CBSE Class 6 Hindi Chapter 13 Solution – मैं सबसे छोटी होऊँ

CBSE Class 6 Hindi Mai Sabse Choti Hou – मैं सबसे छोटी होऊं

सुमित्रानन्द पंत का जीवन परिचय:- प्रस्तुत कविता हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार श्री सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा लिखी गई है। इनका जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक ग्राम में हुआ था। इन्होंने अपनी हाईस्कूल की शिक्षा इलाहाबाद से ली तथा वहीं से उनकी काव्य चेतना का उद्गम हुआ। इन्होंने कई काव्य रचनाओं का लेखन किया है, जिनमें पल्लव, ग्रंथि, गुंजन तथा कला और बूढ़ा चांद इनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाएं हैं। इन्हें अपनी कृतियों के लिए पद्मभूषण, साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। यह हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक थे।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का सार: प्रस्तुत कविता में एक बालिका अपनी मां की सबसे छोटी संतान बनने की इच्छा रखती है। ऐसा करने से वह सदा अपनी मां का प्यार और दुलार पाती रहेगी। उसकी गोद में खेल पाएगी। उसकी मांँ हमेशा उसे अपने आंँचल में रखेगी, उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगी। उसे लगता है कि वह सबसे छोटी होगी, तो माँ उसका सबसे अधिक ध्यान रखेगी। सबसे छोटी होने से उसकी मां उसे अपने हाथ से नहलाएगी, सजाएगी और संवारेगी। उसे प्यार से परियों की कहानी सुनाकर सुलाएगी। वह कभी बड़ी नहीं होना चाहती क्योंकि इससे वह अपनी मांँ का सुरक्षित और स्नेह से भरा आंँचल खो देगी।

Ncert Solution for Class 6 Hindi Vasant All Chapters

Chapter 01. वह चिड़िया जो (केदारनाथ अग्रवाल)
Chapter 04. चाँद से थोड़ी-सी गप्पें (शमशेर बहादुर)
Chapter 10. झाँसी की रानी (सुभद्रा कुमारी चौहान)
Chapter 13. मैं सबसे छोटी होऊँ (सुमित्रानन्द पंत)
Chapter 16. वन के मार्ग में (वन के मार्ग में तुलसीदास)


Mai Sabse Choti Hou – मैं सबसे छोटी होऊं

मैं सबसे छोटी होऊँ
तेरी गोदी में सोऊँ

तेरा आँचल पकड़-पकड़कर
फिरू सदा माँ तेरे साथ
कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ

बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात

अपने कर से खिला, धुला मुख
धूल पोंछ, सज्जित कर गात
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात

ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्‍नेह न खोऊँ मैं
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्‍पृह, निर्भय
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ – Mai Sabse Choti Hou

मैं सबसे छोटी होऊँ
तेरी गोदी में सोऊँ

तेरा आँचल पकड़-पकड़कर
फिरू सदा माँ तेरे साथ
कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ पाठ-13 कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊं’ से ली गई हैं। इसके रचयिता श्री सुमित्रानंदन पंत जी है। इसमें कवि ने एक छोटी बच्ची का अपनी माँ के प्रति प्रेम को दर्शाया है।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ-  मैं सबसे छोटी होऊं कविता के प्रथम पद में बच्ची कह रही है कि काश मैं अपनी मांँ की सबसे छोटी संतान बनूं ताकि मैं उनकी गोदी में प्यार से सो सकूँ। प्यार से उनका आंँचल पकड़ कर, हमेशा उनके साथ घूमती रहूँ और उनका हाथ कभी ना छोड़ूं।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का विशेष:-

1. पकड़-पकड़कर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. सरल भाषा और संगीतात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।

बड़ा बनाकर पहले हमको
तू पीछे छलती है मात
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ पाठ-13 कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊं’ से ली गई हैं। इसके रचयिता श्री सुमित्रानंदन पंत जी है। इसमें कवि ने बताया है कि एक छोटी बच्ची बड़ी नहीं होना चाहती क्योंकि बड़े होने पर उसकी माँ आगे-पीछे नहीं घूमेगी।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ- मैं सबसे छोटी होऊं कविता के इस पद में बालिका कह रही है कि जैसे ही हम बड़े हो जाते हैं, मांँ हमारा साथ छोड़ देती है। फिर वह दिन-रात हमारे आगे-पीछे नहीं घूमती, इसलिए हमें छोटा ही बने रहना चाहिए।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का विशेष:-

