Ncert Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 Agneepath

अग्निपथ Hindi Class 9 Sparsh Solutions

अग्निपथ प्रश्न-अभ्यास

1.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

अग्निपथ प्रश्न (क). कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

Hindi Class 9 Sparsh Solutions(उत्तर):- कवि ने ‘अग्नि पथ’ शब्द को हमारे जीवन के संघर्ष और मुश्किल रास्तों के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है। कवि के अनुसार हमारा जीवन अग्नि जैसी कठिनाइयों और मुश्किलों से भरा है, इसलिए उन्होंने जीवन के पथ को अग्नि का पथ यानि अग्निपथ कहा है। हमें इन मुश्किलों से लड़ना होगा और इन पर विजय प्राप्त करके जीवन के अग्निपथ को पार करना होगा।

अग्निपथ प्रश्न (ख). ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?


Hindi Class 9 Sparsh Solutions(उत्तर):- इन शब्दों का बार-बार प्रयोग करके कवि हमें जीवन के संघर्ष से ना घबराने और मजबूती से मुश्किलों का सामना करने का संदेश देना चाहते हैं। ‘मांग मत’ शब्द का प्रयोग करके कवि ने हमसे कहा है कि चाहे जैसी भी मुश्किलें तुम्हारे जीवन में आएं और तुम्हें कितनी भी तंगी में जीना पड़े, लेकिन तुम किसी से कभी कुछ माँगना मत। ‘कर शपथ’ से कवि का तात्पर्य है कि तुम अपने मन में यह ठान लो और खुद से वादा करो कि तुम अपना लक्ष्य हासिल करके रहोगे।

अग्निपथ प्रश्न (ग). ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

Hindi Class 9 Sparsh Solutions(उत्तर):- ‘एक पत्र छाँह भी माँग मत’ कवि का अर्थ है कि अगर तुम तेज धूप में चल रहे हो और तुम्हें कोई पेड़ वृक्ष दिखे, तो उससे एक पत्ते जितनी छाँह की भीख भी मत मांगो। खुद को इतना सक्षम और मजबूत बनाओ कि तुम्हें किसी से मदद माँगने की ज़रूरत ना पड़े। हमेशा अपनी काबिलियत पर भरोसा रखो। किसी काम को शुरू करके बीच में मत छोड़ो। किसी की मदद के भरोसे रहने से बेहतर यही है कि हम अपनी काबिलियत पर भरोसा रखें और अपनी मदद स्वयं करें।

2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:

अग्निपथ प्रश्न (क). तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी

Hindi Class 9 Sparsh Solutions(उत्तर):- हरिवंशराय बच्चन जी अपनी कविता अग्निपथ की इस पंक्ति में कह रहे हैं कि जीवन के कठिन रास्ते पर चलते समय तुम्हें कहीं भी रुकना नहीं है, तुम्हें तो बस अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना है। चाहे तुम्हारे मार्ग में कितनी ही रुकावटें आएं, तुम अपनी मंजिल से मुँह नहीं मोड़ोगे और लगातार उसे पाने के लिए संघर्ष करते रहोंगे।

अग्निपथ प्रश्न (ख).चल रहा मनुष्य है, अश्रु, स्वेद, रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ

Hindi Class 9 Sparsh Solutions(उत्तर):- अग्निपथ कविता की इन पंक्तियों में कवि हरिवंशराय बच्चन जी कहते हैं कि अपने लक्ष्य को पाने का दृढ़ संकल्प करके एक मेहनती मनुष्य, आँसुओं, पसीने और खून से लथपथ होते हुए भी मुश्किल और कठिन रास्तों पर आगे बढ़ता जा रहा है। उसका संकल्प इतना मजबूत है कि मार्ग की कोई भी रुकावट और पीड़ा उसे रोक ही नहीं पा रही है। मनुष्य अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। 

3.  इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।

Hindi Class 9 Sparsh Solutions(उत्तर):- श्री हरिवंशराय बच्चन जी की कविता अग्निपथ का मूल भाव यह है कि हमारे जीवन में चाहे जैसी भी रुकावटें और मुश्किलें आएं, हमें मेहनत करते हुए अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। चाहे जैसे हालात हों, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और रुकना नहीं चाहिए। किसी की मदद की आस में अपने लक्ष्य को पाने की कोशिशें कम नहीं करनी चाहिए।

अगर हम तन-मन-धन से अपने लक्ष्य को पाने में जुट जाएं, तो कोई हमें इसे पाने से रोक नहीं सकता है। इस तरह से कवि अग्निपथ कविता में हमें मजबूत इरादों के साथ अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते रहने का सन्देश दे रहे हैं।

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