हरिवंश राय बच्चन की कविता अग्निपथ – Agneepath Poem by Harivansh Rai Bachchan in Hindi

वैसे तो हरिवंश राय बच्चन जी ने कई सारे रचनाएँ लिखीं, लेकिन अग्निपथ उनकी बहुचर्चित कविताओं में से एक हैं। उन्हें साहित्य में अपने योगदान के लिए 1968 में हिन्दी साहित्य के सर्वोच्च सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आगे चलकर 1976 में भारत सरकार ने हरिवंश राय बच्चन जी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया। तो चलिए इस लेख में पढ़ते हैं, हरिवंश राय बच्चन जी की सुप्रसिद्ध कविता अग्निपथ।

हरिवंश राय बच्चन की कविता अग्निपथ – Agneepath Poem by Harivansh Rai Bachchan in Hindi

अग्नि पथ

ग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!


वृक्ष हों भले खड़े,

हों घने, हों बड़े,

एक पत्र छाँह भी माँग मत, माँग मत, माँग मत!

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

 

तू न थकेगा कभी!

तू न थमेगा कभी!

तू न मुड़ेगा कभी! कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ!

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

 

यह महान दृश्य है

चल रहा मनुष्य है

अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

Agneepath

agni path! agni path! agni path!

vriksh hon bhale khade,

hon ghane, hon bade,

ek patra chhaanh bhee maang mat, maang mat, maang mat!

agni path! agni path! agni path!

 

too na thakega kabhee!

too na thamega kabhee!

too na mudega kabhee! kar shapath, kar shapath, kar shapath!

agni path! agni path! agni path!

 

yah mahaan drishya hai

chal raha manushy hai

ashru-sved-rakt se lathpath, lathpath, lathpath

agni path! agni path! agni path!

 

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