Diye Jal Uthe Class 9 Summary

इस पाठ में हम कक्षा 9 संचयन पाठ 6 दीये जल उठे का सारांश (class 9 hindi sanchayan chapter 6 diye jal uthe summary) पढ़ेंगे और समझेंगे।

दिये जल उठे पाठ के लेखक का जीवन परिचय

लेखक मधुकर उपाध्याय का जन्म 1 सितंबर 1956 को अयोध्या में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तथा डिग्री वहीं से हासिल की। अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक होने के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान, नयी दिल्ली से उन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।


इतिहास और खासतौर पर बितानी शासनकाल में उनकी दिलचस्पी ने उन्हें महात्मा गांधी के चर्चित दांडी मार्च को पुनरावृत्ति के लिए प्रेरित किया और उन्होंने 400 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा की। आजादी की पचासवीं वर्षगाँठ पर उनकी पुस्तक पचास दिन, पचास साल पहले खासी चर्चित रही। उनकी एक अन्य पुस्तक किस्सा पांडे सीताराम सूबेदार को भी काफ़ी सराहा गया।

हिंदी और अंग्रेजी में समान अधिकार से लिखने वाले मधुकर उपाध्याय की तीन पुस्तकें अंग्रेज़ी और बारह हिंदी में प्रकाशित हो चुकी हैं। पत्रकारिता और साहित्य के साथ-साथ उनकी गहरी दिलचस्पी कार्टून विधा और रेखांकन में भी है। मधुकर उपाध्याय आजकल दैनिक ‘लोकमत समाचार’ के प्रधान संपादक हैं।

Class 9 Sanchayan Hindi Chapter 6 Diye Jal Uthe Summary

दिये जल उठे पाठ की भूमिका

‘दिये जल उठे’ रचना मधुकर उपाध्याय द्वारा रचित है। यह पाठ महात्मा गांधी की दांडी यात्रा पर आधारित ‘धुँधले पदचिह्न’ नामक रचना से यह अंश लिया गया है। इसमें 19 मार्च 1930 के दिन घटी घटनाओं का वर्णन करते हुए ‘रास’ में सरदार पटेल की गिरफ्तारी तथा गांधीजी की दांडी यात्रा संबंधी वर्णन है। घनी अँधेरी रात में गांधीजी को नाव से मही सागर पार कराने के लिए लोगों ने क्या किया, इसका अद्भुत वर्णन पाठक को हतप्रभ कर देता हैं। पाठ का यह अंश अत्यंत रोचक है।

दिये जल उठे पाठ के पात्रों का परिचय

1 सरदार वल्लभभाई पटेल: दो शब्द कहने पर गिरफ्तार किया जाता है।

2 गांधीजी: सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व।

3 जवाहरलाल नेहरू: आंदोलन में भागीदारी।

4 मदनमोहन मालवीय: पटेल को सज़ा होने पर सरकार की घोर निंदा की।

5 मोहम्मद अली जिन्ना: पटेल को सज़ा होने पर सरकार पर प्रतिक्रिया देना।

6 अब्बास तैयबजी : सत्याग्रह आंदोलन में भागीदार।

7 कलेक्टर शिलिडी: इनके आदेश से ही पटेल को गिरफ्तार किया गया।

8 जज: पटेल को सज़ा सुनाई।

9 रघुनाथ काका: गाँधीजी ने इन्हें महिनदी पार करवानी की जिम्मेदारी दी।

10 अन्य पात्र: आश्रमवासी, पुलिसकर्मी,स्थानीय लोग।

सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ़्तारी

diye jal uthe class 9 summary: दांडी कूच(मार्च) की तैयारी के सिलसिले में वल्लभभाई पटेल सात मार्च को रास पहुँचे थे। उन्हें वहाँ भाषण नहीं देना था लेकिन लोगों के कहने पर पटेल ने दो शब्द में लोगों को कहा कि क्या आप सभी सत्याग्रह के लिए तैयार हैं? इसी बीच मजिस्ट्रेट ने निषेधाज्ञा(मनाही का आदेश)  लागू कर दी और उन्हें स्थानीय कलेक्टर शिलिडी के आदेश पर गिरफ़्तार कर लिया गया क्योंकि शिलिडी को सरदार पटेल ने ही पिछले आंदोलन के समय अहमदाबाद से भगा दिया था।

पटेल को बोरसद अदालत में सजा सुनाई गई

diye jal uthe class 9 summary: वल्लभभाई पटेल को बोरसद की अदालत ले जाया गया। सरदार पटेल ने बिना कोई अपराध किए ही जज के सामने अपना अपराध कबूल कर लिया। जज को आठ लाइन का फैसला लिखने में डेढ़ घण्टा लगा क्योंकि जज को समझ नहीं आ रहा था कि वह उन्हें किस धारा के तहत और कितनी सजा सुनाए। उन्हें 500 रुपए जुर्माना और तीन महीने की जेल की सजा दी गई।

