इस चैप्टर में हम कक्षा 10 की पुस्तक संचयन में दिए गए दूसरे अध्याय ‘सपनों के से दिन के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर’ ( Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 Sapno Ke Se Din Extra Question Answer) पढ़ेंगे और समझेंगे।
Sapno ke se din class 10 extra question answer
Sapno ke se din extra question 1.‘स्कूल हमारे लिए ऐसी जगह न थी जहाँ खुशी से भागे जाए ” फिर भी लेखक और साथी स्कूल क्यों जाते थे? आज के स्कूलों के बारे में आपकी क्या राय है? क्यों? विस्तार से समझाइए।
Sapno ke se din Answer 1. लेखक और उनके साथियों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था, परंतु जब मास्टर प्रीतमचंद स्काउटिंग परेड करवाते, तब सभी बच्चे हाथों में रंग-बिरंगे झंडे लेकर, गले में रूमाल बाँधकर परेड करते थे ऐसे करते हुए लेखक और उनके साथियों को बहुत अच्छा लगता था। स्काउटिंग परेड में सभी बच्चे ठक-ठक करते राईट-टर्न, लेफ्ट-टर्न करते और मास्टर जी उन्हें ‘शाबाश’ कहते, तो उन्हें यह पूरे साल में मिली ‘गुड्डों’ से भी अधिक मूल्यवान लगती थी। इसी एक कारण से लेखक और उनके साथियों को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।
स्कूल के बारे में मेरी राय है कि बच्चों को शारीरिक दंड नहीं देना चाहिए। अगर बच्चों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या है तो एक अध्यापक का कर्तव्य है कि वे उस बच्चे से प्यार से बात करें ताकि बच्चा अपनी समस्या को बिना किसी डर के अध्यापक से सामने रख सके। स्कूल में अध्यापक बच्चों के साथ प्यार से पेश आएंगे तो बच्चे स्वयं अनुशासित रहेंगे, अपनी पढ़ाई पर ध्यान भी देंगे और साथ ही खुशी-खुशी रोज स्कूल भी जाएँगे।
Sapno ke se din extra question 2.‘बच्चों को खेल सबसे अच्छा लगता है और वे मिलजुल कर खेलते हैं।’ ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Sapno ke se din Answer 2. लेखक कहते हैं जब वे बचपन में खेलते-कूदते, भागते-दौड़ते तो उन्हें चोट लग जाती थी तब सभी ज़ख्मी हो जाते थे। जब घर जाते तो सभी की माँ- बहनें उन पर तरस खाने की जगह मार-पिटाई करती थीं। लेखक बताते हैं कि मेरे साथ खेलने वाले अधिकतर साथी हमारे ही जैसे परिवारों के हुआ करते थे। सभी निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों से थे, सभी बच्चों की आदतें भी कुछ मिलती-जुलती थी।
Sapno ke se din extra question 3. लेखक के गाँव के बच्चे पढ़ाई में रुचि नहीं लेते थे। स्पष्ट कीजिए।
Sapno ke se din Answer 3. लेखक के गाँव के बच्चे पढ़ाई में रुचि इसलिए नहीं लेते थे क्योंकि लेखक के समय में गाँव के बच्चों के माता- पिता शिक्षा के महत्व से अनजान थे। वे बच्चों को अपने साथ काम में लगाकर रखते थे। उनका मानना था कि बच्चे ज्यादा पढ़ -लिखकर क्या करेंगे, आखिर में काम तो यही करना है। तभी वे अपने बच्चों की पढ़ाई पर भी बिलकुल ध्यान नहीं देते थे।
Sapno ke se din extra question 4. “सपनों के से दिन” पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि जो बच्चे बचपन में नहीं पढ़ पाए उसके लिए उनके माता-पिता किस तरह जिम्मेदार थे?
या लेखक के बचपन में बच्चों के न पढ़ पाने के लिए अभिभावक अधिक जिम्मेदार थे। इससे आप कितना सहमत हैं?
