रहीम के दोहे अर्थ सहित – Rahim Ke Dohe Arth Sahit
रहिमन धागा प्रेम का अर्थ – Rahiman Dhaga Prem Ka Arth
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परी जाय॥
Rahiman dhaga prem ka mat todo chatkay doha meaning in hindi:
रहिमन धागा प्रेम का अर्थ: इस प्रसिद्ध दोहे में महान कवि रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का धागा बड़ा ही नाज़ुक और कोमल होता है। इसे कठोर वचनों और कड़वी भावनाओं के जरिए तोड़ना बिल्कुल उचित नहीं है। अगर प्रेम की यह कोमल डोर एक बार टूट जाए, तो फिर यह कभी जुड़ नहीं पाती है। अगर हज़ार प्रयत्न करके आप प्रेम की यह डोरी जोड़ भी लो, तो उसमें एक गाँठ पड़ ही जाती है। अर्थात एक बार टूट जाने के बाद रिश्ते भले ही दोबारा जुड़ जाएं, लेकिन वो पहले जैसे नहीं रह पाते हैं।
यहाँ रहीम जी हमें रिश्तों की अहमियत समझा रहे हैं। इस दोहे में वो कहते हैं कि रिश्ते हमारी ज़िंदगी का एक बहुत ख़ास हिस्सा होते हैं। अपनी गलतियों और बुरे व्यवहार की वजह से हमें रिश्तों के कोमल बंधन को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। अगर कड़वी बातों के वार से कोमल रिश्ते एक बार टूट कर अलग हो जाएं, तो फिर उन्हें फिर से पहले जैसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें अपने रिश्तों को हमेशा प्यार से सहेज कर रखना चाहिए।
Rahiman dhaga prem ka doha in English
Rahiman Dhaga Prem Ka, Mat Todo Chatkay
Tute Se Phir Naa Mile, Mile Gaanth Pad Jaaye
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