Class 12 Hindi Chapter 10 Chota Mera Khet Question Answer

छोटा मेरा खेत/बगुलों के पंख प्रश्न अभ्यास – Class 12 Hindi Chapter 10 Question Answer

छोटा मेरा खेत – कविता के साथ

छोटा मेरा खेत प्रश्न 1.
छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?

उत्तर:
छोटा मेरा खेत कविता की प्रस्तुत पंक्तियों में कवि उमाशंकर जोशी जी ने कविता की तुलना कृषि के खेत से की है, अर्थात वे कृषि जीवन एवं कवि जीवन की एक साथ यहां पर तुलना करते हैं। कवि बताते हैं कि जिस तरीके से एक किसान अपने खेत में खेती करता है, बीज रोपण करता है और फिर फसल उगाता है, ठीक उसी तरह ही एक कवि भी खेती के आकार की भांति चौकोर सफेद पेज पर कविता लिखता है, उसमें अपनी कल्पना रूपी बीज बोता है एवं कविता रूपी फसल उगाता है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 2:
रचना के संदर्भ में अंधर और बीज क्या है?


उत्तर:
इस कविता में कवि ने ये कहा है कि जिस तरीके से आंधी तूफान हवा, गर्मी,  वर्षा सभी कृषि के खेत को उपजाऊ बनने में, बीज को रोपित होने में मदद करते हैं। ठीक उसी तरीके से जब तक एक कवि अपनी कल्पना से, भावों से एवं विचारों से कविता नहीं लिखेगा, तब तक वह कविता जनमानस तक नहीं पहुंचेगी। लोग उस कविता को भली-भांति समझ नहीं पाएंगे।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 3:
रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचना कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?

उत्तर:
यहां अक्षय पात्र से तात्पर्य उस पात्र से है, जो कभी भी खाली नहीं हो सकता है। ठीक उसी प्रकार कविता का बीज अगर एक बार रोपित कर दिया जाता है और अगर एक बार वह बीज फसल बनकर कविता का रूप धारण कर लेता है, तो उस कविता और अक्षयपात्र में कोई अंतर नहीं रहता है।

युगों- युगों तक कवि की कविता को पढ़ा जाता है, समझा जाता है एवं वह कविता लोगों के बीच हमेशा बहुचर्चित बनकर रह जाती है। यानी की कविता का रस उस अमृत अक्षय पात्र के समान है, जो कभी भी कम नहीं होता है, बढ़ता चला जाता है, क्योंकि यह साहित्य का रस है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 4. व्याख्या करें:

1. शब्द के अंकुर फूटे
पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि जब उस कागज रूपी चौकोर खेत में शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं, तो उसमें अंकुर फूटने के साथ-साथ एक भावना से युक्त पुष्प भी खिलता है, जिसमें कल्पना का विचार स्थापित होता है।

2. रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।

उत्तर:
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि उमा शंकर जोशी जी कहते हैं कि कवि की कविता जब रोपित होती है, तो उसमें एक विशेष बीज बोया जाता है। जो एक विशेष भाव से बोया जाता है और इस बीज की कभी कटाई नहीं होती। यह बीज आजीवन काल जीवित रहता है। इस बीज से उत्पन्न होने वाले रस का आनंद का लाभ काफी समय तक लिया जा सकता है।

छोटा मेरा खेत – कविता के आसपास

छोटा मेरा खेत प्रश्न 1.
शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारे ऐंद्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।

उत्तर:
उमा शंकर जोशी जी की इस कविता में कई तरह के बिंबों का निर्माण हुआ है, जो निम्नलिखित हैं-

चाक्षुप्त बिंब-

  • छोटा मेरा खेत चौकोना,
  • कागज का एक पन्ना,
  • कोई अंधड़ कहीं से आया।
  • शब्द के अंकुर फूटे,
  • पल्लव-पुष्पों से नमित,
  • झूमने लगे फल।
  • नभ में पाँती-बँधे बगुलों की पाँखें,
  • तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
  • कजरारे बादलों की छाई नभ छाया।

आस्वाद बिंब-

  • कल्पना के रसायनों को पी बीज गया नि:शेष।
  • अमृत धाराएँ फूटतीं।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 2.
जहाँ उपमेय में उपमान का अरोप हो, रूपक कहलाता है। इस कविता में से रूपक का चुनाव करें।

उत्तर:

  • भावों रूपी आँधी
  • विचार रूपी बीज
  • शब्द रूपी अंकुर
  • कल्पना रूपी रसायन
  • कागज़ रूपी खेत
  • कटाई रूपी अनंतता
  • क्षण रूपी बुआई।

