Barahmasa Class 12 Poem Question Answer

Barahmasa Class 12 Chapter 8 Hindi Antra Question Answer

बारहमासा कविता क्लास 12 अंतरा पाठ 8 प्रश्न अभ्यास- मलिक मुहम्मद जायसी

बारहमासा प्रश्न 1अगहन मास की विशेषता बताते हुए नागमती की व्यथा का वर्णन कीजिए।

बारहमासा उत्तर- अगहन यानि मार्गशीर्ष मास में दिन छोटा व रातें बड़ी होने लगी हैं। ऐसी स्थिति में नागमती विरह की अग्नि में दिये की भांति जल रही है।

बारहमासा प्रश्न 2- ‘जीयत खाई मुहे ना छाड़ा’ का क्या आशय है?


बारहमासा उत्तर- विरह वेदना से संतृप नागमती बाज पक्षी से कह रही हैं कि मुझे जीवित ही भक्षण कर लो, मुझे मत छोड़ो क्योंकि प्रियतम का वियोग उसे जीने नहीं दे रही है और उसका जीवन दारुण हो गया है।

बारहमासा प्रश्न 3- माघ माह में नागमती की मनोदशा वर्णित कीजिए।

बारहमासा उत्तर- माह में पाला पड़ने लगा है परन्तु वियोग ने नागमती को मृतक समान बना दिया है। गर्म वस्त्रों से ढकने के बावजूद भी नागमती का शरीर कांप रहा है। नागमती कह रही है सूर्य से कुछ ताप तो आता है परन्तु पति बिना यह जाड़ा नहीं जाता है।

श्रृंगार भाव की उत्पत्ति के बाद भी प्रियतम के दूर रहने से नागमती का प्रफुल्लित होता यौवन निर्रथक है। नागमती की आंखों से माघ माह में होने वाली तेज़ वर्षा के समान अश्रु बह रहे हैं। प्रियतम के बिना नागमती का सौंदर्य निरर्थक है तथा वह एक रसहीन जीवन व्यतीत करने को विवश है।

आंखों से गिरती हुई बूंदे ओले के समान प्रतीत हो रही हैं तथा बहती हुई पवन झकझोर कर विरह वेदना को और बढ़ा रही है। नागमती कह रही है किसके लिए श्रृंगार करें ? किसके लिए आकर्षक वस्त्र पहने और किसके लिए गले में हार व शरीर पर आभूषण पहने?

नागमती का हृदय कांप रहा है तथा तन डोल रहा है। विरह वेदना मेरे शरीर को जलाकर समाप्त करती जा रही है।

बारहमासा प्रश्न 4- वृक्षों से पत्तियां और वनों से ढाँके किस माह में गिरते हैं और इसका विरहणी से क्या संबंध है?

बारहमासा उत्तर- वृक्षों से पत्तियां और वनों से ढाँके फाल्गुन मास में गिरते हैं। इसका विरहणी से गहरा संबंध है क्योंकि ऋतु परिवर्तन तथा प्रकृति परिवर्तन के साथ विरहणी की वियोग वेदना बढ़ती जा रही है।

बारहमासा प्रश्न 5- इन पंक्तियों का अपने शब्दों में वर्णन करें।

बारहमासा उत्तर-

पिउ सौ कहेहु सँदेसडा, हे भौंरा ! हे काग !
सो धनि बिरहै जरि मुई, तेहि क धुवाँ हम्ह लाग ॥

वियोग की ज्वाला में जल रही नागमती के कौवे व भँवरे से अपनी दारुण दशा का वर्णन पति रत्नसेन से संदेश द्वारा पहुंचाने का अनुरोध कर रही है। विरह अग्नि में जलती नागमती को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसके धुएं के स्पर्श से ही कौवे व भँवरे काले हो गए हैं।

रकत ढुरा माँसू गरा, हाड भएउ सब संख ।
धनि सारस होइ ररि मुई, पाउ समेटहि पंख ॥

नागमती का रक्त सूख चुका है और मांस गल चुका है। शरीर मात्र हाड़ के समान बचा है। नागमती एक पंख समेटे हुए सारस के समान प्रतीत हो रही हैं।

तुम बिनु कापै धनि हिया, तन तिनउर भा डोल ।
तेहि पर बिरह जराइ कै चहै उढावा झोल ॥

नागमती कह रही हैं प्रियतम आपके बिना हृदय कंपित हो रहा है तथा तन डोल रहा है। विरह वेदना मेरे शरीर को जलाकर समाप्त करती जा रही है।

यह तन जारों छार कै, कहौं कि पवन ! उडाव’ ।
मकु तेहि मारग उडि परै कंत धरै जहँ पाव ॥

नागमती दुःख की पराकाष्ठा में पहुंचकर कहती है कि उसका शरीर जलाकर राख कर दिया जाए तथा राख को उस मार्ग में फैला दिया जाए जहां से उसके पति होकर गुजरे अथवा उनके पांव पड़े हों।

बारहमासा प्रश्न 6- प्रथम दो छंदों में अलंकार व काव्य सौंदर्य को निरुपित करें।

बारहमासा उत्तर-

‘जरें बिरह जो दीपक बाती’

उक्त पंक्ति में उपमा अलंकार है क्योंकि बिरह अग्नि की तुलना दीपक से की गई है।

घर घर चीर रचा सब काहूँ।

उक्त पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि अक्षरों व शब्दों की पुनरावृत्ति है परन्तु अर्थ समान है।

काव्य सौंदर्य के दृष्टिकोण से उक्त पद्यांश में क्षेत्रीय शब्दों का प्रयोग है। अनुप्रास, उपमा आदि अलंकारों का सुंदर उपयोग है। प्रकृति, पशु, पक्षी आदि को प्रतीक के रूप में उपयोग कर विरह वेदना को अभिव्यक्त किया गया है। भाषा रहस्यवादी है।

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