Sapno ke se din Answer 4. गाँव के बच्चों की पढ़ाई में रुचि न होने के कारण बस्ता(स्कूल का बैग) तालाब में फेंक आते थे और वे उसके बाद कभी स्कूल भी नहीं गए, उनके माता-पिता ने भी उनको दोबारा स्कूल भेजने का भी प्रयास नहीं किया। गाँव में राशन की दुकान वाला और किसानों की फसलों को खरीदनेऔर बेचने वाले भी अपने बच्चों को स्कूल भेजना जरुरी नहीं समझते थे। अगर कभी कोई स्कूल का अध्यापक बच्चों के माता-पिता को स्कूल बुलाकर उन्हें समझाने की कोशिश करते तो वे अध्यापक को यह कह कर चुप करवा देते कि उन्हें अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर कौन-सा तहसीलदार बनाना है। और साथ ही कहते कि जब उनका बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाएगा तो वे उसे पंडित घनश्याम दास से हिसाब-किताब लिखने की पंजाबी प्राचीन लिपि सीखा देंगे और दुकान पर खाता लिखवाने लगा देंगे। स्कूल में जाकर भी यह कुछ भी नहीं सीख पाया है। उस समय बच्चों के माता-पिता शिक्षा के महत्व से अनजान थे। उनकी बातों से स्पष्ट होता है कि बच्चों की पढ़ाई न हो पाने के लिए उनके माता-पिता अधिक जिम्मेदार थे।
Sapno ke se din extra question 5.“सपनों के से दिन” पाठ में लेखक ने अपने स्कूल का वर्णन किस प्रकार से किया है?
Sapno ke se din Answer 5. इस पाठ में लेखक ने अपने स्कूल का सुंदर वर्णन किया है। लेखक का स्कूल बहुत छोटा था। इसमें छोटे-छोटे नौ कमरे थे, जो अंग्रेजी के ‘एच’ की तरह बने हुए थे, दाईं ओर पहला कमरा हेडमास्टर श्री मदनमोहन शर्मा जी का था। जिसके दरवाज़े के आगे हमेशा पर्दा लगा रहता था। स्कूल में प्रार्थना के समय वे बाहर आते थे और सीधे खड़ी कतार में लड़कों को देखकर खुश हो जाते थे। स्कूल के सारे अध्यापक भी उनके पीछे कतार में खड़े हो जाते थे, केवल मास्टर प्रीतमचंद जो पीटी के अध्यापक थे। वे लड़कों को भी देखते की कोई कतार से बाहर तो नहीं है। वे बच्चों को दंड देते थे और इसके विपरीत हमारे हेडमास्टर शर्मा जी थे, वे बिल्कुल शांत स्वभाव के थे। वे आठवीं और पाँचवी श्रेणी को अंग्रेजी खुद पढ़ाया करते थे।
Sapno ke se din extra question 6. स्कूल की छोटी क्यारियों में उगाए गए कई तरह के फूलों का लेखक और उनके साथी क्या करते थे?
Sapno ke se din Answer 6. लेखक के स्कूल की छोटी-छोटी क्यारियों में कई तरह के फूल उगाए जाते थे जिनमें गुलाब, गेंदा और मोतिया की दूध-सी सफ़ेद कलियाँ भी हुआ करती थीं। ये कलियाँ इतनी सूंदर और खुशबूदार होती थीं कि लेखक और उनके साथी चपरासी से छुप-छुपाकर कभी-कभी कुछ फूल तोड़ लिया करते थे। उन फूलों की खुशबू लेखक आज भी महसूस कर सकता है। परन्तु लेखक को अब यह याद नहीं कि उन फूलों को तोड़कर, कुछ देर सूँघकर फिर उन फूलों का वे क्या करते थे। शायद वे उन फूलों को या तो जेब में डाल लेते होंगे और माँ उसे धोने के समय निकालकर बाहर फेंक देती होगी या लेखक और उनके साथी खुद ही, स्कूल से बाहर आते समय उन्हें बकरी के मेमनों की तरह खा या ‘चर’ जाया करते होगें।
Sapno ke se din extra question 7. लेखक ने छुट्टियों के पहले और आखिरी दिनों के फर्क का अंतर किस तरह स्पष्ट किया है?
Sapno ke se din Answer 7. लेखक ने स्कूल की गरमी छुट्टियों के पहले और आखिरी दिनों में अंतर बताया है। जब लेखक स्कूल की छुट्टियों में अपनी नानी के घर जाते, तो पहले दो-तीन सप्ताह तो ऐसे ही निकल जाते थे। नानी के घर खूब दूध-दही और मक्खन खाने को मिलता था और नानी के घर के पास जो तालाब था वहाँ दोपहर तक नहाते रहते और जो जी में आता तो नानी से माँग लेते थे।
जब छुट्टियाँ खत्म होने वाली होती तो उनका डर बढ़ने लगता था। मास्टर जी ने जो छुट्टियों का काम दिया था। उसका हिसाब लगाने लगते तो स्कूल की पिटाई का डर और बढ़ने लगता था। ऐसे समय में स्कूल में बच्चों सबसे बड़ा नेता ओमा हुआ करता, जो मास्टरों की मार को सस्ता-सौदा समझता था। फिर वे सोचते कि किस तरह से काम पूरा किया जाए, दिन-रात एक करके काम पूरा करने की कोशिश करते पर सफल नहीं होते और मास्टरों से पीटाई खा लेते थे।
Sapno ke se din extra question 8. लेखक ने ‘सस्ता सौदा’ किसे कहा है? और क्यों?
