Bhartiya gayikao me bejod Lata mangeshkar class 11 Hindi chapter 1 Summary

इस पाठ में हम कक्षा 11 वितान पाठ 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर का सारांश (class 11 hindi vitan chapter 1 bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar summary) पढ़ेंगे और समझेंगे।

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर पाठ के लेखक कुमार गन्धर्व का जीवन परिचय 

लेखक कुमार गन्धर्व का जन्म 8 अप्रैल 1924 को कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सुलेयावी गाँव में हुआ। इनका मूलनाम शिवपुत्र (पूरा नाम शिवपुत्र सिद्धरमैया कोमकाली) था। उनके पिता सिद्धरामैया स्वामी एक अति गुणी संगीतज्ञ एवं उनके प्रथम संगीत गुरु थे। बाद में वे डा.बी आर.देवधर के शिष्य बनें। ख्याल के साथ- साथ भजन, गजल, लोकगीत आदि में भी माहिर थे।


जब लेखक केवल पांच वर्ष के थे। तो एक दिन अचानक कुमार की प्रतिभा दृष्टिगोचर हुई। कुमार सवाई मन्ना के एक गायन जलसे में गए थे। वहाँ से लौटकर घर आयें तो सवई गन्धर्व द्वारा गाई गई बसना राग की बन्दिश तान-आलापों के साथ ज्यों की त्यों नकल करके गाने लगे। यह देखकर इनके पिताजी व अन्य लोग आश्चर्य चकित रह गये। कुमार में पूर्व जन्म के संगीत संस्कार है ऐसा लोगों ने कहा। अतः कुमार की संगीत भावना को बल देने के लिए कहा कि इसे शास्त्रीय संगीत अवश्य सिखाइए।

कुमार में दो वर्ष की तालीम में ही शक्ति पैदा हो गई कि बड़े-बड़े गायकों के ग्रामोफोन रिकोर्डों की हू-ब-हू नकल के गाने लगे। 17 वर्ष की उम्र में एक मठ के गुरू ने उन्हें ‘कुमार गंधर्व’ की उपाधि प्रदान की।

कुमार गन्धर्व का सर्वप्रथम गायन जलसा बेलगाँव में हुआ। इसके बाद बंबई के प्रोफेसर देवधर ने इन्हें अपने संगीत विद्यालय में रख लिया। फरवरी 1936 में बम्बई में एक संगीत परिषद ने कुमार की कला का सफल प्रदर्शन हुआ जिससे श्रोतागण मुग्ध हो गए और इनका नाम संगीतज्ञों तथा संगीत-कला प्रेमियों में प्रसिद्ध हो गया। 23 वर्ष की उम्र में विवाह करौंची की एक संगीत निपुणत महिला भानुमती से हुआ लेकिन उनका देहान्त हो गया और कुमार को दूसरा विवाह करना पड़ा। कुमार कुछ समय बाद ही तपेदिक जैसे बीमारी के शिकार हो गये। इनकी पत्नी छाया की तरह साथ रहकर इनकी सेवा की जिसके परिणामस्वरूप कुमार स्वस्थ हो गए और देवास को ही इन्होंने अपना निवास बना लिया।

कुमार गंधर्व केवल मधुर गायक ही नहीं अपितु एक प्रखर कल्पनाशील कलाकार थे आपने नवीन रामों का निर्माण किया– मालवती, राहेली तोडी अनििोहिनी, रियारी भावगत भैरव लग्नगधार आदि विशेष उल्लेखनीय है। उनकी रचनाओं का संकलन उनके ग्रन्थ ‘अनुपराग विलास’ के नाम से प्रकाशित हुआ। कुमार ने गायन की एक नई शैली को जन्म दिया जिसमें लोकगीतों में शास्त्रीय संगीत का मधुर मिश्रण किया। जिसे सुन श्रोता भावविभोर हो जाते हैं। इनका 12 जनवरी 1992 को देहावसान हुआ।।

