Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Question Answer – Yehi Thaiya Jhulni Herani Ho Rama

यहाँ दसवीं कक्षा के हिंदी पुस्तक कृतिका भाग 2 चौथे अध्याय एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Yehi Thaiya Jhulni Herani Ho Rama Question Answer) दिए गए हैं।

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Yehi Thaiya Jhulni Herani Ho Rama Question Answer

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 1.
हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है
इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 1:
हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है
इस कहानी में  दुलारी और टुन्नू के मध्याम से लेखक ने  ऐसे लोगों के योगदान को उभारा है।  टुन्नू और दुलारी दोनों ही कजली गायक हैं आज़ादी के लिए निकाले गए जुलूस में टुन्नू भाग लेता व अपने प्राण त्याग देता है इससे यह पता चलता है कि यह वर्ग केवल गाने के लिए ही नहीं बल्कि इनमें भी देश की आज़ादी को लेकर जोश है दूसरी तरफ दुलारी अपने रेशमी साड़ियाँ जलाने के लिए देती है और उसका जलूस में नाचना-गाना देश की आज़ादी के आंदोलनों में भाग लेना उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है 


एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 2.
कठोर ह्रदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 2:
दुलारी अपने कजली गायन के लिए प्रसिद्ध थी
वह अकेली रहती और खुद अपनी रक्षा करती थी। इसलिए उसका स्वभाव थोड़ा सख्त था लेकिन दिल की अच्छी थी। टुन्नू दुलारी से प्यार करता था, उसके दिल में टुन्नू की खास जगह थी परंतु हमेशा दुलारी टुन्नू को दुत्कारती थी क्योंकि दुलारी पैंतालीस वर्षीय महिला थी और टुन्नू उससे उम्र में बहुत छोटा था। दुलारी ने जान लिया था कि टुन्नू उसके शरीर का नहीं बल्कि उसकी गायन-कला का प्रेमी था। जब झींगुर दुलारी को टुन्नू की मृत्यु की खबर देता है, तो उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते हैं। आज तक किसी के लिए भी न पसीजने वाला दिल चिर गया था।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 3.
कजली  दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परम्परागत लोग आयोजनों का उल्लेख कीजिए

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 3:
कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन उस समय केवल मनोरंजन के लिए होता था। फिर भी लोगों की प्रतिष्ठा का भी प्रश्न था। कजली गायकों को बुलाकर समारोह का आयोजन किया जाता था और अपनी प्रतिष्ठा को उसके साथ जोड़ दिया जाता। सबकुछ हार-जीत पर ही निर्भर करता था। भारत में विभिन्न स्थानों पर अनेक समारोह किए जाते हैं,  जैसे उत्तर भारत में कुश्ती, राजस्थान में लोकगीत, पंजाब में लोकनृत्य, दक्षिण में बैलों के दंगल व हाथी-युद्ध का आयोजन किया जाता है।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 4.
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 4:
दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है। समाज के लोगों द्वारा इन प्रतिभाशाली व्यक्तियों और इनकी कला को उचित सम्मान नहीं दिया जाता। लेकिन अपनी कला से इन लोगों ने समाज में एक अलग पहचान बनाई है, जो कि अतिविशिष्ट है। दुलारी की चारित्रिक विशेषताएं निम्नलिखित है– 

(क) स्वाभिमानी स्त्री – दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री है। जब दुलारी को फेंकू रेशमी धोतियों  का बंडल देता है, तो दुलारी उसे फेंक देती हैं।

(ख) देश के प्रति प्रेम – दुलारी अप्रत्यक्ष रूप से आंदोलन में हिस्सा लेती है। उसने फेंकू द्वारा दी गई साड़ियों के बंडल आन्दोलनकारियों को दे दिए।

(ग) निडर स्त्री – दुलारी एक निडर स्त्री है। वह किसी से नहीं डरती और अकेले रहकर ही अपनी रक्षा करती है। 

(घ) कुशल गायिका- दुलारी एक कुशल गायिका थी लोग उसके गाने को बहुत पंसद करते थे। 

(ड़) दुलारी का टुन्नू के प्रति प्रेम- दुलारी के दिल में टुन्नू विशेष स्थान रखता है लेकिन वह अपने प्रेम को कभी भी व्यक्त नहीं कर पाती। टुन्नू की मृत्यु के बाद उसका प्रेम सबके सामने आता है, जब वह टुन्नू द्वारा दी गई खादी की धोती पहनकर सबके सामने आती है।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 5.
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 5:
दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय तीज के अवसर पर खोजवाँ बाज़ार में हुआ था। जहाँ दुलारी को गाने के लिए बुलाया गया था। उसे पद्य में सवाल-जवाब करने में महारत हासिल थी। बड़े-बड़े गायक उसके सामने फीके पड़ जाते थे। कजली दंगल में दुलारी की मुलाकात टुन्नू से हुई थी। टुन्नू भी पद्य में सवाल-जवाब करने में कुशल था। टुन्नू दुलारी को चुनौती देता है और टुन्नू दुलारी की कला के आगे नतमस्तक( सिर झुका) हो जाता है। 

