बादल राग कविता के प्रश्न उत्तर – Badal Raag Poem Question Answer

बादल राग कविता कक्षा 12 चैप्टर 7 प्रश्न अभ्यास – Badal Raag Poem Class 12 Chapter 7 Question Answer

बादल राग कविता का प्रश्न अभ्यास

बादल राग प्रश्न 1: अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ किसे कहा गया हैं और क्यों?
उत्तर-अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति के माध्यम से कवि ने दुख की छाया मानवों के जीवन में आने वाले कष्ट को कहा है। कवि के अनुसार इस संपूर्ण संसार में सुख कभी भी स्थाई नहीं होता है। सुख एवं दुख ईश्वर के दिए हुए उपहार हैं, जो आते एवं जाते रहते हैं।

बादल राग प्रश्न 2: ‘अशानि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर‘ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया है?
उत्तर- ‘अशानि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में कवि ने पूंजीपति वर्ग की ओर संकेत किया है। बिजली गिरने का अर्थ क्रांति से है। 


बादल राग प्रश्न 3: ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते‘ पंक्ति में  ‘विप्लव-रव‘ से क्या तात्पर्य है? ‘छोटे ही है हैं शोभा पाते‘ ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर- ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में  ‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य क्रांति रुपी गर्जन से है। कवि कहते हैं कि क्रांति वह अस्त्र है, जिसके माध्यम से आम आदमी गलत के खिलाफ आवाज उठा सकता है और अपने ऊपर हुए अत्याचार को जड़ से समाप्त भी कर सकता है।

बादल राग प्रश्न 4: बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती हैं?
उत्तर- बादलों के आगमन से प्रकृति में जो भी परिवर्तन होते हैं, वे परिवर्तन कुछ इस प्रकार है-

  • बादल गरजते हुए वर्षा करते हैं।
  • वर्षा के उपरांत ही इस संपूर्ण पृथ्वी में पौधे नए रूप में खिलते हैं।
  • जब बादल गरजते हैं, तब बिजली भी चमकती है और उसी बिजली के चमकने से पर्वत के शिखर टूट जाते हैं।
  • अत्यंत गर्मी के कारण जब प्राणी उदास हो जाते हैं, ऐसे समय पर वे बादलों को देखकर ही खुश होते हैं।

व्याख्या कीजिए-

(1) तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

उत्तर- इन पंक्तियों में कवि ने बादलों को क्रांति का प्रतीक माना है। कवि के अनुसार यदि जीवन में सुख है, तो दुख भी है। ठीक उसी प्रकार यदि शोषण करने के लिए पूंजीपति वर्ग है, तो उनसे लड़ने के लिए किसानों के पास क्रांति रूपी अस्त्र है। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से बादल का आह्वान करते हुए, उन्हें क्रांति का प्रतीक माना है।

(2) अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि पूंजी पतियों के बड़े-बड़े विशाल भवन दरअसल गरीबों के शोषण से बना हुआ महल है, जो कभी भी खत्म हो सकता है। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने पूंजीपति वर्गों के ऊपर कटाक्ष किया है।

बादल राग कविता के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

बादल राग प्रश्न 1: कवि ने इस कविता में क्रांति दूत किसको संबोधित किया है?
उत्तर- कवि ने यह कविता बादलों के परिपेक्ष्य में लिखी है। उनके अनुसार आसमान के बादल वे शोषित वर्ग हैं, जो पूँजीपतियों के नीचे दबे हुए हैं। यहाँ कवि ने बादलों को क्रांति दूत कहा है।

बादल राग प्रश्न 2: कविता में प्रयुक्त अलंकरणो बताएं?
उत्तर-
समीर सागर, भेरी गर्जन, दुःख की छाया, रण तरी, फिर फिर, बार बार, इत्यादि में कवि ने रूपक अलंकार प्रयुक्त किया है। भाषा शैली तत सम प्रधान खड़ी बोली है।

बादल राग प्रश्न 3: कविता में किसको शोषक कहा गया है?
उत्तर- कवि ने कविता के माध्यम से पूँजीपतियों को संबोधित किया है। ऐसे पूंजीपति जो निम्न वर्ग के लोगों का शोषण करते हैं, कवि ने उन्हें शोषक कहा है।

बादल राग प्रश्न 4: क्रांति के अग्र दूत से क्या आशय है?
उत्तर- कवि ने बादल की तुलना शोषित वर्ग से की है, वो कहते हैं कि आसमान में जो बादल है, वो क्रान्ति के अग्नि दूत हैं। वो कहते हैं कि जो पूँजीवादी लोग निम्न वर्ग के लोगों का शोषण कर अपने लिए संपत्ति अर्जित करते हैं। ऐसे लोग निम्न आय के लोगों को दबाने की कोशिश करते हैं। लेकिन अब शोषित लोग बादल की तरह अपना गर्जन विरोध करने वाले हैं। 

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