा तंग बाजार जहाँ कहीं नजर पड़ी धुआँ, मच्छर और गंदगी से भरी जगहें ही दिखीं। कहीं-कहीं तो सड़े हुए चमड़े की बदबू आ रही थी।
वहाँ लेखक आसपास होटल ढूंढ़ रहे थे कि कहीं कोई जगह मिले जहां वे खाना खाएं और थोड़ा आराम भी करें। वहाँ लेखक को एक दुकान नज़र आई जहाँ चपातियाँ सेंकी जा रही थी। चपातियों की खुशबू से लेखक के पाँव अपने आप उस दुकान की ओर मुड़ गए।
‘हामिद खाँ’ पाठ के लेखक का हामिद खाँ से परिचय
hamid khan class 9 summary: उस दुकान में लेखक ने मुस्कुराते हुए प्रवेश किया। लेखक दुकानदार से भोजन मिलने न मिलने के विषय में पूछताछ करते रहे। उत्तर ‘हाँ’ में मिलने पर वह खाना खाने के लिए बैठ गए। इसी बीच लेखक के पहनावे और हाव-भाव को देखने से दुकानदार को लेखक के हिंदू होने का संदेह हुआ। दुकानदार को लेखक के बारे में बातचीत करने पर पता चला। चूँकि वह दुकान मुसलमान व्यक्ति की थी इसलिए दुकानदार ने लेखक का भ्रम दूर कर देना जरूरी समझा।
लेखक द्वारा हामिद खाँ को हिंदुस्तान के बारे में बताना
hamid khan class 9 summary: लेखक ने दुकानदार को बताया कि वह हिंदुस्तान के दक्षिणी छोर पर मद्रास के आगे मालाबार क्षेत्र का रहने वाला है। दुकानदार ने पूछा कि क्या वह हिंदू है? तब लेखक के हाँ बोलने पर उसने लेखक से पूछा कि क्या वे मुसलमानी होटल में खाना खाएँगे? लेखक ने दुकानदार को मालाबार के होटलों के विषय में बताया, कि हमारे यहाँ तो अगर बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग मुसलमानी होटल में जाया करते हैं।
उस दुकानदार ने लेखक का शानदार स्वागत करते हुए खाना खिलाया। लेखक ने खाना खाकर रुपए दुकानदार की ओर बढ़ाए। थोड़ी ना-नुकुर के बाद लेखक ने उसे रुपया लेने के लिए मजबूर कर दिया।
हामिद खाँ का लेखक के प्रति स्नेह
hamid khan class 9 summary: दुकानदार ने लेखक के हाथ में पैसे लौटा कर कहा- “भाईजान, मैंने खाने के पैसे आपसे ले लिए हैं। मगर मैं चाहता हूँ कि यह आप ही के हाथों में रहे। आप जब हिन्दुस्तान पहुँचे तो किसी मुसलमानी होटल में जाकर इस पैसे से पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद खाँ को याद करें।”
लेखक वहाँ से तक्षशिला के खंडहरों की तरफ चले गए। उसके बाद उन्होंने फिर कभी हामिद खाँ को नहीं देखा लेकिन हामिद खाँ की आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें उनके मन में ताज़ा है। उसकी वह मुस्कान लेखक के दिल में बसी हुई है।
लेखक का हामिद खाँ को याद करना
hamid khan class 9 summary: लेखक अखबार में सांप्रदायिक दंगे का समाचार पढ़कर भावुक हो जाते हैं। उन्हें पुरानी बातों का स्मरण हो जाता है तथा वे अपने उद्गार इन शब्दों में व्यक्त करते है- तक्षशिला के सांप्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग से हामिद और उसकी वह दुकान, जिसने मुझ भूखे को दोपहर में छाया और खाना देकर मेरी भूख को शांत किया था, वे सुरक्षित रहें। मैं यही प्रार्थना भी कर रहा हूँ।”
हामिद खाँ पाठ का उद्देश्य
इस कहानी के माध्यम से लेखक हिंदू-मुस्लिम धर्मों के बीच भेद-भाव को कम करके प्रेम से रहने का संदेश देते हैं। कहानी के दो पात्र हामिद खाँ और लेखक अलग-अलग धर्मों के होते हुए भी एक-दूसरे को याद करते हैं।
हामिद खाँ पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ
आगजनी-उपद्रवियों द्वारा आग लगाना
अलमस्त- मस्त
अधेड़-ढलती उम्र का
सालन- सब्जी का मसालेदार शोरबा
बेतरतीबी- बिना किसी तरीके के
दढ़ियल- दाढ़ी वाला
फ़ख़- गर्व
आततायियों- अत्याचार करने वाला
नियति- भाग्य
चाव- शौक
क्षुधा- भूख़
तृप्त- संतोष, संतुष्ट
कक्षा 9 की पुस्तक संचयन के अध्याय पांचवें हामिद खाँ पाठ का सारांश ‘Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 Hamid Khan Summary’ से जुड़े प्रश्नों के लिए हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।
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