बादल राग कविता की व्याख्या – Badal Raag Poem Explanation

बादल राग कविता की व्याख्या कक्षा 12 चैप्टर 7 – Badal Raag Poem Class 12 Summary

Table of content

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जीवन परिचय
  2. बादल राग कविता का सारांश
  3. बादल राग कविता
  4. बादल राग कविता की व्याख्या
  5. बादल राग कविता के प्रश्न उत्तर

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जीवन परिचय – इनका जन्म 21 फरवरी 1896 में हुआ था l वे हिंदी के छायावादी कवि स्तंभो मे से एक माने जाते हैं l इन्होंने 1920 के आसपास लिखना शुरू किया l कलकत्ते में ये समन्वयन पत्रिका का संपादन करते थे l इन्होंने लेखन की शुरुआत कविता के माध्यम से की l इन्होंने साहित्य के कईं विधाओं में प्रचुर मात्रा में कहानी, कविता, निबंध, अनुवाद इत्यादि लिखा l इनकी मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को हुई l इनकी मुख्य कविता संग्रह है, अनामिका, परिमल, गीतिका, अनामिका दूसरा भाग इत्यादी l

बादल राग इनके अनामिका काव्य संग्रह से लिया गया है l इस कविता के माध्यम से कवि ने शोषित वर्ग के लिय आवाज उठाने का प्रयास किया है l

बादल राग कविता का सारांश – Badal Raag Poem Explanation

प्रस्तुत कविता बादल राग के शीर्षक से ही यह पता चल रहा है कि यह कविता बादल से संबंधित है। बादल राग कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की बहुत बड़ी कविता है, जो कि 6 खंडों में प्रकाशित हुई थी। परंतु पाठ्यपुस्तक में आखिरी खंड की पंक्तियां ली गई हैं। 


कवि सूर्यकांत निराला जी को वर्षा ऋतु बहुत अधिक पसंद है। कवि के अनुसार बादल किसानों के लिए उल्लास के नवीन निर्माण का अग्रदूत है, जो किसानों के अंदर क्रांति की भावनाओं को जन्म देती है। कवि के अनुसार बादल शोषित वर्ग के शुभ चिंतक के रूप में जाने जाते हैं। प्रस्तुत कविता में कवि ने बादलों को क्रांति का प्रतीक माना है।

बादल राग कविता – Badal Raag Poem

तिरती है समीर
सागर पर अस्थिर सुख
पर दुःख कि छाया,
जग के दुग्ध ह्रदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया

यह तेरी रण तरी
भरी आकांक्षा से धन,
मेरी गर्जन, से सजग सुप्त
अंकुर उर मे पृथ्वी के आशाओं से,
नवजीवन कि ऊँचा
कर सिर ताक रहें हैं,
विप्लव के बादल l

फिर फिर,
बार बार,
गर्जन वर्षण है मूसलाधार,
ह्रदय थाम लेता संसार,
सुन सुन घोर वज्र हुंकार। 

असिन पात में शयित उन्नत,
शत शत वीर,
क्षत विक्षत हत अचल शरीर,
गगन स्पर्शी स्पर्धा धीर।

हँसते है छोटे पौधें,
लघु भार शस्य अपार,
हिल हिखिल खिल,, 

हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते विप्लव रव
से छोटे ही है शोभा पाते l

बादल राग कविता की व्याख्या – Badal Raag Poem Line by Line Explanation

तिरती है समीर
सागर पर अस्थिर सुख
पर दुःख कि छाया,
जग के दुग्ध ह्रदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया

यह तेरी रण तरी
भरी आकांक्षा से धन,
मेरी गर्जन, से सजग सुप्त
अंकुर उर मे पृथ्वी के आशाओं से,
नवजीवन कि ऊँचा
कर सिर ताक रहें हैं,
विप्लव के
बादल। 

बादल राग कविता की व्याख्या – जैसे ही आकाश पर बादल छाते हैं, तो कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि मानों ये बादल युद्ध की नौकाएं हैं, जो हवा और सागर के बीच में तैर रही हैं। कवि कहते हैं कि ये बदल रूपी नौकाएं निम्न वर्गों के आकांक्षाओं रूपी अस्त्र शास्त्रों से भरी हुई हैं। हे बादल ये जो तुम्हारी गर्जना है, रन भेरी के समान है, जिसे सुनकर निम्न वर्ग सजग हो गया है और वो तुम्हारी ओर आशा से देख रहे हैं l हे क्रांति दूत मेघों तुम आओ।

फिर फिर,
बार बार,
गर्जन वर्षण है मूसलाधार,
ह्रदय थाम लेता संसार,
सुन सुन घोर वज्र हुंकार। 

असिन पात में शयित उन्नत,
शत शत वीर,
क्षत विक्षत हत अचल शरीर,
गगन स्पर्शी स्पर्धा धीर।

बादल राग कविता की व्याख्या – कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी कहते हैं कि बादल तुम बार-बार गरजते हो और भीषण वर्षा करते हो और तुम्हारी गर्जन को सुनकर संसार भयभीत हो रहा है l बादलों में चमकने वाले बिजलियों से जैसे बड़े-बड़े पहाड़ खंडित हो जाते हैं, उसी प्रकार शोषित वर्ग जब हुंकार भरते हैं, तो बड़े से बड़े पूंजीपतियों का घमंड चूर-चूर हो जाता है l

हँसते है छोटे पौधें,
लघु भार शस्य अपार,
हिल हिखिल खिल,, 

हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते विप्लव रव
से छोटे ही है शोभा पाते l

बादल राग कविता की व्याख्या – कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी कहते हैं कि क्रांति कि गर्जना को सुनकर छोटे पौधे अर्थात जब वर्षा होती है, वर्षा का जल पाकर छोटे-छोटे हर्षित होते हैं और चारो ओर हरियाली छा जाती है। कवि निष्पस्ट रूप से कह रहे हैं कि क्रांति का स्वर सुनकर वंचित वर्ग ही प्रसन्न होता है। जब क्रांति आती है, तो सब से ज्यादा पूंजीपति भयभीत होते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी धन-संपत्ति की हानि का भय सताता है।

सबसे ज़्यादा खोजे गए शब्द

बादल राग
बादल राग कविता की व्याख्या
बादल राग कविता के प्रश्न उत्तर
बादल राग कविता का सारांश
badal raag kavita ka aashay spasht
badal raag kavita ki samiksha

1 thought on “बादल राग कविता की व्याख्या – Badal Raag Poem Explanation”

Leave a Comment