गाँधीजी सरदार पटेल की गिरफ्तारी से निराश

diye jal uthe class 9 summary: जब गाँधी जी को सरदार पटेल की गिरफ्तारी की खबर मिली, तब वे सबरमाती आश्रम में थे। गाँधी जी पटेल की गिरफ्तारी से बहुत नाराज़ हुए और इस दशा में गाँधी जी ने  दांडी कूच(मार्च) की तारीख बदलने का फैसला किया कि अभियान 12 मार्च से पहले ही शुरू होगा।

पटेल और गाँधीजी की मुलाकात

diye jal uthe class 9 summary: सभी आश्रमवासी पटेल की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे और हिसाब लगा रहे थे कि मोटरकार से बोरसद से साबरमाती पहुँचने में कितना समय लगता है। क्योंकि जेल का रास्ता साबरमती आश्रम के सामने से होकर जाता था। गाँधीजी भी स्वयं आश्रम से बाहर निकलकर पटेल का इंतजार कर रहे थे। लोगों का मानना था कि पुलिसवालों की गाड़ी आश्रम के बाहर नहीं रुकेगी। लेकिन पटेल का रुतबा ही था कि गाड़ी रुकी। पटेल के जेल जाने से पहले गाँधीजी और पटेल की मुलाकात हुई। पटेल ने जाते-जाते सभी आश्रमवासियों और गाँधीजी से कहा कि ‘मैं चलता हूँ, अब आपकी बारी है।’

सरदार पटेल की गिरफ्तारी पर लोगों की प्रतिक्रिया

diye jal uthe class 9 summary: सरदार पटेल की गिरफ़्तारी पर देशभर में प्रतिक्रिया हुई। दिल्ली में मदन मोहन मालवीय ने केंद्रीय एसेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए ही पटेल को जेल भेजने के लिए सरकार की घोर निंदा की। लेकिन यह प्रस्ताव पास नहीं हुआ। इस प्रस्ताव पर कई नेताओं ने अपनी राय सदन में रखी थी। 

मोहम्मद अली जिन्ना ने पटेल की गिरफ्तारी पर कहा “सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी अभिव्यक्ति(विचारों को प्रकट करना) की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है। भारत सरकार एक ऐसा उदहारण पेश कर रही है जिसके गंभीर परिणाम होंगे।” 

गाँधी जी के रास पहुँचने के समय भी वही कानून लागू था, जिसके तहत पटेल को गिरफ्तार किया गया था। इसलिए सत्याग्रहियों ने पहले से ही पूरी तैयारी कर ली थी। वहाँ अब्बास तैयबजी भी पहुँच चुके थे, अगर गाँधीजी की गिरफ्तारी हुई तो वे उनकी कूच(मार्च) का नेतृत्व कर सकें। लेकिन बोरसद से निकलने के बाद सभी निश्चिंत थे कि अब गाँधीजी को जलालपुर पहुँचने तक नहीं पकड़ा जाएगा।

गाँधीजी का रास पहुँचना

diye jal uthe class 9 summary: रास में गाँधी जी का शानदार स्वागत हुआ था। इनमें सबसे आगे दरबार समुदाय के लोग थे। उनकी मुख्य बस्ती कनकपुरा और उससे सटे गाँव देवगण में है। दरबार लोग अपनी ऐशों-आराम की ज़िन्दगी छोड़कर यहाँ आकर बस गए। अपने भाषण में भी गाँधीजी ने इनका जिक्र किया।

सत्याग्रही बाजे-गाजे के साथ रास में दाखिल हुए। वहाँ गाँधी जी को एक धर्मशाला में ठहराया गया जबकि बाकी सत्याग्रही तंबुओं में रुके। रास की आबादी केवल तीन हजार थी लेकिन उनकी जनसभा में बीस हजार से ज्यादा लोग थे। 

21 मार्च को साबरमती के तट पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक होने वाली थी। इस बैठक से पहले जवाहरलाल नेहरू गाँधीजी से मिलने चाहते थे। उन्होंने संदेश भिजवाया जिसके जवाब में गाँधीजी ने रास में अपनी जनसभा से पहले एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘आपको रात के लगभग दो बजे मछुआरों के कंधों पर बैठकर एक धारा पर करनी पड़ेगी। मैं अपने राष्ट्र के प्रमुख सेवक की यात्रा में ज़रा भी विराम नहीं दे सकता।’