1. बड़ा बनाकर में अनुप्रास अलंकार है।

2. दिन-रात में द्वंद्व समास है।

3. सरल भाषा और संगीतात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।

अपने कर से खिला, धुला मुख
धूल पोंछ, सज्जित कर गात
थमा खिलौने, नहीं सुनाती
हमें सुखद परियों की बात

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ पाठ-13 कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊं’ से ली गई हैं। इसके रचयिता श्री सुमित्रानंदन पंत जी है। इसमें कवि ने बताया है कि एक छोटी बच्ची कहती है कि बड़े होने पर माँ न नहलाती है, न परियों की कहानी सुनाती है।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ-मैं सबसे छोटी होऊं कविता में बच्ची आगे कहती है कि बड़े होने के बाद माँ हमें अपने हाथ से नहलाती नहीं, ना ही सजाती और संवारती है। फिर तो माँ हमें प्यार से एक जगह बिठाकर खिलौनों से नहीं खिलाती और परियों की कहानी भी नहीं सुनाती।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का विशेष:-

1. सरल भाषा और संगीतात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।

ऐसी बड़ी न होऊँ मैं
तेरा स्‍नेह न खोऊँ मैं
तेरे अंचल की छाया में
छिपी रहूँ निस्‍पृह, निर्भय
कहूँ दिखा दे चंद्रोदय

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ पाठ-13 कविता ‘मैं सबसे छोटी होऊं’ से ली गई हैं। इसके रचयिता श्री सुमित्रानंदन पंत जी है। इसमें कवि बताते हैं कि छोटी बच्ची कभी बड़ा नहीं होना चाहती।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का भावार्थ- मैं सबसे छोटी होऊं कविता के अन्तिम पद में बच्ची कह रही है कि मुझे बड़ा नहीं बनना है क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं माँ के आंँचल का साया खो दूंगी, जिसमें मैं निर्भय और सुरक्षित होकर आराम से सो जाती हूं।

अतः बच्ची हमेशा छोटी ही रहना चाहती है क्योंकि बड़ा होने के बाद उसे मांँ का प्यार और दुलार नहीं मिल पाएगा।

मैं सबसे छोटी होऊं कविता का प्रसंग:-

1. निस्‍पृह निर्भय में अनुप्रास अलंकार है।

2. सरल भाषा और संगीतात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।


Ncert Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13 Mai Sabse Choti Hou

मैं सबसे छोटी होऊं प्रश्न – उत्तर

प्र .1. कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है?
उत्तर.1:- कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना इसीलिए की गई है क्योंकि परिवार के सबसे छोटे सदस्य को सबसे अधिक प्यार और दुलार मिलता है और सबसे ज़्यादा वो मांँ का लाडला होता है। उसे मांँ का सबसे अधिक प्यार और देख-भाल मिलती है।

प्र .2. कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊँ मैं’ क्यों कहा गया है?
उत्तर.2:-  ऐसा इसीलिए कहा गया है ताकि उसे हमेशा अपनी मांँ का स्नेह और उनके आंँचल का दुलार मिलता रहे।

प्र .3.कविता में किसके आँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है और क्यों?
उत्तर.3:- कविता में अपनी मां के आंँचल की छाया में छिपे रहने की बात कही गई है और इसीलिए कही गई है क्योंकि बच्चों को सबसे ज़्यादा प्यार उनकी मां ही करती है तथा उसकी गोद में बच्चा अपने आप को सुरक्षित व चिंता मुक्त महसूस करता है।

प्र.4. आशय स्पष्ट करो –
“हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात!”
उत्तर.4:- इस पंक्ति का आशय यह है कि जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे मांँ का साथ छूटता जाता है और वो हमारे साथ हर समय हमेशा नहीं रह पाती।

प्र.5. कविता से पता करके लिखो कि माँ बच्चों के लिए क्या-क्या काम करती है? तुम स्वयं सोचकर यह भी लिखो कि बच्चों को माँ के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर.5:-  प्रस्तुत कविता में मां बच्चे को हमेशा अपने आंचल के साए में रखती है, प्यार से गोदी में सुलाती है, खाना खिलाती है, नहलाती, सजाती और संवारती है। इसके साथ-साथ उस परियों की कहानी और लोरी भी सुनाती है।

हम बच्चों को भी यह चाहिए कि हम अपनी मां की हर बात मानें, उनको छोटी – छोटी बातों में परेशान ना करें, यथासंभव हर काम में उनकी मदद करें तथा उनके स्वास्थ्य और सेहत का ध्यान रखें। उन्हें हमेशा खुश रखें जैसे वह हमें हमेशा खुश रखती हैं।

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