Sapno ke se din Answer 8. लेखक ने ‘सस्ता सौदा’ बच्चों द्वारा स्कूल का काम न करने पर मास्टरों द्वारा पिटाई को कहा है। इसका कारण यह है कि उस समय स्कूल में अध्यापक गरमी की छुट्टियों के काम में दो सौ सवाल दिया करते थे। बच्चे अपने गर्मियों की छुट्टियों के दस-पंद्रह दिन बीतने के बाद काम करने के बारे में सोचते थे। वे सोचते थे कि एक दिन में दस सवाल करने पर भी बीस दिन में दो सौ सवाल पूरे हो जाएँगे। फिर दस दिन की छुट्टियाँ और बीतने पर वे बीस सवाल प्रतिदिन पूरा करने की बात सोचते पर काम न करते। अंत में मास्टरों की पिटाई को ‘सस्ता सौदा’ समझकर स्कूल में मास्टरों से पिटाई कहा लेते थे।
Sapno ke se din extra question 9. मास्टर प्रीतम चंद और हेडमास्टर शर्मा जी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Sapno ke se din Answer 9. मास्टर प्रीतम चंद- मास्टर प्रीतम चंद का कठोर स्वभाव था और वे बच्चों को बहुत सख्त सजा देते थे। इस दिन बच्चों को ज्यादा सख्त सजा देने पर स्कूल से भी बर्खास्त कर दिया गया था।
दूसरी तरफ उनका एक कोमल ह्रदय भी था वे पक्षियों से बहुत प्यार थे। उन्होंने अपने घर में दो तोते रखे हुए थे। वे उन्हें बादाम भी खिलाते थे और उनसे बातें भी किया करते थे। जब बच्चों ने पीटी सर को ऐसे देखा, तो उन्हें चमत्कार- सा लगा कि जो मास्टर स्कूल में बच्चों को मारते-पिटते थे, वे अपने तोतों के साथ आखिर कैसे अच्छे से बातें कर सकते हैं।
हेडमास्टर शर्मा जी- हेडमास्टर शर्मा जी शांत स्वभाव के थे। जब शर्मा जी ने पीटी सर को बच्चों को सख्त सजा देते हुए देखा तो उन्हें बर्खास्त कर दिया। शर्मा जी बच्चों की समस्याओं को समझते थे उन्हें लेखक के घर की आर्थिक स्थिति के बारे में पता था इसलिए वे लेखक को पुराने किताबें लाकर देते थे।
Sapno ke se din extra question 10. पीटी मास्टर प्रीतमचंद में ऐसी क्या बात थी जिसको देखकर बच्चे डरते थे?
Sapno ke se din Answer 10. पीटी मास्टर प्रीतमचंद को स्कूल में कभी भी किसी ने मुस्कुराते नहीं देखा था। उनका छोटा कद, दुबला-पतला शरीर, चेचक के दागों से भरा चेहरा और बाज़ सी तेज़ भूरी रंग की आँखें, खाकी वर्दी, चमड़े के चौड़े पंजों वाले जूते पहनते थे। उनके जूतों की ऊँची एड़ियों के नीचे खुरियाँ लगी रहती थी, जैसे ताँगे के घोड़े के पैरों में लगी रहती है। यदि मास्टर प्रीतमचंद सख्त जगह पर भी चलते तो खुरियों और किलों के निशान वहाँ भी दिखाई देते थे। उनका ऐसा व्यक्तित्व बच्चे देखकर डरते थे।
Sapno ke se din extra question 11. फ़ारसी की कक्षा में मास्टर प्रीतमचंद ने किस तरह शारीरिक दंड दिया जिसे लेखक और उनके साथी आजीवन नहीं भूल पाए?