गाँधीजी का रास में भाषण

diye jal uthe class 9 summary: अपने भाषण में गाँधी जी ने पटेल की गिरफ़्तारी का जिक्र करते हुए कहा, “सरदार को यह सज़ा आपकी सेवा के पुरस्कार के रूप में मिली है। उन्होंने सरकारी नौकरियों से इस्तीफे का उल्लेख किया और कहा कि “कुछ मुखी और तलाटी गंदगी पर मक्खी की तरह चिपके हुए हैं। उन्हें भी अपने निजी स्वार्थ भूलकर इस्तीफा दे देना चाहिए।” 

गाँधी जी ने फिर कहा- “आप लोग कब तक गाँवों को चूसने में अपना योगदान देते रहेंगे, सरकार ने तो लूट मचा रखी है उसकी ओर से क्या अभी तक आपकी आँखें खुली नहीं हैं?” 

सत्याग्रही शाम छह बजे रास से चले और आठ बजे कनकापुरा पहुँचे। उस समय लोग यात्रा से कुछ थके हुए थे।

और कुछ थकान इस आशंका से थी कि महिनदी कब और कैसे पार करेंगे। नियमों के अनुसार उस दिन की यात्रा कनकापुरा में गाँधी के भाषण के बाद समाप्त हो जानी चाहिए थी लेकिन इसमें परिवर्तन कर दिया गया। यह तय किया गया कि नदी को आधी रात के समय समुद्र का पानी चढ़ने पर पार किया जाए ताकि कीचड़ और दलदल में कम-से-कम चलना पड़े। रात साढ़े दस बजे भोजन के बाद सत्याग्रही नदी की ओर चले।

लोगों का सत्याग्रह आंदोलन में योगदान

diye jal uthe class 9 summary: गाँधीजी ने नदी पार करवाने की जिम्मेदारी रघुनाथ काका को सौंपी। उन्होंने इसके लिए एक नई नाव खरीदी और उसे लेकर कनकपुरा पहुँच गए। बदलपुर में रघुनाथ के पास काफी जमीन और नावें भी थीं। जब समुद्र में पानी बढ़ गया तो अंधेरा इतना हो गया कि छोटे-छोटे दीये जलने पर भी अंधेरा ही था। थोड़ी देर बाद हज़ारों लोग हाथों में दिये लेकर तट पर पहुँच गए। नदी के दूसरी ओर भी यही नज़ारा था। गाँव के सभी लोग और आस पास के लोग भी दिये लेकर गाँधीजी और सत्याग्रहियों का इंतज़ार कर रहे थे।

अँधेरी रात में गाँधी जी को लगभग चार किलोमीटर दलदली जमीन पर चलना पड़ा। रात बारह बजे महिसागर नदी का किनारा भर गया। पानी चढ़ आया था। गाँधी जी घुटने भर पानी में चलकर नाव पर चढ़े। महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू के नाम के नारों से दिशाएँ गूँज उठीं। 

महिसागर के दूसरे तट पर भी स्थिति इससे कुछ भिन्न न थी। डेढ़ किलोमीटर तक पानी और कीचड़ में चलकर गाँधी जी रात एक बजे उस पार पहुँचे और सीधे विश्राम करने चले गए। गाँव के बाहर नदी के तट पर उनके लिए झोंपड़ी पहले ही तैयार कर दी गई थी। गाँधी जी के पार उतरने के बाद भी तट पर दिये लेकर लोग खड़े रहे। अभी सत्याग्रहियों को भी उस पार जाना था। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे जिन्हें नदी पार करवानी होगी।

दिये जल उठे पाठ का उद्देश्य

इस रचना से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें मुश्किल समय में मिल- जुलकर मुसीबत से निपटना चाहिए। जैसे कि इस पाठ में सभी लोग अंधेरी रात में भी अपने हाथों में दिये लेकर खड़े रहे ताकि सत्याग्रहियों को नदी पार करवा सकें।

दिये जल उठे पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ

निषेधाज्ञा- मनाही का आदेश
कबूल- स्वीकार
क्षुब्ध- अशांत, नाराज
प्रतिक्रिया- किसी कार्य के परिणामस्वरूप होने वाला कार्य
भर्त्सना- निंदा
पारित- पास करना
नज़ीर- शानदार
रियासतदार- रियासत या इलाके का मालिक
प्रयाण- यात्रा
पुश्तैनी- पीढ़ियों से चला आ रहा
आधिपत्य- प्रभुत्व
तुच्छ- क्षुद्र, निकृष्ट
बयार- हवा
संहार- नाश करना
हुक्मरानों- शासन
नज़ारा-दृश्य
प्रतिध्वनि- गूँज, किसी शब्द के उपरांत सुनाई पड़ने वाला उसी से उत्पन्न शब्द

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