भरत-राम का प्रेम प्रश्न अभ्यास अंतरा भाग 2 चैप्टर 7
भरत-राम का प्रेम प्रश्न 1.‘हारेंहु खेल जितावहिं मोही’ भरत के इस कथन का क्या आशय है?
भरत-राम का प्रेम उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि ने भरत जी के जरिए राम जी का बखान किया है। इन पंक्तियों के माध्यम से भरत कहते हैं कि प्रभु श्री राम बचपन में मुझे खेल में जीताने के लिए खुद हार जाते थे।
मेरे भाई श्री राम बड़े ही दयालु एवं समस्त व्यक्तियों के लिए स्नेह का भाव रखने वाले व्यक्ति हैं। मुझे जीताकर श्रीराम मुझे हंसता हुआ देखना चाहते थे। वह कभी भी किसी को भी कष्ट नहीं देते हैं। प्रभु राम की प्रशंसा भरत द्वारा इन पंक्तियों में की गई है।
भरत राम का प्रेम प्रश्न 2. ‘मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ’ में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है?
भरत राम का प्रेम उत्तर- राम के स्वभाव का चित्रण कुछ इस प्रकार से किया गया है-
- प्रभु श्री राम बहुत ही दयालु प्रकृति के व्यक्ति हैं।
- कारण हो या अकारण हो वह कभी भी किसी पर नाराज नहीं होते थे।
- प्रभु श्री राम इतने दयालु हैं कि वह कभी भी किसी को उदास नहीं देख सकते थे। तभी तो जब भरत बचपन में उनके साथ खेलते थे तब जानबूझकर श्रीराम हार जाते थे।
- भरत के अनुसार प्रभु श्रीराम अपराध करने वाले व्यक्ति पर भी कभी क्रोधित नहीं होते थे।
भरत राम का प्रेम प्रश्न 3. भरत का आत्म परिताप उनके चरित्र के किस उज्जवल पक्ष की ओर संकेत करता है?
भरत राम का प्रेम उत्तर- जब प्रभु श्री राम को वनवास जाना पड़ा इसके पीछे सबसे बड़ी वजह माता कैकई थी। माता कैकई अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनते हुए देखना चाहती थी और इसी वजह से उन्होंने दशरथ से राम को वनवास भेजने के लिए कहा था।
जब राम वनवास जा रहे थे, तो सभी लोग भरत को ही दोषी मान रहे थे। माता कैकई को भी दोषी माना जा रहा था। उस वक्त भरत कहते हैं कि यह मेरे पूर्व जन्मों का पाप है। जिसकी सजा मेरे भाई श्री राम को मिल रही है। इस तरह वह अपनी माता की गलती का दोष अपने ऊपर ले लेते हैं।
भरत राम का प्रेम प्रश्न 4. राम के प्रति अपने श्रद्धाभाव को भरत किस प्रकार प्रकट करते हैं, स्पष्ट कीजिए।
भरत राम का प्रेम उत्तर- संपूर्ण काव्य पंक्तियों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि भरत अपने भाई श्री राम से बहुत प्रेम करते हैं। जब वे अपने भाई श्री राम से मिलने वनवास जाते हैं, तो उनको देखकर उनकी आंखों से आंसू बहाने लगते हैं।
वन में श्री राम का जीवन कठिन था। उस कठिन जीवन को देखकर भरत भाव विभोर हो चुके थे। अपने भाई के इस कठिन दशा का जिम्मेदार वह स्वयं को ठहराते हैं।
भरत राम का प्रेम प्रश्न 5. ‘महीं सकल अनरथ कर मूला’ पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए।
भरत राम का प्रेम उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के माध्यम से भरत स्वयं को इस संपूर्ण सृष्टि में हो रहे घटनाओं का जिम्मेदार मानते हैं। प्रभु राम के वनवास जाने का कारण भी भरत स्वयं को ही मानते हैं और उस अपराध बोध से वह इस कद्र दब गए हैं कि उनके दुःख को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। यहां भरत के सहृदय व्यक्तित्व का बोध होता है।
भरत राम का प्रेम प्रश्न 6. ‘फरइ कि कोदव बालि सुसाली। मुकुता प्रसव कि संबुक काली’। पंक्ति में छिपे भाव और शिल्प सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
भरत राम का प्रेम उत्तर- प्रस्तुत काव्य पंक्तियों का भाव यह है कि भरत कहते हैं कि यदि मैं अपनी मां पर कलंक लगाऊंगा और स्वयं को साधु सिद्ध करूंगा तो यह संभव नहीं है।
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