रचनाएं – उड़ जाएगा हंस अकेला, बोर चेता, झीनी-झीनी चदरिया,  सुनता है गुरु ज्ञानी आदि।

पुरस्कार – पद्म भूषण,  पद्म विभूषण

‘राष्ट्रीय कुमार गन्धर्व सम्मान’ मध्य प्रदेश शासन द्वारा संगीत के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।

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भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर पाठ की भूमिका

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़– लता मंगेशकर रचना लेखक कुमार गंधर्व ने की है। इस पाठ में लेखक संगीत की दुनिया में जानी मानी सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर की गायकी का अद्भुत वर्णन किया है। लता जी की गायकी का ऐसा अंदाज़ जिसे एक शास्त्रीय गायक को लिखने के लिए विवश कर दिया।

लेखक का लता मंगेशकर का गाना सुनना

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary:  जब लेखक बीमार पड़े तो उस समय उन्होंने रेडियो में एक अद्वितीय स्वर सुना। तो उन्हें लगा कि यह स्वर कुछ अलग है, एक आम स्वर नहीं है ऐसा स्वर उनके अंतर्मन को छू गया और वे हैरान रह गए यह किसकी आवाज़ है।

वे गाना समाप्त होने की प्रतीक्षा करने लगे और जैसे ही गाना बंद हुआ तो गायिका का नाम घोषित किया गया– लता मंगेशकर। लेखक उनका नाम सुनते ही चकित हो गए कि यह तो गायक दीनानाथ मंगेशकर की बेटी हैं। लेखक को सुप्रसिद्ध गायक दीनानाथ मंगेशकर की अजब गायकी का एक दूसरा स्वरूप लिए उन्हों की बेटी की कोमल आवाज़ में सुनने का अनुभव हुआ।

सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary:  लता जी  ने  ‘बरसात’ चित्रपट (फिल्म) के पहले के किसी चित्रपट(फिल्म) का गाना गया था। तब से लता निरंतर गाती चली आ रही है और लेखक भी उनका गाना सुनते आ रहे हैं। लेखक बताते हैं कि लता के पहले अपने जमाने में प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ का चित्रपट (फिल्म) संगीत में  सुप्रसिद्ध थीं। परंतु चित्रपट(फिल्म) संगीत के क्षेत्र में नूरजहाँ के बाद में आने पर भी लता उनसे कहीं आगे निकल गई। कला के क्षेत्र में ऐसे चमत्कार कभी-कभी दिखाई देते हैं। जैसे प्रसिद्ध सितारिये विलायत खाँ जो अपने सितारवादक पिता की तुलना में अधिक लोकप्रिय हुए और उनको अधिक सफलता भी प्राप्त हुई।

लता जी की गायकी का लोगों पर प्रभाव

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary:  लेखक का मानना है कि भारतीय गायिकाओं में लता के मुकाबले कोई गायिका नहीं हुई। लता जी ने  चित्रपट(फ़िल्म) संगीत को अधिक लोकप्रिय बनाया है। लोगों का शास्त्रीय संगीत को देखने का नज़रिया भी बदल गया है। लेखक अपनी बात को अधिक स्पष्ट करने के लिए एक उदहारण देते हैं – पहले भी घर- घर छोटे बच्चे गाया करते थे पर उस गाने में और आजकल घरों में सुनाई देने वाले बच्चों के गाने में बड़ा अंतर हो गया हैं। आजकल के नन्हे मुन्ने भी स्वर में गुनगुनाते हैं। इसके परिवर्तन का कारण लेखक लता जी को मानते हैं लता जी की आवाज़ कोकिला की तरह मीठी, सुरीली है उनकी सुरीली आवाज़ को कोई भी सुनकर उसको दोहराने का प्रयत्न करेगा।

