भोर और बरखा कविता का भावार्थ – Bhor Aur Barkha Class 7

Hindi Vasant Class 7 Chapter 16 Bhor Aur Barkha

भोर और बरखा कविता का भावार्थ – Bhor Aur Barkha Class 7

मीराबाई का जीवन परिचय: श्रीकृष्ण की महान भक्त और एक अद्वितीय कवयित्री के रूप में जानी जाने वाली मीराबाई का जन्म सन् 1498 में राजस्थान के मेड़ता में हुआ। इनके पति उदयपुर के महाराणा भोजराज थे। ये शादी के कुछ साल बाद ही विधवा हो गईं और कृष्ण-भक्ति में लीन हो गईं।

इनकी प्रमुख रचनाएं नरसी का मायरा, राग सोरठा के पद, राग गोविंद आदि हैं। मीरा के पद एक ग्रन्थ में भी संकलित हैं। इनकी मृत्यु के बारे में किसी को सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये अंत में श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति में ही समा गई थीं।


भोर और बरखा – Bhor Aur Barkha 

1.


जागो बंसीवारे ललना!

जागो मोरे प्यारे!

रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।

गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।

उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।

ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।

माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।

2.

बरसे बदरिया सावन की।

सावन की, मन-भावन की।।

सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।

उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।

नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।


भोर और बरखा कविता का सारांश(bhor aur barkha poem meaning in hindi): हिंदी वसंत भाग 2 के इस पाठ में मीरा के पद दिये गए हैं। पहले पद में मीराबाई ने यशोदा माँ द्वारा श्रीकृष्ण को जगाने के किस्से का वर्णन किया है। मीरा के इस पद में माता यशोदा कान्हा को तरह-तरह के प्रलोभन देकर उठाने का प्रयास कर रही हैं।

दूसरे पद में मीरा ने सावन के महीने का मनमोहक चित्रण किया है। साथ ही, इस पद में उन्होंने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का वर्णन भी किया है।

1.

जागो बंसीवारे ललना!

जागो मोरे प्यारे!

रजनी बीती, भोर भयो है, घर-घर खुले किंवारे।

गोपी दही मथत, सुनियत हैं कंगना के झनकारे।।

उठो लालजी! भोर भयो है, सुर-नर ठाढ़े द्वारे।

ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारै।।

माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।

भोर और बरखा कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-2’ पाठ-17 कविता ‘भोर और बरखा’ से ली गई हैं। मीराबाई इस पद में वो यशोदा माँ द्वारा कान्हा जी को सुबह जगाने के दृश्य का वर्णन कर रही हैं। 

भोर और बरखा कविता का भावार्थ: यशोदा माता कान्हा जी से कहती हैं कि ‘उठो कान्हा! रात ख़त्म हो गयी है और सभी लोगों के घरों के दरवाजे खुल गए हैं। ज़रा देखो, सभी गोपियाँ दही को मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन निकाल रही हैं। हमारे दरवाज़े पर देवता और सभी मनुष्य तुम्हारे दर्शन करने के लिए इंतज़ार कर रहे हैं। तुम्हारे सभी ग्वाल-मित्र हाथ में माखन-रोटी लिए द्वार पर खड़े हैं और तुम्हारी जय-जयकार कर रहे हैं। वो सब गाय चराने जाने के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। इसलिए उठ जाओ कान्हा!

भोर और बरखा कविता का विशेष:-

1. भोर भयो, करत कुलाहल में अनुप्रास अलंकार है 

2. जय-जय, घर-घर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है

3. कवयित्री ने श्री कृष्ण की बाल्यावस्था का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है

4. ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है 

बरसे बदरिया सावन की।

सावन की, मन-भावन की।।

सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।

उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।।

नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की।।

भोर और बरखा कविता का प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-2’ पाठ-17 कविता ‘भोर और बरखा’ से ली गई हैं। इस पद में मीराबाई सावन का बड़ा ही मनमोहक चित्रण कर रही हैं।

भोर और बरखा कविता का भावार्थ: इस पद में उन्होंने बताया है कि सावन के महीने में मनमोहक बरसात हो रही है। उमड़-घुमड़ कर बादल आसमान में चारों तरफ फैल जाते हैं, आसमान में बिजली भी कड़क रही है। आसमान से बरसात की नन्ही-नन्ही बूँदें गिर रही हैं। ठंडी हवाएं बह रही हैं, जो मीराबाई को ऐसा महसूस करवाती हैं, मानो श्रीकृष्ण ख़ुद चलकर उनके पास आ रहे हैं।

भोर और बरखा कविता का विशेष:-

1. बरसे बदरिया, दामिन दमकै में अनुप्रास अलंकार है 

2. नन्हीं-नन्हीं  में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है

3. सावन के महीने की वर्षा का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है

4. ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है


NCERT Solutions for Class 7 Hindi Bhor Aur Barkha Ncert Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16   

प्रश्न 1. ‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यार’, ‘लाल जी’, कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी बातें कहती हैं?

उत्तर. यहाँ यशोदा माँ अपने कान्हा को जगाने के लिए ‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यारे’, ‘लाल जी’ जैसे प्यार भरे शब्द कहती हैं।

यशोदा माँ कन्हैया को जगाने के लिए निम्न बातें कहती हैं –

“रात खत्म हो गयी है, हर घर के दरवाज़े खुल चुके हैं, हमारे द्वार पर सभी देव और दानव तुम्हारे दर्शन करने के लिए खड़े हैं। ग्वालिनें दही मथकर तुम्हारा मनपसंद मक्खन बना रही हैं। तुम्हारे सब दोस्त हाथ में माखन-रोटी लेकर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं, ताकि वे गाय चराने जा सकें। इसलिए मेरे प्यारे कान्हा! तुम जल्दी-से उठ जाओ।”

प्रश्न 2. नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए – ‘माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।’

उत्तर. यहां दी गयी पंक्ति का आशय यह है कि ग्वाल बालक अपने हाथों में माखन-रोटी लेकर गाय चराने जाने की तैयारी में हैं।

प्रश्न 3. पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए।

उत्तर. पद के आधार पर ब्रज में भोर होते ही हर घर के दरवाज़े खुल जाते हैं। ग्वालिनें दही मथकर मक्खन बनाने लगती हैं, उनके कंगन की आवाज़ हर घर में गूँजती रहती है। ग्वाल बालक हाथों में मक्खन और रोटी लेकर गायें चराने की तैयारी करने लग जाते हैं।

प्रश्न 4. मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?

उत्तर. मीरा को सावन मनभावन इसलिए लगने लगा क्योंकि यह ख़ुशनुमा मौसम उन्हें प्रभु श्री कृष्ण के आगमन का अहसास महसूस करवाता है। इस मौसम में प्रकृति बड़ी ही सुंदर हो जाती है और मीराबाई का मन प्रसन्न व उमंग से भर जाता है।

प्रश्न 5. पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर. सावन आते ही गर्मी का प्रकोप कम हो जाता है। चारों तरफ घने काले बादल छाने लगते हैं। आसमान में बिजलियाँ कड़कती हैं और बादल गरजते हैं। कभी हल्की तो कभी तेज़ बरसात होती है और प्रकृति फल-फूल उठती है। इस दौरान हवा में भीनी-भीनी ख़ुशबू फैल जाती है और वो ठंडी व सुहानी लगने लगती है।

2 thoughts on “भोर और बरखा कविता का भावार्थ – Bhor Aur Barkha Class 7”

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