Sapno ke se din Answer 11. मास्टर प्रीतमचंद बहुत सख्त सजा देते थे। वे लेखक को चौथी श्रेणी में फ़ारसी पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने सभी बच्चों को फ़ारसी शब्द-रूप याद करने को कहा परंतु कोई भी बच्चा पूरी तरह याद नहीं कर पाया। मास्टर जी ने सभी बच्चों को टांगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने और पीठ ऊँची करने के लिए कहा, कई बच्चे सहन न कर सके और तीन-चार मिनट के बाद बारी-बारी से गिरने लगे। मास्टर प्रीतम चंद के द्वारा दी गई इस सजा को लेखक और उनके साथी आजीवन नहीं भूल पाए।
Sapno ke se din extra question 12. जब हेडमास्टर ने प्रीतमचंद को बच्चों को शारीरिक दंड देते हुए देखा तो उन्होंने मास्टर प्रीतमचंद के विरुद्ध क्या कार्यवाही की?
Sapno ke se din Answer 12. जब मास्टर प्रीतम चंद बच्चों को शारीरिक दंड दे रहे थे। उसी वक्त हेड मास्टर शर्मा जी उधर से निकले, उन्होंने पीटी सर को बच्चों से इतना बुरा व्यवहार करते देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने पीटी सर को बहुत डांटा और उनकी शिकायत डायरेक्टर को लिखकर भेज दी। जब तक ऊपर से आदेश नहीं आ जाता तब तक पीटी सर को स्कूल में आने की अनुमति नहीं थी।
Sapno ke se din extra question 13. मास्टर प्रीतमचंद के निलंबन के बाद भी बच्चों के मन में उनका डर किस तरह समाया था?
Sapno ke se din Answer 13. स्कूल के बच्चे पीटी मास्टर प्रीतमचंद की पिटाई से इतने डरे हुए थे कि उन्हें सब कुछ पता होते हुए भी कि पीटी मास्टर प्रीतमचंद को जब तक नाभा से डायरेक्टर स्कूल दोबारा में दोबारा आने की अनुमति नहीं देते तब तक वे स्कूल में कदम नहीं रख सकते, फिर भी जब भी फ़ारसी की घंटी बजती तो बच्चों को पीटी सर की सख्त सजा याद आ जाती थी। परंतु जब तक शर्मा जी स्वयं या मास्टर नौहरिया राम जी कमरे में फ़ारसी पढ़ाने न आ जाते, तब तक तो सभी बच्चों के चेहरे मुरझाए ही रहते थे। इस तरह उनका डर बच्चों के मन में जमकर बैठ चुका था।
Sapno ke se din extra question 14. लेखक ने सातवीं कक्षा तक की जो पढ़ाई की उसमें स्कूल के हेडमास्टर शर्मा जी का योगदान अधिक था। स्पष्ट कीजिए।
या लेखक की पढ़ाई में हेडमास्टर शर्मा जी का योगदान स्पष्ट कीजिए।
Sapno ke se din Answer 14. लेखक के घर में किसी की भी पढ़ाई में कोई रूचि नहीं थी। यदि लेखक को नयी किताबें खरीदनी पड़ती तो नयी किताबें लानी पड़तीं तो शायद लेखक की पढ़ाई तीसरी-चौथी कक्षा में ही छूट जाती। लेखक लगभग सात साल स्कूल में रहा तो उसका एक कारण था कि लेखक को पुरानी किताबें मिल जाती थी। और अन्य सामान जैसे – कापियों, पैंसिलों, होल्डर या स्याही-दवात में भी मुश्किल से साल भर में एक-दो रूपये ही खर्च हुआ करते थे। परन्तु उस समय तो एक रूपया भी बहुत मायने रखता था।
लेखक के स्कूल के हेडमास्टर शर्मा जी एक लड़के को उसके घर जाकर पढ़ाया करते थे। वे बहुत अमीर लोग थे। उनका लड़का लेखक से एक कक्षा आगे पढ़ता था। प्रत्येक वर्ष जन पढ़ाई का नया साल शुरू होता था तो शर्मा जी उस लड़के की एक साल पुरानी किताबें लेखक के लिए ले आते थे। इससे लेखक ने सातवीं तक की पढ़ाई कर ली। मास्टर शर्मा जी लेखक की घर की आर्थिक स्थिति से भी परिचित थे। इस प्रकार लेखक की पढ़ाई में उनके स्कूल के हेडमास्टर शर्मा जी का महत्वपूर्ण योगदान था।
कक्षा 10 की पुस्तक संचयन में दिए गए दूसरे अध्याय ‘सपनों के से दिन कक्षा 10 संचयन पाठ 2 के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर’ Sanchayan Class 10 Chapter 2 Sapno Ke Se Din Extra Question Answer जुड़े सवालों के जवाब पाने के लिए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिखें।
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