आम आदमी को संगीत का ज्ञान

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary:   सामान्य लोगों को भी संगीत के विविध प्रकारों से उनका परिचय हो रहा है। उनका स्वर ज्ञान बढ़ रहा है। उन्हें संगीत में सुरीलापन, लय की  सूक्ष्मता की पहचान हो रही है। इन सबका श्रेय लता जी को ही जाता है। इस प्रकार उन्होंने नयी पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है और सामान्य मनुष्य में संगीत विषयक अभिरुचि पैदा करने में बड़ा हाथ बँटाया है। संगीत की लोकप्रियता, उसका प्रसार और अभिरुचि के विकास का श्रेय लता जी  को ही देना पड़ेगा।

लेखक कहते हैं कि अगर किसी भी सामान्य श्रोता को लताजी की ध्वनि मुद्रिका(स्वरलिपि) और शास्त्रीय गायकी की ध्वनिमुद्रिका सुनाई जाए तो वह लता की ध्वनिमुद्रिका ही पंसद करेगा। एक सामान्य श्रोता को शास्त्रीय गायकी का ज्ञान नहीं होता उसे नहीं पता गाना कौन -से राग, ताल, लय में गाया गया है। एक आम श्रोता ऐसा गाना सुनना पसंद करेगा जिसका वह अनुभव कर सके, जिसमें मिठास हो और जिसे सुनकर मस्त हो जाए। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि जिस प्रकार मनुष्यता हो तो वह मनुष्य है, वैसे ही गानपन(गाने का ऐसा अंदाज़ जो आम आदमी को भी भाव विभोर कर दे) हो तो वह संगीत है। लता जी के सभी गानों में गानपन मौजूद है।

लता जी की गायकी की विशेषताएँ

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary:  लेखक लता जी की गायकी की विशेषताओं के बारे में बताते हैं  कि लता की लोकप्रियता का मुख्य रहस्य’ गानपन’ ही है और उनके स्वरों की निर्मलता है। लता जी से पहले गायिका नूरजहाँ भी एक अच्छी गायिका थी लेकिन उनके गाने में एक मादक उत्तान दीखता था और दूसरी ओर लता जी के गाने में कोमलता और मुग्धता है। लता जी का जीवन को देखने का जो नज़रिया है वही उनकी गायकी में झलकता है। लेखक कहते हैं कि संगीत दिग्दर्शकों(डायरेक्टर)  ने उनकी  स्वर निर्मलता का ज्यादा उपयोग नहीं किया अगर वे  खुद दिग्दर्शक(डायरेक्टर) होते तो लता जी को मुश्किल कार्य देते।

लता के गाने की एक और विशेषता है, उसका नादमय उच्चार उसके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा बड़ी सुंदर रीति से भरा रहता है और दोनों शब्द एक-दुसरे में विलीन होते होते प्रतीत होते  हैं।

लेखक का मानना है कि लगता के करूण रस के गाने ज्यादा अच्छे नहीं है, उन्होंने मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति करने वाले मध्य या द्रतुल्य के गाने अच्छे तरीके से गाएं हैं। उनसे दिग्दर्शकों ने अधिकतर संगीत ऊँचे स्वर में गवाएं हैं। 

शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary: लेखक का मानना है कि शास्त्रीय व् चित्रपट संगीत में तुलना करना निरर्थक है। शास्त्रीय संगीत में गंभीरता स्थायी भाव है, जबकि चित्रपट संगीत में तेज लय व चपलता मुख्य होती है। चित्रपट संगीत में ताल की प्राथमिक अवस्था होती है और शास्त्रीय संगीत में परिष्कृत रूप। चित्रपट संगीत में आधे तालों, आसान लय, सुलभता व लोच की प्रमुख विशेषताएँ होती हैं। चित्रपट संगीत गायकों को शास्त्रीय संगीत की उत्तम जानकारी जरूर होनी चाहिए। और लता जी के पास यह ज्ञान भरपूर है।