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 6.
दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था –  “तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…!” दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या सन्देश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 6:
दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था – “तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…!”  यह कथन दुलारी ने टुन्नू को इसलिए कहा क्योंकि टुन्नू अभी केवल सोलाह वर्ष का था। उसके पिताजी एक गरीब पुरोहित थे, जो अपना घर बहुत मुश्किलों से चला पा रहे थे। टुन्नू को अभी असल जिंदगी का नहीं पता था। उसने तो अभी तक लोट( नोट) भी नहीं देखे थे। इस कथन के माध्यम से दुलारी उन लोगों के बारे में बता रही है, जो लोग दूसरों की नक़ल करते हैं। उसके अनुसार जिंदगी में कब क्या हो जाए, कोई नहीं जनता! इसलिए व्यक्ति को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 7.
भारत स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 7:
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। टुन्नू ने आंदोलन में एक सिपाही की तरह योगदान दिया उसने खादी के वस्त्र पहनना आरंभ कर दिया था।  उसने अंग्रेजों का विरोध बढ़ चढ़कर किया और अंत में उसे अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा। 

दुलारी ने आन्दोलन में अप्रत्यक्ष रूप  से भाग लिया था। देश में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए चलाए जा रहे आंदोलन में दुलारी ने फेंकू के द्वारा दिए गए रेशमी धोतियों के बंडल को जलाने के लिए दे दिया था।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 8.
दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुंचाता है?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 8:
दुलारी और टुन्नू के दिल में एक-दूसरे के प्रति प्रेम था। लेकिन दुलारी ने कभी भी टुन्नू के प्रेम को स्वीकार नहीं किया था। परंतु उसे दुलारी दिल से प्रेम करती थी। दुलारी बहुत अच्छे से जानती थी कि टुन्नू का प्रेम उसके लिए शारीरिक न होकर आत्मीय था। टुन्नू की इसी भावना से दुलारी के मन में उसके लिए प्रेम जगा था।

जब दुलारी ने टुन्नू को स्वधीनता आंदोलन में भाग लेते हुए और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले कार्यक्रम में शामिल होते देखा तो उसके मन में भी देश प्रेम की भावना जाग गई। यही कारण था कि बहिष्कार आंदोलन के समय दुलारी फेंकू द्वारा दिए गए रेशमी कपड़ों को जलाने के लिए दे देती है और टुन्नू द्वारा दी गई खादी की धोती पहनकर समारोह में गाने के लिए जाती है।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 9.
जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 9:
आज़ादी के आंदोलन में एक टोली जो कि विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार करने के लिए विदेशी वस्त्रों को इक्कठा कर रही थी। अधिकांश लोगों ने फटे-पुराने वस्त्र दिए थे परंतु दुलारी के द्वारा कोरी साड़ियों का बंडल देना उसकी सच्चे देश प्रेम की मानसिकता को दर्शाता है। जिसके दिल में देश के प्रति सम्मान है, उसके लिए अपने देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है। दुलारी के लिए विदेशी साड़ियों से अधिक अपने देश की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान है।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 10.
“मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी कर प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 10:
टुन्नू सोलह-सत्रह साल का बच्चा था और वह दुलारी से प्रेम करता था। दुलारी से टुन्नू उम्र में बहुत छोटा था और वह उसके प्रेम को नादानी समझती थी। इसलिए वह उसको हमेशा दुत्कारती थी। उसका प्रेम शरीर से नहीं, उसकी आत्मा से था। टुन्नू के द्वारा कहे शब्दों ने दुलारी के मन में उसकी एक अलग ही जगह बना दी थी। टुन्नू के प्रति जो दुलारी का प्रेम था उसको उसने अपने विवेक से श्रद्धा का नाम दिया। उसकी  जगह अब कोई भी व्यक्ति दुलारी के दिल में नहीं ले सकता था।

एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा प्रश्न 11.
‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हूँ रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए।

Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Answer 11:
इस कथन का अर्थ है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग( नाक में पहनने वाली नथ) खो गई है, मैं किससे पूछुं? नाक में पहना जाने वाला लौंग सुहाग का प्रतीक है। दुलारी ने अपने मन रूपी नाक में टुन्नू के नाम का लौंग पहना हुआ है। दुलारी को गाने के लिए उस स्थान पर आमंत्रित किया गया था जहाँ टुन्नू की मृत्यु हुई थी। तो उसका प्रतीकार्थ कुछ ऐसा होगा– इसी जगह मेरा प्रेमी मुझसे अलग हुआ था। अब मैं यहाँ किस से पूछूँ कि मेरा प्रेमी मुझे कहाँ मिलेगा?

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