परीक्षा की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर – छोटा मेरा खेत/बगुलों के पंख

छोटा मेरा खेत प्रश्न 1:
कवि को खेत का रूपक अपनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
उत्तर:
कवि उमाशंकर जोशी जी हमें ये बताना चाहते हैं कि कविता लिखना एक मुश्किल कार्य है। काफ़ी मेहनत और कल्पना करने के बाद ही कवि कुछ शब्दों को कागज़ पर लिख पाते हैं। ठीक इसी तरह खेती का हाल भी है। खेत में बीज बोने से लेकर कटाई करने तक की पूरी प्रक्रिया में बहुत अधिक मेहनत लगती है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 2.
शब्द रूपी अंकुर फूटने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
कवि का आशय यह है कि जिस प्रकार खेत में बीज बोने के कुछ दिनों बाद उसमें अंकुर फूटने लगते हैं, उसी प्रकार विचार रूपी बीज पड़ते ही शब्द रूपी अंकुर फूटने लगते हैं। यही कविता की पहली सीढ़ी है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 3.
कविता लुटने पर भी क्यों नहीं मिटती या खत्म होती?
उत्तर:
जब कवि की कविता पाठकों तक पहुँचती है, तो वह खत्म नहीं हो जाती, बल्कि उसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। ज्यों-ज्यों वह पाठकों के पास पहुँचती जाती है, वह और अधिक विकसित होती जाती है। यहाँ ‘लुटने से’ आशय बाँटने से है।

बगुलों के पंख प्रश्न 4.
‘पाँती बँधे’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यहाँ ‘पाँती बँधे’ से कवि ‘एकता’ की ओर संकेत करना चाहते हैं। जिस प्रकार ऊँचे आकाश में बगुले पंक्ति बाँधकर एक साथ उड़ते हैं, उसी प्रकार मनुष्य को भी एकजुट रहना चाहिए। बगुलों की पंक्ति से हमें ‘एकता ही शक्ति है’ की शिक्षा मिलती है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 5.
अलौकिक रस की धारा कब फूटती है?
उत्तर:
जब कोई विचार रूपी बीज अंकुरित होकर कविता का रूप धारण कर लेती है, तो उसमें से आनंद की बहुत-सी धाराएँ फूटती रहती हैं। ये धाराएँ युगों तक बहती जाती हैं। कविता में व्याप्त आनंद पाठकों को चिरकाल तक खुशी देती है। इसलिए कवि ने इस रस को अलौकिक कहा है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 6.
‘छोटा मेरा खेत’ कविता के रूपक को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि उमाशंकर जोशी जी ने कवि कर्म की तुलना कृषक के कार्य के साथ की है। किसान खेत में बीज बोता है, वह बीज अंकुरित होकर फसल बनता है और मनुष्य के पेट भरने के काम आता है। इसी तरह कवि भी कागज़ रूपी खेत पर अपने विचारों के बीज बोता है। कल्पना का आश्रय पाकर ये विचार विकसित होकर रचना का रूप धारण करते हैं। इस रचना के रस से मनुष्य की मानसिक जरूरत पूरी होती है।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 7.
चौकोने छोटे खेत को कवि ने कागज़ का पन्ना क्यों कहा है? उस खेत में ‘रोपाई क्षण की कटाई अनंतता की” कैसे है?
उत्तर:
कवि उमाशंकर जोशी जी ने छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहा है। कवि के अनुसार कवि का कर्म भी खेती की तरह ही है। खेती में रोपाई से कटाई तक की प्रक्रिया श्रमसाध्य होती है। ठीक इसी तरह कविता सृजन भी श्रमसाध्य कार्य है। इसमें भी खेती की तरह अनेक प्रक्रियाएँ होती हैं। कविता का रस अनंतकाल तक आनंद देता है। खेती की फ़सल का समय निश्चित होता है। पकने पर फ़सल कट जाती है, परंतु कविता का रस कभी समाप्त नहीं होता।

छोटा मेरा खेत प्रश्न 8.
‘छोटा मेरा खेत’ कविता के आधार पर खेत और कागज़ के पन्ने की समानता के तीन बिंदुओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कवि ने खेत और कागज़ के पन्ने की समानता इस प्रकार से की है

  1. खेत और कागज़-दोनों ही चौकोर होते हैं।
  2. दोनों ही समतल होते हैं।
  3. दोनों में ही बीज से फ़सल उत्पन्न होती है। खेत में बीज से तथा कागज़ पर विचार रूपी बीज से।
  4. दोनों ही अक्षयपात्र के समान हैं।
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