संगीत में रंजकता का अधिक महत्व

bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary:  लता के तीन-साढे तीन मिनट के गान और तीन-साढे तीन घटे की शास्त्रीय महफिल का कलात्मक व आनंदात्मक मूल्य एक जैसे हैं। उनके गानों में स्वर, लय व शब्दार्थ का संगम होता है। गाने की सारी मिठास, सारी ताकत उसकी रंजकता पर ही आधारित होती है और रंजकता का संबंध रसिक को आनंदित करने की सामथ्र्य से है। लता का स्थान अव्वल दरजे के खानदानी गायक के समान है। किसी ने पूछा कि क्या लता जी शास्त्रीय गायकों की तीन घंटे की महफिल सकती है ? लेखक उसी से प्रश्न करते हैं  कि क्या कोई प्रथम श्रेणी का गायक तीन मिनट में चित्रपट का गाना इतनी कुशलता और रसोत्कटता से गा सकेगा? शायद नहीं।

खानदानी गवैयों ने चित्रपट संगीत पर लोगों के कान बिगाड़ देने का आरोप लगाया है। लेखक का मानना है कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान सुधारे हैं। लेखक कहते हैं कि हमारे शास्त्रीय गायक आत्मसंतुष्ट वृत्ति के हैं। वे कर्मकांड को आवश्यकता से अधिक महत्त्व देते हैं, जबकि चित्रपट संगीत लोगों को अभिजात्य संगीत से परिचित करवा रहा है।

लोगों को सुरीला व भावपूर्ण गाना चाहिए। यह काम चित्रपट संगीत ने किया है। उसमें लचकदारी है। उस संगीत की मान्यताएँ, मर्यादाएँ, झंझटें आदि निराली हैं। यहाँ नवनिर्माण की गुजाइश है। इसमें शास्त्रीय रागदारी के अलावा लोकगीतों का भरपूर प्रयोग किया गया है। संगीत का क्षेत्र विस्तृत है। ऐसे चित्रपट संगीत की बेताज सम्राज्ञी लता है। उनकी लोकप्रियता अन्य पाश्र्व गायकों से अधिक है। उनके गानों से लोग पागल हो उठते हैं। आधी शताब्दी तक लोगों के मन पर उनका प्रभुत्व रहा है। यह एक चमत्कार है जो आँखों के सामने है।

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर पाठ का उद्देश्य

इस पाठ के माध्यम से हमें लेखक ने सुप्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर की गायकी के बारे में बताया है और साथ ही संगीत की भी जानकारी दी है। 

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ

द्रुतलय- लय तीन प्रकार का होता है. (क). विलंबितलय (धीमी) (ख). मध्यलय (बीच की) (ग). द्रुतलय (तेज) मध्यलय से दुगुनी और विलंबितलय से चौगुना तेज लय द्रुतलय कहलाती है।

पट्टी- ऊँचे(तारसप्तक के) स्वरों का प्रयोग

जलदलय- द्रुत लय (तेज)

लोच- स्वरों का बारीक मनोरंजक प्रयोग
मालिकाएँ-स्वरों के क्रमबद्ध समूह या

ध्वनिमुद्रिका- स्वरलिपि

गायकी- जिसमें गायन को कुछ निर्धारित नियमों के अंदर ही गाया-बजाया जाता है। खयाल, ध्रुपद, धमार आदि शास्त्रीय गायकी के अंतर्गत आते हैं।

मालकोस- भैरव घाट का राग, जिसमें रे और प वर्जित है। इसमें सारे स्वर कोमल लगते हैं। यह गंभीर प्रकृति का लोकप्रिय राग है।

त्रिताल- यह सोलह मात्राओं का ताल है। इसमें चार चार मात्राओं के चार विभाग होते हैं।

गानपन- गाने का ऐसा अंदाज जो एक आम आदमी को भी भावविभोर कर दे।

तैलचित्र- जिस चित्र में तैलीय रंगों का प्रयोग किया जाता है।

पर्जन्य- बादल

अनभिषिक्त- बेताज

कक्षा 11 की पुस्तक वितान के अध्याय पहले भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर पाठ का सारांश ‘Class 11 Hindi Vitan Chapter 1 bhartiya gayikao me bejod lata mangeshkar Summary’ से जुड़े प्रश्नों के लिए हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।

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