यह दीप अकेला प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. ‘दीप अकेला’ के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा , गर्व भरा एवं मादमाता क्यों कहा है?
उत्तर- कवि ने ‘दीप’ को मनुष्य का प्रतीक माना है। इस कविता में ‘दीप’ एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है जो स्नेह, गर्व और मदमाता से भरा हुआ है। जिस प्रकार दीप तेल से जलता है उसी तरह मनुष्य में भी स्नेह जीवित रहता है। दीप हमारे चारों ओर रोशनी फैलाता है और उसकी लौ कभी झुकती नहीं है यह उसके गर्व का सूचक है। इसी प्रकार से एक व्यक्ति भी कार्यों में कुशल होने के कारण स्वयं पर गर्व करता है। वह कभी भी किसी के सामने झुकता नहीं है। जब दीप की लौ जलते हुए इधर-उधर हिलती है तो कवि ने इसे मदमाता कहा है। इसी तरह मनुष्य भी इधर- उधर मस्ती करता है। जिसके कारण कवि ने ‘दीप अकेला’ को प्रतीक बनाकर उसे स्नेह से भरा, गर्व से भरा एवं मदमाता कहा है।
प्रश्न 2. यह दीप अकेला है ‘पर इसको भी पंक्ति को दे दो’ के आधार पर व्यष्टि का समष्टि में विलय क्यों और कैसे संभव है?
उत्तर- इस कविता में ‘दीप’ व्यक्ति और ‘पंक्ति’ समाज का प्रतीक है। दीप को पंक्ति में रखने से अर्थ है- व्यक्ति को समाज से जोड़ने से है। तभी इसे व्यष्टि में समष्टि का विलय कहा है। व्यक्ति को समाज से जोड़ना आवश्यक है। जिस प्रकार दीप के पंक्ति में आने से रोशनी बढ़ती है। उसी तरह मनुष्य भी समाज से जुड़कर उसका विकास करता है। दीप और पंक्ति का विलय होना जरूरी है। इससे उनकी शक्ति बढ़ जाएगी।अकेला व्यक्ति और दीप कुछ नहीं कर सकते। जब दोनों पंक्ति और समाज में विलय होते हैं तो उनकी शक्ति बढ़ जाती है।
प्रश्न 3. गीत और मोती की सार्थकता किससे जुड़ी है?
उत्तर- गीत की सार्थकता गायक से और मोती की गोताखोर से जुड़ी है। एक गीत तभी सार्थक होता है जब वह गायन से जुड़ा हो। और मोती तभी सार्थक होता है जब एक गोताखोर उसे समुद्र से खोजकर बाहर निकाल लाए। एक लिखे गए गीत को जब तक कोई गीतकार या लोगों द्वारा गाया जाएगा। तभी वह गीत सार्थक होगा। उसी प्रकार जब गोताखोर समुद्र की गहराई से मोती को खोजकर लाएगा। तभी लोग उस मोती को पहचान पाएंगे। तभी उस मोती की सार्थकता सिद्ध होगी।
प्रश्न 4. ‘यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित ‘ पंक्ति के आधार पर व्यष्टि के समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता बताइए।
उत्तर- इस पंक्ति में कवि ने कहा है कि जब व्यष्टि(व्यक्ति) का समष्टि(समाज) में विसर्जन होता है तो उसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। एक अनोखे व्यक्ति को समाज के साथ जोड़ दिया जाए तो उससे समाज को लाभ होगा।
प्रश्न 5. ‘यह मधु है ………. तकता निर्भय ‘ – पंक्तियों के आधार पर बताइए कि ‘ मधु ‘ , गोरस’ और ‘ अंकुर ‘ की क्या विशेषता है ?
उत्तर- कवि के अनुसार ‘मधु’ यानि शहद की विशेषता होती है। मधुमक्खियाँ के द्वारा धीरे-धीरे शहद इकट्ठा किया जाता है। इसे बनने में बहुत समय लगता है। उसके बाद जाकर हमें यह मिलता है। मधु कड़वाहट दूर करके मधुरता भरता है।
प्रश्न 6. भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क)- यह प्रकृत, स्वयम्भू, ब्रह्म, अयुतः
इस को भी शक्ति को दे दो
उत्तर- (क) इस कविता में प्रकृत, स्वयंभू और ब्रह्मा का सूचक अंकुर है। अंकुर धरती में स्वयं ही उत्पन्न होता है उस पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों से भी वह डरता नहीं है। बल्कि निडर होकर उसका सामना करता है। उसी तरह कवि के अनुसार एक रचनाकार भी स्वयं रचना करता है और उस रचना को समाज को समर्पित करता है।
(ख)- यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र,
उल्लम्ब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा
उत्तर- (ख) इस कविता में ‘दीप’ को व्यक्ति का प्रतीक माना है। यह दीप हमेशा आग को धारण किए रहता है। दीप स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश प्रदान करता है। वह हमेशा जागरूक , सावधान रहता है, और सबको समान मानता है और सबके साथ प्रेम का भाव रखता है।
(ग)- जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय
इस को भक्ति को दे दो
उत्तर- (ग) कवि ने दीप का एक व्यक्ति के रूप में चित्रण किया है। एक व्यक्ति हमेशा जानने की इच्छा रखता है इसीलिए वह ज्ञानवान और श्रद्धा से भरा हुआ है और जागरूक भी है। दीप और व्यक्ति में ये गुण हैं।
प्रश्न 7. ‘ यह दीप अकेला ‘ एक प्रयोगवादी कविता है। इस कविता के आधार पर ‘ लघु मानव ‘ के अस्तित्व और महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- ‘यह दीप अकेला’ कविता में कवि ने दीपक की विशेषता बताई है। वह अकेला जलता है। फिर भी वह स्नेह और गर्व से युक्त है। वह इतना शक्तिशाली है कि अकेला ही अपने को सार्थकता प्रदान कर रहा है। ऐसा गुणी व्यक्ति एक अच्छे समाज के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। वह व्यक्ति किसी भी तरह के दबाव में नहीं आता। वह अपनी इच्छा से समाज के विकास के लिए योगदान देना चाहता है।
Sir you are so grate your poem gyan is so helpful ly sir thank you so much